मुंबई पर हुए 26/11 हमलों के अभियुक्त आतंकी तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana) का अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण करा लिया गया है.
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने कहा है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमलों के ज़िम्मेदार आतंकी तहव्वुर राणा का गुरुवार को अमेरिका से सफल प्रत्यर्पण कर लिया गया है.
भारत की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी एनआईए ने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा है कि प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले आतंकी तहव्वुर राणा अमेरिका में न्यायिक हिरासत में था. राना के पास सारे क़ानूनी विकल्प ख़त्म हो गए थे. इस वजह से उनका प्रत्यर्पण हो सका है.
अमेरिका में पाकिस्तानी आतंकी तहव्वुर राणा को वर्ष 2013 में अपने दोस्त डेविड कोलमैन हेडली (पाकिस्तानी आतंकी ने अपना नाम बदल लिया था) के साथ मुंबई के हमले को अंजाम देने और डेनमार्क में हमले की योजना बनाने के आरोप में दोषी पाया गया था. इन मामलों में तहव्वुर हुसैन राना को अमेरिकी अदालत ने 14 साल जेल की सज़ा सुनाई थी.
ज्ञात हो कि, 26 नवंबर, 2008 की रात को 10 पाकिस्तानी आतंकवादीओं ने मुंबई की कई इमारतों पर एक साथ हमला किया था. इस हमले में इस्राइल और अमेरिका सहित भारत के 164 लोग मारे गए. पुलिस की कार्रवाई में नौ चरमपंथी भी मारे गए और एक आतंकी कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। कसाब को बाद में कानूनी प्रक्रिया के बाद फांसी पर लटका दिया गया था।
तहव्वुर राणा अमेरिका में कैसे पकड़ा गया?
अमेरिका जाँच एजेंसी एफ़बीआई ने राना और हेडली को अक्तूबर 2009 में शिकागो एयरपोर्ट पर गिरफ़्तार किया था.
एफ़बीआई का दावा है कि ये दोनों डेनमार्क में चरमपंथी हमला करने के लिए जा रहे थे और उनकी योजना जिलैंड्स-पोस्टेन अख़बार के दफ़्तर पर हमले की थी. इस अख़बार ने पैग़ंबर मोहम्मद के विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किए थे.
इस गिरफ़्तारी के बाद हुई पूछताछ के दौरान मुंबई हमलों में इन दोनों के शामिल होने की भी पुष्टि हुई.
इस तरह राना को दो अलग-अलग साज़िशों में शामिल होने के लिए 14 साल जेल की सज़ा दी गई.
अक्तूबर 2009 में गिरफ़्तारी के बाद के बयान में राना ने स्वीकार किया था कि पाकिस्तान में होने वाले लश्कर के प्रशिक्षण शिविरों में उसके आतंकी दोस्त हेडली ने भाग लिया था.
पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर था तहव्वुर राणा
26/11 के मुंबई हमलों का साजिशकर्ता आतंकवादी 64 वर्षीय तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर था और वह आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में शामिल होने के लिए जाना जाता रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही ये एलान कर दिया था कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए हमलों के साज़िशकर्ता तहव्वुर राना को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा.
इसके बाद तहव्वुर राना ने अमेरिकी अदालतों में प्रत्यर्पण को रोकने की कई तरह से कोशिश की थी लेकिन वह सफल नहीं रहा. इसके बाद अब उन्हें भारत लाया गया है.
इस साल फ़रवरी में अमेरिका पहुँचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाक़ात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, ‘मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले से जुड़े आतंकी तहव्वुर राना को भारत में न्याय का सामना करना होगा.”
भारत अरसे से पाकिस्तानी सेना के डॉक्टर आतंकी तहव्वुर राना के प्रत्यर्पण की मांग करता रहा है. लेकिन आतंकी तहव्वुर राणा अमेरिकी कानून में मौजूद लूप होल्स और राजनैतिक पूर्व राष्ट्रपती के पाकिस्तान प्रेम के कारण अभी तक बचता रहा था।
एक बार तो अमेरिकी अदालत ने तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की अनुमति भी दे दी थी. लेकिन पिछले साल नंवबर में उन्होंने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी. इस याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ख़ारिज कर दिया है.
मुंबई में उस दिन क्या-क्या हुआ था?
