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Monday, December 1, 2025

चीन के युवा शादी से क्यों भाग रहे हैं?

चीन में युवा शादी से भाग रहे हैं, रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में चीन में होने वाली शादियों में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है और इसके लिए किए जा रहे सरकारी प्रयास भी सफल नहीं हो रहे हैं।

आंकड़ों के अनुसार चीन में शादियों की संख्या में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है, जिससे देश की जनसंख्या और आर्थिक भविष्य को लेकर गंभीर चिंताएं बढ़ रही हैं. साल 2024 में केवल 61 लाख जोड़ों ने विवाह का पंजीकरण कराया, जो 2023 की तुलना में 20.5 फीसदी कम है. यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. चीन की सरकार लगातार युवाओं को शादी और परिवार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन आर्थिक अस्थिरता, महंगे जीवनयापन और बदलती सामाजिक सोच के कारण लोग विवाह से दूर होते जा रहे हैं.

चीन में शादियों की संख्या में गिरावट क्यों?

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में घटती शादियों की मुख्य वजह आर्थिक अस्थिरता और जीवनयापन की बढ़ती लागत है. बच्चों की परवरिश और शिक्षा के बढ़ते खर्च ने पहले ही लोगों को विवाह से हतोत्साहित किया था, लेकिन हाल के वर्षों में धीमी आर्थिक वृद्धि और नौकरी की असुरक्षा ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है.

विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के जनसांख्यिकी विशेषज्ञ यी फूशियान ने इस गिरावट को “अभूतपूर्व” बताया. उन्होंने कहा, “2020 में, जब कोविड-19 महामारी अपने चरम पर थी, तब भी शादियों में केवल 12.2 फीसदी की गिरावट आई थी.” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो चीन की राजनीतिक और आर्थिक महत्वाकांक्षाएं उसकी जनसांख्यिकीय समस्याओं के कारण बर्बाद हो सकती हैं.

सरकार के असफल प्रयास

चीन सरकार विवाह और जन्मदर को बढ़ाने के लिए विभिन्न नीतियां लागू कर रही है.विश्वविद्यालयों में “प्रेम शिक्षा” कोर्स शुरू किए जा रहे हैं, और स्थानीय प्रशासन को शादी व परिवार को बढ़ावा देने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. लेकिन इन प्रयासों का अब तक कोई खास असर नहीं दिखा है.

हाल ही में चीन के चांग्शा शहर में एक “शादी एक्सपो” आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य विवाह और परिवार को बढ़ावा देना था. लेकिन इस एक्सपो को जनता की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा. इसमें कई ऐसे नारे लगाए गए थे, जो पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं को प्रोत्साहित करते थे, जैसे – “तीन बच्चे होना सबसे अच्छा है”, “गृहकार्य सबसे अच्छा है” और “बच्चों की पढ़ाई में सबसे अच्छे माता-पिता बनो”. इन नारों ने महिलाओं पर परिवार और घर की जिम्मेदारी थोपने की मानसिकता को उजागर किया.

एक चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वाइबो के यूजर ने लिखा, “ये नारे सिर्फ महिलाओं के लिए क्यों हैं? क्या घर के कामों को साझा करना सही नहीं है?” वहीं, एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, “इस एक्सपो ने शायद कई लोगों को शादी से और दूर कर दिया होगा.”

चीन में जनसंख्या संकट

चीन में शादियों की घटती संख्या केवल एक सामाजिक समस्या नहीं, बल्कि एक गहरे जनसांख्यिकीय संकट का संकेत है. 2024 में लगातार तीसरे साल चीन की जनसंख्या घटी, और अब देश की कुल आबादी 1.4 अरब (140 करोड़) है, जिसमें से लगभग एक चौथाई लोग 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं. 2024 में भारत ने चीन को दुनिया की सबसे अधिक आबादी के मामले में पीछे छोड़ दिया था.

इस प्रवृत्ति के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. श्रमशक्ति में कमी, कर राजस्व में गिरावट और पेंशन तथा स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर बढ़ता दबाव, आने वाले वर्षों में चीन के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं.

चीन सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए सितंबर 2024 में सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने की योजना की घोषणा की थी. अभी चीन में सेवानिवृत्ति की उम्र 60 साल है, जो दुनिया में सबसे कम मानी जाती है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के छोटे बदलाव पर्याप्त नहीं होंगे.

विक्टोरिया यूनिवर्सिटी की वरिष्ठ शोधकर्ता शूजियान पेंग का मानना है कि सरकार की नीतियां तब तक प्रभावी नहीं होंगी, जब तक वे कार्यस्थल में लैंगिक भेदभाव को खत्म करने और काम के घंटे कम करने जैसे बड़े सुधार नहीं करतीं.

चीन के युआवा जनसंख्या अनुसंधान संस्थान का अनुमान है कि देश को अपनी जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के लिए जीडीपी का कम से कम 10 फीसदी निवेश करना होगा. हालांकि, भारी कर्ज से जूझ रही स्थानीय सरकारें इतनी बड़ी राशि खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं.

क्या भविष्य में कुछ बदलेगा?

चीन में युवाओं के बीच शादी और बच्चों को लेकर सोच लगातार बदल रही है. जहां पहले शादी और परिवार को प्राथमिकता दी जाती थी, वहीं अब युवा वित्तीय स्वतंत्रता और व्यक्तिगत आजादी को ज्यादा महत्व दे रहे हैं.

एक सोशल मीडिया यूजर के अनुसार, “पहले मुझे शादी करने की चिंता थी, लेकिन अब मुझे अकेले रहना ज्यादा अच्छा लगने लगा है. न कोई दबाव, न कोई जिम्मेदारी. मैं अपने पैसे खुद कमाता हूं और खुद खर्च करता हूं.”

विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सरकार अधिक ठोस आर्थिक और सामाजिक सुधार नहीं लाती, तब तक चीन में शादी और जन्म दर में गिरावट जारी रह सकती है. इससे चीन की अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्थिति पर भी असर पड़ सकता है. फिलहाल, सरकार की “शादी को बढ़ावा देने” वाली नीतियां युवाओं को ज्यादा प्रभावित करती नहीं दिख रही हैं.

कुछ साल पहले तक चीन की जनसंख्या विश्व में प्रथम स्थान पर थी, जहाँ अब भारत काबिज है। अधिक जनसंख्या का यदि सही तरीके से देशहित, विकास और कल्याण के लिए यदि न किया जी तो वह वरदान के वजाय अभिसाप बन जाती है। अधिक जनसंख्या का सही उपयोग करके ही चीन जैसा विशाल देश कुछ दशकों में ही गरीबी, अशिक्षा, अविकसित बुनयादी ढाँचे से चलकर दुनिया की प्रथम आर्थिक शक्ति बन गया है।

 

 

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