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Monday, December 1, 2025

छावा: छत्रपति संभाजी महाराज पर विक्की कौशल की फिल्म

विक्की कौशल की फिल्म “छावा” 14 फरवरी को रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में विक्की कौशल छत्रपति संभाजी महाराज का किरदार निभा रहे हैं।

“छावा” फिल्म का ट्रेलर बहुत ही प्रभावशाली है जिसे देखकर लोगों में काफी उत्साह है। ट्रेलर में एक डायलॉग है,’शेर नहीं रहा, लेकिन छावा अभी भी जंगल में घूम रहा है।’ क्या आप जानते हैं कि संभाजी महाराज को ‘छावा’ क्यों कहा जाता था और कितने संघर्षों से भरा था उनका जीवन?

आइए जानते हैं इस नाम के पीछे की रोचक कहानी।

क्यों कहा जाता था संभाजी महाराज को ‘छावा’?

‘छावा’ शब्द का अर्थ होता है सिंह का बच्चा। यह शब्द मराठी भाषा से लिया गया है। छत्रपति संभाजी महाराज वीर मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे थे। वे अपने पिता की तरह ही एक वीर योद्धा थे। उन्होंने अपने शासनकाल में कई युद्ध लड़े और दुश्मनों को पराजित किया। असल में छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘शेर’ कहा जाता है। संभाजी महाराज की वीरता के कारण उन्हें ‘शेर का बच्चा’ यानी ‘छावा’ कहा जाने लगा।

‘छावा’ नाम की प्रसिद्धि

मराठी साहित्यकार शिवाजी सावंत ने अपने उपन्यास ‘छावा’ में छत्रपति संभाजी महाराज को एक नायक के रूप में प्रस्तुत किया है। इस उपन्यास में उन्हें ‘छावा’ के नाम से संबोधित किया गया है। इस उपन्यास की लोकप्रियता के कारण यह नाम आम हो गया। मराठी फिल्म ‘शिवरायांचा छावा’ में भी संभाजी महाराज को ‘छावा’ के नाम से पुकारा गया है। इस फिल्म की सफलता के बाद यह नाम और भी लोकप्रिय हो गया।

संभाजी महाराज का जीवन

छत्रपति संभाजी महाराज का जन्म 14 मई, 1657 को पुरंदर किले में हुआ था। जब वे मात्र दो वर्ष के थे, उनकी माता सईबाई का निधन हो गया। उनका पालन-पोषण उनकी दादी जीजाबाई ने किया, जिन्होंने उन्हें वीरता और देशभक्ति के संस्कार दिए।

संभाजी महाराज की औरंगजेब से मुलाकात

जब संभाजी महाराज केवल 9 वर्ष के थे, तब उन्होंने पहली बार आगरा में औरंगजेब को देखा था  बचपन में ही उन्होंने अपने शत्रु की कूटनीति और क्रूरता को समझ लिया था। आगरा से शिवाजी महाराज के भागने में भी संभाजी महाराज उनके साथ थे। उस समय, शिवाजी जी ने अपने बेटे संभाजी को मथुरा में एक मराठी परिवार के पास छोड़ कर उनके मरने की अफवाह फैला दी थी।

कैसे बने मराठा साम्राज्य के छत्रपति?

हालांकि, कुछ दिनों के बाद संभाजी महाराष्ट्र पहुंच गए थे।  संभाजी महाराज की आक्रामक प्रवृत्ति के कारण, शिवाजी महाराज ने उन्हें पन्हाला किले में कैद कर दिया था। जब शिवाजी महाराज की मृत्यु हुई, तब भी संभाजी महाराज वहीं कैद थे।

शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद, रायगढ़ में मंत्रियों और सरदारों ने संभाजी के सौतेले भाई राजाराम को छत्रपति बनाने का फैसला किया। लेकिन, सेनापति हम्मीरराव मोहिते ने संभाजी महाराज को पन्हाला किले से मुक्त कराकर रायगढ़ किले पर कब्जा करने में उनकी मदद की। 1680 में, संभाजी महाराज मराठा सिंहासन पर बैठे।

संभाजी महाराज का मुगलों से संघर्ष

छत्रपति बनने के बाद, संभाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ मोर्चा संभाला। उन्होंने बुरहानपुर पर हमला करके उसे नष्ट कर दिया। उन्होंने औरंगजेब के बेटे अकबर को भी शरण दी। औरंगजेब ने बड़ी सेना के साथ संभाजी महाराज पर आक्रमण किया। 1687 में, सेनापति हम्मीरराव मोहिते की मृत्यु हो गई, लेकिन संभाजी महाराज ने विजय प्राप्त की।

ओरंगजेब ने धोखे से पकड़वाया

1689 में, संभाजी महाराज संगमेश्वर में एक बैठक कर रहे थे, जब मुगल सरदार मुकर्रब खान ने घात लगाकर हमला किया। इस हमले में कई सैनिक मारे गए लेकिन संभाजी महाराज और उनके मंत्री कवि कलश को कैद कर लिया गया। उन्हें बहादुरगढ़ ले जाया गया, जहां उन्हें 40 दिनों तक मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गईं।

कैसे हुई संभाजी महाराज की मृत्यु?

औरंगजेब ने उन्हें घुटनों पर बैठ अल्लाह का शुक्रिया करने के लिए कहा जिसके लिए संभाजी ने मना कर दिया। उस समय कैदियों के धर्म परिवर्तन का चलन था। औरंगजेब ने संभाजी महाराज को इस्लाम धर्म अपनाने की शर्त पर जीवनदान देने की बात कही लेकिन संभाजी ने इनकार कर दिया।

इसके बाद संभाजी पर यातनाओं को बढ़ा दिया गया। औरंगजेब ने संभाजी के नाखून उखाड़ने और गर्म सलाखों से उनकी आंखें फोड़ने का आदेश दिया। इसके बाद, तुलापुर में इंद्रायणी और भीमा नदी के संगम स्थल पर ले जाकर छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या कर दी और उनके शरीर के टुकड़े करके कुत्तों को खिला दिया गया। कहा जाता है कि छत्रपति संभाजी महाराज ने जिस वीरता का प्रदर्शन किया उसे देख औरंगजेब ने कहा था कि अल्लाह ने हमारे जनाने में संभा जैसा बेटा पैदा क्यूं नहीं किया

छत्रपति संभाजी महाराज का योगदान

छत्रपति संभाजी महाराज एक महान योद्धा और कुशल प्रशासक थे। उन्होंने मराठा साम्राज्य को और अधिक शक्तिशाली बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी मृत्यु के बाद, मराठा साम्राज्य कमजोर नहीं हुआ, बल्कि औरंगजेब के खिलाफ और अधिक एकजुट हो गया। छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदान आज भी प्रेरणादायक है।

छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता और बलिदान की गाथा भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी गई है। वे एक सच्चे देशभक्त और धर्मनिष्ठ व्यक्ति थे। उन्होंने मराठा साम्राज्य के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

छावा फिल्म के किरदार

लक्ष्मण उतेकर निर्देशित फिल्म ‘छावा’ में अभिनेता विक्की कौशल छत्रपति संभाजी महाराज की भूमिका निभा रहे हैं। महारानी येसुबाई की भूमिका में साउथ अभिनेत्री रश्मिका मंदाना ‘छावा’ में दिखाई देंगीं। औरंगजेब की भूमिका में अभिनेता अक्षय खन्ना नजर आएंगे। इसके अलावा ‘छावा’ में अभिनेता आशुतोष राणा, दिव्या दत्ता, विनीत कुमार सिंह, डायना पेंटी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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