पेरिस शिखर सम्मेलन (Paris AI Summit) में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर हुए सम्मेलन में समझौते पर दो बड़े देशों ने ही दस्तखत नहीं किए. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की.
पेरिस शिखर सम्मेलन (Paris AI Summit) में ब्रिटेन और अमेरिका ने पेरिस में अंतरराष्ट्रीय एआई समिट में एक अहम समझौते पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया. ब्रिटेन सरकार के मुताबिक, यह समझौता राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सवालों का सही समाधान नहीं देता.
पेरिस में हुए इस सम्मेलन में दुनियाभर के नेता एआई टेक्नोलॉजी को सुरक्षित और नैतिक बनाने के लिए नियम तय करने पर सहमत हुए. हालांकि ब्रिटेन और अमेरिका, जहां दुनिया की सबसे बड़ी एआई कंपनियां हैं, दोनों ही इस समझौते पर हस्ताक्षर को राजी नहीं हुए. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर पहले ही कह चुके हैं कि उनका देश अपने हिसाब से एआई के लिए नियम बनाएगा.
ब्रिटेन और अमेरिका नहीं हुए सहमत
ब्रिटेन सरकार के प्रवक्ता ने कहा, “हमने महसूस किया कि इस घोषणा में वैश्विक प्रशासन को लेकर व्यावहारिक स्पष्टता नहीं थी और इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कठिन सवालों का समाधान भी नहीं था.” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग जारी रखेंगे.
फ्रांस और भारत ने इस सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें जर्मनी और चीन सहित कई देशों ने हस्ताक्षर किए. यह समझौता कहता है कि एआई को ‘खुला, पारदर्शी, नैतिक, सुरक्षित और भरोसेमंद’ बनाना जरूरी है. हालांकि, ओपनएआई (openai) जैसी बड़ी कंपनियों के इस समझौते का समर्थन करने के कोई संकेत नहीं मिले.
ब्रिटेन क्या अमेरिका के फैसले से प्रभावित हुआ ?
ब्रिटेन सरकार के प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि उनका देश अमेरिका के फैसले से प्रभावित नहीं था. उन्होंने कहा, “हम केवल उन्हीं पहलुओं को स्वीकारते हैं जो हमारे राष्ट्रीय हित में हों.”
पिछले महीने, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टारमर ने यूके को एआई का ‘वैश्विक नेता’ बनाने का वादा किया था. उन्होंने कहा कि कंपनियों को अपनी नई तकनीकों को ब्रिटेन में टेस्ट करने का मौका मिलेगा और सरकार इसे अपने तरीके से नियंत्रित करेगी.
अमेरिका को सेंसरशिप की चिंता
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस ने इस पेरिस शिखर सम्मेलन (Paris AI Summit) में यूरोपीय देशों को चेतावनी दी कि एआई पर ज्यादा नियम-कानून बनेंगे तो यह उद्योग खत्म हो सकता है. सीधा नाम न लेकर, चीन की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ तानाशाही सरकारें एआई का गलत इस्तेमाल कर रही हैं और इससे सुरक्षा खतरे बढ़ सकते हैं.
वैंस ने कहा कि अत्यधिक रेगुलेशन एक उभरते उद्योग को उसकी प्रारंभिक अवस्था में ही नष्ट कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि एआई को विचारधारा से मुक्त रखना आवश्यक है और अमेरिकी एआई को “तानाशाही सेंसरशिप” (Dictatorial censorship) के उपकरण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
वैंस ने यूरोपीय संघ के डिजिटल सेवा अधिनियम और जीडीपीआर जैसे नियमों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि इनसे छोटे उद्यमों के लिए कानूनी लागत बढ़ जाती है. उन्होंने कहा, “बिल्कुल, हम इंटरनेट को सुरक्षित बनाना चाहते हैं, लेकिन एक बच्चे को ऑनलाइन शोषण से बचाने और एक वयस्क को उस विचार तक पहुंचने से रोकने के बीच अंतर है, जिसे सरकार गलत सूचना मानती है.”
यूरोपीय संघ ने हाल ही में एआई एक्ट पारित किया है, जो दुनिया में इस तकनीक के लिए पहला व्यापक नियामक ढांचा है.
यूरोप भी बदलेगा अपना रुख?