26 नवंबर 2008 को पाकिस्तानी आतंकी गुट लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस आतंकवादी मुंबई में रात के अंधेरे में समुद्र के रास्ते मछली पकड़ने की नौका पर सवार हो कर मुंबई में घुस आए और मुंबई की कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था। मुंबई हमलों में अमेरिका और इस्राइल सहित भारत के 160 लोग मारे गए थे.
साल 2008 की 26 नवंबर की उस रात को एकाएक मुंबई गोलियों की आवाज़ से दहल उठी. हमलावरों ने मुंबई के दो पाँच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया.
शुरू में किसी को अंदाज़ा नहीं था कि इतना बड़ा हमला हुआ है लेकिन धीरे-धीरे इस हमले के पैमाने और संजीदगी का अनुमान होना शुरू हुआ. 26 नवंबर की रात में ही आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे समेत मुंबई पुलिस के कई आला अधिकारी भी इस हमले में अपनी जान गँवा बैठे.
लियोपोल्ड कैफ़े और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से शुरू हुआ मौत का ये तांडव ताजमहल होटल में जाकर ख़त्म हुआ. लेकिन इस बीच सुरक्षाकर्मियों को 60 से भी ज़्यादा घंटे लग गए. 160 से ज़्यादा लोगों ने अपनी जान गँवाई.
आइए जानते हैं उस रात कहां क्या-क्या हुआ,
ओबेरॉय होटल
ओबेरॉय होटल व्यापारिक तबके के बीच काफ़ी लोकप्रिय है. इस होटल में भी हमलावर ढेर सारे गोला-बारूद के साथ घुसे थे.
माना जाता है कि उस समय उस होटल में 350 से ज़्यादा लोग मौजूद थे. यहाँ हमलावरों ने कई लोगों को बंधक भी बना लिया.
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के जवानों ने यहाँ दोनों हमलावरों को मार दिया.
लियोपोल्ड कैफ़े
मुंबई पुलिस और जाँच अधिकारियों की मानें तो हमलावर दो-दो के गुटों में बँटे हुए थे. लियोपोल्ड कैफ़े में पहुँचे दो हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियाँ चलाई.
आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक़ लियोपोल्ड कैफ़े में हुई गोलीबारी में 10 लोग मारे गए.
इस कैफ़े में ज़्यादातर विदेशी आते हैं. विदेशी पर्यटकों के बीच यह कैफ़े काफ़ी लोकप्रिय है. इससे पहले ही वहाँ मौजूद लोग कुछ समझ पाते, हमलावरों ने जमकर गोलियाँ चलाईं और वहाँ से निकलते बने.
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस
सबसे ज़्यादा आतंक का तांडव इस भीड़-भाड़ वाले रेलवे स्टेशन पर मचा. देश के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक है मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस.
यहाँ बड़ी संख्या में रेल यात्री मौजूद थे. पाकिस्तानी आतंकवादीयों ने यहाँ अंधाधुंध गोलियाँ चलाईं. जाँच अधिकारियों की मानें तो यहाँ हुई गोलीबारी में आतंकी अजमल आमिर कसाब और इस्माइल ख़ान शामिल थे.
बाद में अजमल आमिर कसाब पकड़ा गया लेकिन इस्माइल ख़ान मारा गया. यहाँ की गोलीबारी में सबसे ज़्यादा 58 लोग मारे गए.
ताजमहल होटल
ताजमहल होटल के गुंबद में लगी आग आज भी लोगों के मन मस्तिष्क पर छाई हुई है. गोलीबारी और धमाकों के बीच मुंबई की आन-बान-शान ताजमहल होटल की आग लोग शायद ही भूल पाएँ.
ये इमारत 105 साल पुरानी है. गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास स्थित ताज महल होटल विदेशी पर्यटकों में काफ़ी लोकप्रिय है. यहाँ से समुद्र का नज़ारा भी दिखाई देता है.
होटल पर जब पाकिस्तानी आतंकवादीयों का हमला हुआ तो वहाँ रात के खाने का समय था और बहुत सारे लोग वहाँ इकट्ठा थे कि तभी अचानक अंधाधुंध गोलियाँ चलने लगीं.
मुंबई का सबसे बड़ा लैंडमार्क है ताजमहल होटल. गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास मौजूद इस ऐतिहासिक बिल्डिंग में कई घंटों तक सुरक्षाबलों का ऑपरेशन चला था
सरकारी आँकड़ों की मानें तो ताजमहल होटल में 31 लोग मारे गए और चार हमलावरों को सुरक्षाकर्मियों ने मार दिया.
