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Friday, July 4, 2025

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चीन को जंग से मुनाफा; युद्ध में पाकिस्तान, रूस सहित 44 देशों को हथियार बेचे

चीन: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) Stockholm International Peace Research Institute, (SIPRI) की मार्च में जारी ‘वैश्विक हथियार व्यापार रिपोर्ट’ के अनुसार विश्व के अग्रणी हथियार निर्यातक देश चीन ने हाल के संघर्षों में एशिया से लेकर अफ्रीका तक, 44 देशों में सरकार, विद्रोही और आतंकवादियों के समूहों को विमानों से लेकर मिसाइलों, ड्रोन और  अन्य घातक हथियार तथा सैन्य उपकरण भेजे हैं.

SIPRI

सिपरी, स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (SIPRI) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो स्वीडन के स्टॉकहोम में स्थित है। यह संस्थान संघर्ष, शस्त्र, शस्त्र नियंत्रण और निरस्त्रीकरण पर शोध के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करता है तथा  नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया और जनता को डेटा, विश्लेषण और सिफारिशें प्रदान करता है। इस संस्थान का मुख्य उदेश्य सघर्ष रहित स्थाई शांति के विश्व की परिकल्पना करना तथा ऐसी पहल करना जिससे अपरिहार्य कारणों से होने वाले संघर्षों को रोका या हल किया जा सके और शांति शतपित हो सके। सिपरी की स्थापना 1966 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई थी।

क्या कहती है SIPRI की रिपोर्ट ?

सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में जारी जंगों से चीन सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाले देश के रूप में उभरकर सामने आया है. उसने जंग और आपसी संघर्षों से जूझ रहे इलाकों में तेजी से हथियारों की सप्लाई और एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया है. युद्ध के समय में चीनी हथियारों का इस्तेमाल पाकिस्तान, रूस, यमन के हूतियों और अफ्रीका में संघर्षों में अन्य सरकारी और गैर-सरकारी गुटों ने किया है. इनमें पाकिस्तान, सूडान, दक्षिण सूडान, इथियोपिया और अन्य जगहों पर हो रहे जातीय और नागरिक झड़पें शामिल हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की मार्च में जारी ताजा वैश्विक हथियार व्यापार रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हाल ही में 44 देशों को विमानों से लेकर मिसाइलों और ड्रोन तक सैन्य उपकरण भेजे हैं.

चीन द्वारा विद्रोही गुटों को हथियारों की सप्लाइ

चीन के कर्ज में पूरी तरह से फंसे पाकिस्तान को, चीन के कुल मिलिट्री एक्सपोर्ट का 63 फीसदी एक्सपोर्ट हुआ, जिसमें लड़ाकू विमान और मिसाइल, मशीन गन, गोलाबारूद  से लेकर वायु रक्षा प्रणाली और ड्रोन तक शामिल हैं. इन हथियारों का इस्तेमाल पाकिस्तान में प्रशिक्षित दुनिया भर में फैले आतंकी समूहों के साथ साथ, पाकिस्तान की सेना ने मई में भारत के साथ संघर्ष में भी किया गया था. यूक्रेन से लेकर अफ्रीका और मध्यपूर्व या पश्चिम एशिया में होने वाले सभी युद्ध और संघर्षों को चीनी हथियार और मदद से बढ़ावा मिला है। इसराइल और अमेरिका के खिलाफ संघर्ष कर रहे, ईरान, हमास और यमन के हूतियों को चीन के विनाशकारी हथियारों की पूरी मदद रही और चीन से निरंतर सप्लाइ होती रही. वहीं रूस और यूक्रेन युद्ध में चीन की रूस को सैन्य मदद दुनियाभर के देशों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।

यूक्रेन की खिलाफ युद्ध में रूस को हथियार

रूस को युद्ध के दौरान चीन ने न केवल हथियारों की सप्लाइ की वल्कि, युद्ध के समय इकोनॉमी गिरने से बचाने में भी मदद की है।  चीन ने रूस को मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन जैसी सैन्य और असैन्य, दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं की सप्लाई भी करी है. जिससे वह युद्ध के लिए हथियार और सैन्य प्रणाली सुदृढ़ रख सके. चीन ने रूस को सैन्य ड्रोन जैसे हथियार भी दिए हैं. एक रिसर्च के अनुसार, रूस की चीन पर निर्भरता इतनी अधिक है कि वह उच्च प्राथमिकता वाले लगभग 90 फीसदी सामान चीन से आयात करता है।

चीन का अमेरिकी रणनीति पर कब्जा

पिछले वर्ष इसराइल में हमास के आतंकवादियों ने रात के समय हमला करके सैकड़ों निर्दोष नागरिकों जिसमें महिलायें और बच्चे अधिक थे की हत्या कर दी थी और बंधक बना कर अपने साथ गाज़ा ले गए थे, इसके बाद शुरू हुए  संघर्ष में हमास ने इजरायल के खिलाफ चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया. यमन के विद्रोही गुट हूतियों ने चीनी हथियार खरीदे और अमेरिका तथा इसराइल पर आक्रमण किया. पश्चिम एशिया में ईरानी सेनाओं के अलावा, चीनी हथियारों का इस्तेमाल नागोर्नो-करबाख क्षेत्र के आसपास आर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष में भी किया गया है. चीन के हथियारों और सैन्य प्रणालियों का उपयोग पूरे अफ्रीका भर में संघर्षों में किया जा रहा है. जानकारों के अनुसार अफ्रीका में, पश्चिमी अफ्रीका जैसे कुछ हिस्सों में लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले 25 फीसदी से अधिक सैन्य साजो-समान चीन द्वारा निर्मित है। अनुमान के मुताबिक, लगभग 70 प्रतिशत अफ्रीकी देश या विद्रोही आतंकवादी समूह चीन के सैन्य वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. गैरतलब है की दशकों पहले अमेरिका, अशान्ति,विद्रोह और संघर्ष के यही रणनीति अपना कर हथियार बेचता था।

चीन दुनिया भर में इन संघर्ष का समर्थक और आतंकवाद का मूक पोषक बनकर अशान्ति फ़ैला रहा है और हूतियों, हमास, ईरान,अफ्रीकी विद्रोही तथा रूस से लेकर पाकिस्तान तक युद्ध में हथियारों को बेचकर दुनिया का सबसे बड़ा मुनाफाखोर (china become big profiteer) बनकर उभरा है. चीन यूरोप से लेकर एशिया और अफ्रीका तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हर नई जंग के साथ अपने हथियारों के निर्यात के लिए नए बाजार ढूंढ कर देशों की संपत्ति और शांति का दोहन कर रहा है।

 

 

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