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने इस पेरिस शिखर सम्मेलन (Paris AI Summit) में कहा कि एआई में विश्वास बनाए रखने के लिए रेगुलेशन आवश्यक हैं, अन्यथा लोग इसे अस्वीकार कर देंगे. उन्होंने कहा, “हमें एक भरोसेमंद एआई की आवश्यकता है.” यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फोन डेर लेयेन ने भी कहा कि ईयू एआई पर नियमों को सरल बनाएगा और इसमें निवेश बढ़ाएगा.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पेरिस शिखर सम्मेलन (Paris AI Summit) या समिट के सह-आयोजक थे. उन्होंने कहा, “एआई लाखों लोगों की जिंदगियां बदल रहा है. समय के साथ-साथ रोजगार का स्वरूप भी बदल रहा है. एआई से रोजगार के संकट पर ध्यान देना होगा. इतिहास गवाह है कि तकनीक नौकरियां नहीं लेती. एआई से नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे.”
इस सम्मेलन में चीन ने भी भाग लिया और कहा कि वह एआई को सुरक्षित बनाने के लिए अन्य देशों के साथ काम करने के लिए तैयार है. चीन के उपप्रधानमंत्री शांग गुओकिंग ने कहा, “हम एआई को साझा भविष्य के लिए विकसित करना चाहते हैं.”
अमेरिका और ब्रिटेन के इस समझौते से अलग क्यों?
अमेरिका और ब्रिटेन के इस समझौते पर हस्ताक्षर ना करने के पीछे क्या कारण थे, यह तुरंत स्पष्ट नहीं था, जबकि चीन समेत 60 से अधिक देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए. आयोजकों से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि अमेरिका के इस पर हस्ताक्षर ना करने की संभावना पहले से थी, क्योंकि वह रेगुलेशन के प्रति अलग नजरिया रखता है.
एक ब्रिटिश सरकारी सूत्र ने कहा कि यूके की चिंताएं इस समझौते में कुछ विशेष शब्दों से जुड़ी थीं, जिन्हें बदलने में सफलता नहीं मिली. उन्होंने कहा कि पेरिस समिट में अपनाई गई नीति ब्रिटेन द्वारा 2023 में आयोजित पहली एआई सुरक्षा समिट से काफी अलग थी.
स्टैन्फर्ड इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन-सेंटर्ड एआई के कार्यकारी निदेशक रसेल वाल्ड ने कहा, “स्पष्ट रूप से, जेडी वैंस के भाषण से पता चलता है कि अब अमेरिकी नीति में एक निर्णायक बदलाव आ गया है. सुरक्षा अब प्राथमिक मुद्दा नहीं होगा, बल्कि तेजी से इनोवेशन और अवसर को प्राथमिकता दी जाएगी, क्योंकि सुरक्षा का मतलब नियमों की बढ़ोतरी से है और नियमों की बढ़ोतरी का मतलब है, अवसर खो देना.”
ओपनएआई की प्रतिस्पर्धी कंपनी एंथ्रोपिक के सीईओ डारियो अमोडेई ने कहा कि इस पेरिस शिखर सम्मेलन (Paris AI Summit) में दुनिया ने “एक मौका गंवा” दिया. उन्होंने कहा कि इसमें आपूर्ति श्रृंखला नियंत्रण, एआई से जुड़े सुरक्षा जोखिम और संभावित श्रम बाजार में बदलाव पर चर्चा करने का अवसर खो गया.
पेरिस शिखर सम्मेलन (Paris AI Summit) में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक बहुत ही रोचक और यथार्थ बात अपने सम्बोधन में कही, उन्होंने कहा कि,
मैं एक सरल प्रयोग से शुरुआत करना चाहता हूं।
यदि आप अपनी मेडिकल रिपोर्ट किसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ऐप पर अपलोड करते हैं, तो यह किसी भी शब्दजाल से मुक्त होकर सरल भाषा में समझा सकता है कि आपके स्वास्थ्य के लिए इसका क्या मतलब है। लेकिन, यदि आप उसी ऐप से किसी व्यक्ति को उसके बाएं हाथ से लिखते हुए चित्रित करने के लिए कहते हैं, तो सबसे अधिक संभावना है कि ऐप किसी व्यक्ति को उसके दाएं हाथ से लिखते हुए चित्रित करेगा। क्योंकि प्रशिक्षण डेटा में यही बात हावी है।
यह दर्शाता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सकारात्मक क्षमता बिल्कुल अद्भुत है, लेकिन इसमें कई पूर्वाग्रह भी हैं जिनके बारे में हमें सावधानी से सोचने की जरूरत है। इसलिए मैं इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने और मुझे इसकी सह-अध्यक्षता के लिए आमंत्रित करने के लिए अपने मित्र राष्ट्रपति मैक्रों का आभारी हूं।