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Friday, July 4, 2025

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जालपा माता के इस मंदिर में बिना मुहूर्त के होती हैं शादियां

जालपा माता मंदिर में (Famous durga temples in india) माता के भक्त गण भारी संख्या में पहुंचकर देवी की आराधना करते हैं और ऐसी मान्यता है की पूरी श्रद्धा से माता की आराधना करने से वह अपने भक्तों का कल्याण करती हैं। भक्त माता से अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करते हैं।

हम आपको देवी के एक ऐसे अनोखे मंदिर, जालपा माता मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां माता की कृपा से बिना मुहूर्त में भी शादियां होती हैं।

यह मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित जालपा माता मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जहां बिना मुहूर्त के विवाह संपन्न होते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि जिन युवक युवतियों की शादी में देर हो रही है या अड़चनें आ रही है यहां अर्जी लगाने से मां जालपा की कृपा से उनका विवाह बिना मुहूर्त के भी संपन्न हो जाते हैं।

माता का ये जालपा माता मंदिर जयपुर-भोपाल मार्ग पर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। और यह सुंदर मंदिर राजगढ़ से सिर्फ 4 किलोमीटर दूर है । यह ऊँची पहाड़ी पर है और ऊपर से शहर का एक सुरम्य दृश्य देख सकते हैं।

यह जालपा माता मंदिर के घने जंगल मे पौधों की विभिन्न किस्मे है। यहाँ भक्त नवरात्रि के मौसम में अलग-अलग हिस्सों से यह आते हैं।

राजग़ढ पर करीब 550 साल पहले भील राजाओं का राज हुआ करता था। उसी  के दौरान पहा़डी पर एक चबूतरे पर मातारानी की स्थापना की गई थी। तब से लेकर वर्ष वर्षांतरों तक पहा़डी पर चबूतरे पर मातारानी विराजमान हैं।

बाद में यहां पर प्रशासन के सहयोग से जालपा माता मंदिर को ट्रस्ट घोषित किया गया। ट्रस्ट बनने के बाद मंदिर पर पहंचने के लिए स़डक मार्ग, जीने आदि बनाए गए। इतना ही नहीं मंदिर पर निर्माण होने के साथ ही पेयजल व सामुदायकि भवन आदि के इंतजाम किए। वर्तमान में यहां पर नवरात्र के दौरान हजारों की संख्या में यहां दर्शन करने के लिए भक्तगण पहुंचते हैं।

नवरात्र के दौरान छोटी-छोटी कन्याओं से लेकर मातृशक्ति व पुरूष भक्तगण पहुंचते हैं। यहां पर जिले ही नहीं बल्कि राजस्थान सहित दूर-दूर से भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

जालपा माता मंदिर में बनती है लग्न पत्रिका

जालपा माता मंदिर में विवाह करने की एक अनोखी परंपरा है। यहां, जिन लोगों के विवाह के लिए शुभ मुहूर्त नहीं निकलते हैं, वे माता जालपा के दरबार में पांती लेने के लिए पहुंचते हैं। इसके बाद यहां के पंडितों के द्वारा माता के यहां से लग्न पत्रिका लिखी जाती है। उसके बाद ही दुल्हा दुल्हन का विवाह संपन्न होता है। विवाह संपन्न होने के तत्काल बाद माता के मंदिर में पहुंचकर वो पांती वापस माता को भेंट की जाती है। इस तरह जालपा माता के आशीर्वाद से मुहूर्त से बिना किसी दिक्कत के विवाह संपन्न हो जाते हैं।

जालपा माता मंदिर में विवाह करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मंदिर की इसी विशेषता के चलते यहां दूर-दूर से लोग शादी की आस में पहुंचते हैं।

जालपा माता मंदिर का इतिहास

किंवदंती के अनुसार जालपा माता मंदिर का इतिहास लगभग 1100 साल पुराना है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जिसके चारों ओर घने जंगल हैं। मान्यता है कि यहां माता जालपा ने भक्त ज्वालानाथ की तपस्या से खुश होकर पीपल के पेड़ के नीचे दर्शन दिए थे। इसके बाद, पीपल के पेड़ के नीचे ही माता की मूर्ति मिली थी।

यह जालपा माता मंदिर भील राजाओं की कुलदेवी का मंदिर भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहाँ पहले राजा वीरेंद्र सिंह ने चबूतरे के स्थान पर लाल पत्थर से चार खंबे और मेहराब लगाकर छतरी बनाने का प्रयास किया था। लेकिन वह निर्माण एक रात में गिर गया।

राजा को सपने में आकर कही थी ये बात

जालपा माता मंदिर का निर्माण ढह जाने से राजा बहुत दुखी थे तब माता ने उन्हें सपने में आकर कहा था कि राजा तुम महलों में निवास करते हो तो देवी का मंदिर भी महल जैसा ही बनवाओ या फिर मुझे इस खुली पहाड़ी पर ही रहने दो। कहते हैं उस समय संसाधनों के भाव के कारण यह जालपा माता मंदिर नहीं बन सका था।

कैसे हुआ मंदिर का निर्माण?

करीब 3 दशक वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर ने जालपा माता मंदिर के विकास के लिए एक समिति का गठन किया और 8 अक्टूबर 1991 में मंदिर का भूमिपूजन किया गया। इसके बाद जालपा माता का भव्य मंदिर बनकर तैयार हुआ। मंदिर में 65 फीट ऊंचा शिखर है।

सभी लेते हैं माता का आशीर्वाद

जालपा माता मंदिर में न केवल मध्य प्रदेश से, बल्कि राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों से भी भक्त आते हैं। यहां, नवरात्रि के दौरान भक्तों की भारी भीड़ होती है। जालपा माता मंदिर में राजनेता से लेकर बड़े सरकारी अधिकारी सभी दर्शन के लिए आते हैं। जो भी नया अधिकारी इस क्षेत्र में कार्यभार संभालता है वह पहले जालपा माता का आशीर्वाद लेने मंदिर जरूर पहुंचता है।

सिद्धपीठ जालपा माता मंदिर की सिद्धी इतनी है कि जब भी किसी के शादी-विवाह के लिए मुहुर्त नहीं निकलते हैं तो मातारानी के दरबार में पांती रखने के साथ विवाह संपन्न किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां की पांती बिना किसी मुहूर्त का शुभ मुहूर्त होता है।

शादी करने के बाद जरूर दोनों पक्षों के लोग दूल्हा-दुल्हन सहित यहां मातारानी के दर्शन करने के लिए जालपा माता मंदिर पहुंचते हैं। इनके अलावा भी जिलेभर से शादियों के दौरान जालपा माता मंदिर में दर्शन करने वालों की भी़ड लगी रहती है।

(इनपुट इंटरनेट मीडिया)

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