भारत के अदानी समूह की कंपनी अदानी ग्रीन एनर्जी ने श्रीलंका में अपने एक अरब डॉलर के विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स से अलग होने का फ़ैसला किया है.
श्रीलंका में अदानी ग्रुप की इस पवन ऊर्जा और ट्रांसमिशन से जुड़ी परियोजनाओं को छोड़ने की जो घोषणा, चीन के कर्ज में डूबे श्रीलंका के आर्थिक विकास में एक झटका जरूर है।
कंपनी ने अपने एक बयान में कहा, “कई ज़रूरी मंज़ूरियां मिलने के बावजूद कंपनी इसलिए इन प्रोजेक्ट्स से पीछे हट रही है क्योंकि कुछ पर्यावरणीय क्लीयरेंस मिलने में देरी हो रही है, साथ ही श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट में एक लंबित मामले की वजह से उसे ऐसा करना पड़ रहा है.”
कंपनी के बयान के अनुसार, “हम श्रीलंका की संप्रभुता और उसके फ़ैसलों का सम्मान करते हैं, इसलिए हम इस प्रोजेक्ट से सम्मानपूर्वक अलग हो रहे हैं.”
श्रीलंका में अदानी ग्रुप की इस पवन ऊर्जा और ट्रांसमिशन से जुड़ी परियोजनाओं को छोड़ने की जो घोषणा, चीन के कर्ज में डूबे श्रीलंका के आर्थिक विकास में एक झटका जरूर है।
यह विंड एनर्जी परियोजना श्रीलंका के मन्नार और पुनेरिन में 484 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने के साथ-साथ 220 केवी और 400 केवी ट्रांसमिशन नेटवर्क के विस्तार पर केंद्रित थी।
श्रीलंका में अनुरा कुमारा दिसानायके के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से अदानी ग्रुप के पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट के साथ साथ अन्य परियोजनाओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।
वामपंथी विचारधारा के श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके ने अपने चुनावी अभियान के दौरान इस प्रोजेक्ट पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा था कि सत्ता में आने पर वो इसे रद्द कर देंगे।
अदानी ग्रुप की कंपनी ग्रीन एनर्जी का क्या कहना है?
अदानी ग्रीन एनर्जी ने श्रीलंका के बोर्ड ऑफ़ इनवेस्टमेंट के चेयरमैन अर्जुना हेराथ को 12 फ़रवरी 2025 को एक चिट्ठी लिखी.
इसमें लिखा गया है, “हमारे अधिकारियों ने हाल ही में कोलंबो में सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) और मंत्रालय के अधिकारियों से बातचीत की थी. पता चला कि प्रोजेक्ट प्रस्ताव पर फिर से वार्ता करने के लिए कैबिनेट की ओर से नेगोसिएशन और प्रोजेक्ट कमेटी बनाई गई है.”
“इस बात की जानकारी हमारी कंपनी के बोर्ड को दी गई और यह तय किया गया कि कंपनी श्रीलंका की संप्रभुता और इसके चुनाव के अधिकार का सम्मान करते हुए सम्मानपूर्वक इस प्रोजेक्ट से बाहर हो जाएगी.”
अदानी ग्रीन एनर्जी का कहना है कि मन्नार और पुनेरिन में 484 मेगावाट का रिन्यूएबल एनर्जी विंड फ़ॉर्म लगाने के लिए पिछले दो सालों से बातचीत चल रही थी.
इसके साथ ही श्रीलंका के दक्षिणी हिस्से में 220 केवी और 400 केवी की ट्रांसमिशन लाइनों के विस्तार पर भी बात हो रही थी.
कंपनी की ओर से कहा गया कि सरकार द्वारा नियुक्त कमेटी के साथ 14 दौर की बातचीत के बाद 20 साल के लिए बिजली ख़रीद को लेकर टैरिफ़ पर सहमति बनी थी.
अदानी ग्रीन एनर्जी ने कहा है कि उसने प्रोजेक्ट की तैयारियों के लिए अब तक 50 लाख डॉलर खर्च किए हैं.
प्रोजेक्ट को लेकर विवाद
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में ये भी कहा गया कि मन्नार के निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने एक प्रमुख पक्षी कॉरिडोर को नुक़सान पहुंचने की आशंका जताई थी और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा.
कंपनी ने अपने एक बयान में कहा, “कई ज़रूरी मंज़ूरियां मिलने के बावजूद कंपनी इसलिए इन प्रोजेक्ट्स से पीछे हट रही है क्योंकि कुछ पर्यावरणीय क्लीयरेंस मिलने में देरी हो रही है, साथ ही श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट में एक लंबित मामले की वजह से उसे ऐसा करना पड़ रहा है.”
अदानी समूह की कंपनी के बयान के अनुसार, “हम श्रीलंका की संप्रभुता और उसके फ़ैसलों का सम्मान करते हैं, इसलिए हम इस प्रोजेक्ट से सम्मानपूर्वक अलग हो रहे हैं.”