35.2 C
New Delhi
Friday, July 4, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

केरल में मदरसा टीचर को पोक्सो अदालत से मिली 187 साल की सज़ा, वजह क्या है ?

मदरसा: केरल में कन्नूर की एक पोक्सो अदालत ने एक मदरसा टीचर को 13 साल की किशोरी पर यौन हमले के आरोप में 187 साल की सज़ा सुनाई है. ये मामला 2020 से 2022 के बीच का है, जब भारत कोविड महामारी से गुज़र रहा था.

मदरसा की इस छात्रा से बार-बार यौन उत्पीड़न का मामला तब सामने आया जब 41 वर्षीय अभियुक्त मुहम्मद रफ़ी पहले से ही 2018 में दस साल की एक और बच्ची पर किए गए यौन हमले के आरोप में जेल की सज़ा काट रहा था.

बीबीसी के के अनुसार, केरल में मदरसा टीचर 41 वर्षीय अभियुक्त मुहम्मद रफ़ी को मिली इतनी लंबी सज़ा चर्चा का विषय बनी हुई है.

मदरसा टीचर को क्यों मिली इतनी लंबी सज़ा?

मदरसा टीचर को जिस मामले में 187 साल की सज़ा सुनाई गई है उस पर बात करते हुए सरकारी वकील के अनुसार , ” जब इस बच्ची पर यौन हमला हुआ था उस वक़्त वो 13 साल की थी. उस दौरान छात्रा के माता-पिता ने उसके व्यवहार में बदलाव देखा था. वो पढ़ाई में पिछड़ रही थी. माता-पिता उसे काउंसलर के पास ले गए. वहां उसने बताया कि टीचर ने उस पर यौन हमला किया है.”

सरकारी वकील से जब पूछा गया कि मदरसा टीचर को इतनी लंबी सज़ा क्यों सुनाई गई तो उन्होंने कहा, ” इतनी लंबी सज़ा इसलिए सुनाई गई है क्योंकि उन्होंने ये अपराध एक से अधिक बार किया है.”

मदरसा टीचर को इतनी लंबी सज़ा के बारे में समझाते हुए बताया,

  • पोक्सो एक्ट के सेक्शन 5 (टी) के तहत पचास साल की जेल और पांच लाख रुपये जुर्माने की सज़ा दी गई है. इस एक्ट के तहत नाबालिगों पर ‘पैनेट्रेटिव यौन हमले’ में सज़ा दी जाती है.
  • पोक्सो एक्ट के सेक्शन 5 (एफ) के तहत (टीचर के तौर पर भरोसा तोड़ने के लिए) 35 साल की जेल और एक लाख रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई गई. सेक्शन 5 (एल) के तहत दोबारा यौन हमला करने के आरोप में भी 35 साल के जेल की सज़ा और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
  • पोक्सो कानून के सेक्शन 3 (ए) के तहत और सेक्शन 3 (डी) ( ओरल सेक्स) के तहत 20-20 साल की जेल और 50-50 लाख रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई गई है.
  • आईपीसी की धारा 376 (3) ( 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप) के तहत 25 साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई गई है.
  • दो साल की सज़ा आईपीसी की धारा 506 (2) (आपराधिक धमकी) के तहत सुनाई गई है.

सरकारी वकील ने कहा,” ये सारी सज़ा एक साथ चलेगी. इसका मतलब ये हुआ कि रफ़ी को 50 साल तक जेल में रहना होगा.”

मदरसा टीचर का क्या है मामला?

मदरसा टीचर मुहम्मद रफ़ी छात्रा को धमकी देकर अपने क्लासरूम से लगे दूसरे क्लासरूम में ले जाता था और वहां उसके साथ यौन उत्पीड़न करता था.

इसका अर्थ यह भी है की सरकारी नियमों को तोड़कर किस तरह कोविड के दौरान गैर अधिकृत तौर पर क्लासरूम में पढ़ाई कराई जा रही थी.

जबकि नाबालिग छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने के वक़्त मदरसा टीचर मुहम्मद रफ़ी शादीशुदा थे.

रफ़ी इस फ़ैसले को चुनौती देंगे या नहीं उस पर उनके वकील से कोई टिप्पणी नहीं मिल सकी है.

उनके ख़िलाफ़ ये फैसला कन्नूर ज़िले के तालिपाराम्बा के फास्ट ट्रैक के कोर्ट के जज आर राजेश ने सुनाया है.

इतनी लंबी सज़ा पर क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

मदरसा टीचर मुहम्मद रफ़ी को 187 साल की लंबी सज़ा ने क़ानूनी मामलों से जुड़े विशेषज्ञों और वकीलों को अचरज में डाल दिया है क्योंकि भारतीय क़ानून (आईपीसी और भारतीय न्याय संहिता) में इतनी लंबी सज़ा का प्रावधान नहीं है.

इस मामले में बात करते हुए एक पूर्व सरकारी वकील ने बताया,” आमतौर पर रेप और दोबारा इस अपराध को करने वालों को ताउम्र जेल की सज़ा मिलती है. कोर्ट ऐसे अपराधियों को मौत की सज़ा भी दे सकता है. लेकिन भारत, अमेरिका नहीं है. अमेरिका में किसी व्यक्ति को उसके जीवनकाल से भी ज्यादा सजा देने की परंपरा है.”

उत्तरी मालाबार का ये दूसरा मामला है जब अपराधी को साधारण उम्र कैद और उसके बाद के जीवन के लिए भी सज़ा दी गई है.

ईसाई पादरी रोबिन को 60 साल की सज़ा

इससे पहले एक पोक्सो अदालत ने एक ईसाई पादरी रोबिन वडाक्कमचेरी (48 साल) को 60 साल की सज़ा सुनाई थी.

ईसाई पादरी ने 2016 में एक 16 साल की लड़की के साथ रेप किया था जब वो चर्च के लिए डेटा एंट्री कर रही थीं. ये स्कूल वायनाड जिले के एक चर्च की ओर से चलाया जा रहा था. बाद में उस लड़की ने एक स्थानीय अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया था.

रेप सर्वाइवर ने वयस्क होने पर एक याचिका दायर कर रोबिन से शादी की अनुमति मांगी थी. तब तक रोबिन चर्च से हटा दिए गए थे. उसकी याचिका रोबिन की याचिका के बाद दायर की गई थी. रोबिन ने इसमें लड़की से शादी करने की इच्छा जताई थी.

ये आवेदन इसलिए दिया गया था क्योंकि बच्चे को स्कूल में दाखिला दिलाने के समय में पिता के नाम की जरूरत थी. लड़की भी चाहती थी कि पादरी की सज़ा निलंबित कर दी जाए ताकि वो उनके साथ शादी कर सके.

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन उसने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.

मदरसा टीचर मुहम्मद रफ़ी को मिली कानूनी सजा, पीड़ित की मानसिक, सामाजिक और शारीरिक प्रताड़ना के दुख से बहुत ही कम है।

इस तरह की घटनाओं से एक बार फिर मदरसा की स्वायत्तता और उनकी गुप्त कार्यशैली पर अनेक प्रश्न उठ रहे है।

मदरसा में होने वाली घटनाओं पर धर्म गुरुओं और धर्म के ठेकेदार नेताओं की चुप्पी उनके अपने ही समाज के प्रति उनके आचरण को उजागर करती है।

 

Popular Articles