कामा अस्पताल
कामा अस्पताल एक चैरिटेबल अस्पताल है, इसका निर्माण एक अमीर व्यापारी ने 1880 में कराया था.
मुंबई पुलिस की मानें तो चार पाकिस्तानी आतंकवादीयों ने एक पुलिस वैन को अगवा कर लिया और उसके बाद लगातार गोलियाँ चलाते रहे.
इसी क्रम में वे कामा अस्पताल में भी घुसे. कामा अस्पताल के बाहर ही मुठभेड़ के दौरान आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे, मुंबई पुलिस के अशोक कामटे और विजय सालसकर मारे गए.
नरीमन हाउस
इसके अलावा पाकिस्तानी आतंकवादीयों ने नरीमन हाउस को भी निशाना बनाया. नरीमन हाउस चबाड़ लुबाविच सेंटर के नाम से भी जाना जाता है. नरीमन हाउस में भी हमलावरों ने कई लोगों को बंधक बनाया था.
जिस इमारत में पाकिस्तानी आतंकवादी घुसे थे वह यहूदियों की मदद करने के लिए बनाया गया एक सेंटर था, जहाँ यहूदी पर्यटक भी अक्सर ठहरते थे.
इस सेंटर में यहूदी धर्मग्रंथों की बड़ी लाइब्रेरी और उपासनागृह भी है. यहाँ एनएसजी कमांडो को कार्रवाई करने के लिए हेलिकॉप्टर से बगल वाली इमारत में उतरना पड़ा.
कार्रवाई हुई और पाकिस्तानी आतंकवादी मारे भी गए लेकिन किसी भी बंधक को बचाया नहीं जा सका. यहाँ सात लोग और दो आतंकी मारे गए.
चबाड़ हाउस पर हुए हमले में, इसका संचालन करने वाले गेवरील और उनकी पत्नी रिवका भी मारे गए थे. उन का दो साल का बेटा मोशे बच गया था. यहां हुए हमले में छह यहूदी मारे गए थे.
पाकिस्तान की सेना में ऊंचे पदों पर बैठे अफसर लोग और राजनेताओं ने, मुल्क बनने से लेकर आजतक भ्रस्टाचार और सत्ता लोलुपता के चक्कर में पाकिस्तान को कई बार, अलग अलग देशों को बेचा और मोटा पैसा कमाया. आज पाकिस्तानी सेना के अफसर और राजनेता अमेरिका, पेरिस और लंदन जैसी जगहों पर आलीशान बंगले बना कर रह रहे हैं, उनके बच्चे विदेशों में पड़ रहे हैं।
पाकिस्तान के सभी पड़ोसी देशों तथा अमेरिका, ब्रिटेन, रूस आदि पश्चिमी देशों का यह अरसे से आरोप रहा है कि पाकिस्तान प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विभिन्न आतंकी कार्यवाइयों में लिप्त रहा है।
साल 2011 में ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान की राजधानी के पास अमेरिका द्वारा मारे जाने पर यह आरोप पुष्ट भी हुआ है। पाकिस्तान को ‘आतंकियों का स्वर्ग’ कहा जाता है और संसार का सर्वाधिक ख़तरनाक देश माना जाता है।
दुनिया के लगभग 90 फीसदी आतंकी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा, लश्कर-ए-ओमर, जैश-ए-मोहम्मद, हरकतुल मुजाहिद्दीन, सिपाह-ए-सहाबा, हिज़्बुल मुजाहिदीन आदि सब पाकिस्तान में रहकर अपनी आतंकी गतिविधियाँ चलाते हैं और पाकिस्तानी सेना, खुफ़िया एजेंसी आईएसआई से इन्हें सक्रिय प्रशिक्षण, हथियार, गोला बारूद, संचार के साधन एवं अन्य सहयोग मिलते हैं।
पाकिस्तानी सेना में ऊंचे पदों पर बैठे अफसर और राजनेताओं के लिए पाकिस्तान महज एक पैसा कमाने की जगह है जहाँ आतंकवाद का कारोबार होता है। और दुनिया को दहलाने वाले कसाब, तहव्वुर राणा (Tahawwur Rana), डेविड कोलमैन हेडली (पाकिस्तानी आतंकी) जैसे आतंकी पैदा कर एक्सपोर्ट किए जाते हैं और पैसा बराबर रूप से सेना और राजनेताओं को मिलता है।