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Friday, July 4, 2025

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मंदिरों में केवल हिंदुओं को ही रोजगार मिले: रंजीत सावरकर

रंजीत सावरकर ने कहा कि, देश में  ‘हिंदू कार्यबल’ बनाने की जरूरत है जहां मंदिरों में केवल हिंदुओं को ही रोजगार दिया जाए, श्री साईं पालकी निवार, नीमगांव, शिरडी में आयोजित बैठक में महाराष्ट्र भर से 875 आमंत्रित मंदिर ट्रस्टियों, प्रतिनिधियों, पुजारियों, मंदिर संरक्षण के लिए लड़ने वाले वकीलों और मंदिर विद्वानों ने भाग लिया।

क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के पोते और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के अध्यक्ष रंजीत सावरकर ने कहा कि एक ‘हिंदू कार्यबल’ बनाने की आवश्यकता है, जहां केवल हिंदुओं को मंदिरों में नियुक्त किया जाएगा।

आज ‘हलाल प्रमाणीकरण’ (Halal certification)के माध्यम से धार्मिक प्रभाव का विस्तार करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके प्रत्युत्तर में स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक ने ‘ओम प्रमाणीकरण’ (Om certification) की शुरुआत की है।

कुछ समय पहले शुरू की गई इस पहल के बारे में बताते हुए सावरकर ने कहा, “मंदिरों में या उसके आसपास काम करने वाले हिंदू व्यापारियों के लिए यह प्रमाणीकरण आवश्यक है।”

सावरकर ने रविवार को शिरडी में महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट परिषद की बैठक में कहा, “इसके अतिरिक्त, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मंदिरों में केवल हिंदू कर्मचारी हों, हम जल्द ही एक ‘हिंदू कार्यबल’ बनाएंगे, जहां केवल हिंदुओं को ही रोजगार दिया जाएगा।”

श्री साईं पालकी निवार, नीमगांव, शिरडी में आयोजित इस बैठक में महाराष्ट्र भर से 875 आमंत्रित मंदिर ट्रस्टियों, प्रतिनिधियों, पुजारियों, मंदिर संरक्षण के लिए लड़ने वाले वकीलों और मंदिर विद्वानों ने भाग लिया।

108 मंदिरों में हिंदू धर्म और संस्कृति के बारे में जानकारी देने वाले बोर्ड लगाने, 100 से अधिक मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने और मंदिरों में बच्चों के लिए सांस्कृतिक शिक्षा कक्षाएं शुरू करने जैसी पहलों पर चर्चा की गई।

मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करते हुए, मंदिर के ट्रस्टियों और प्रतिनिधियों द्वारा ‘जहां मंदिर है, वहां आरती’ का संकल्प लिया गया।

“जो लोग हिंदू देवी-देवताओं में विश्वास नहीं रखते, वे मंदिर परिसर में दुकानें लगाते हैं और प्रसाद, फूल बेचते हैं। इसके अलावा, वे सामानों पर थूकने जैसी प्रथाओं में लिप्त रहते हैं, जिसे ‘थूक जिहाद’ कहा जाता है।

मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय समन्वयक सुनील घनवट ने कहा, “अब से गांव के मेलों या त्योहारों के दौरान हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अन्य धर्मों की दुकानों को अनुमति न दी जाए।”

 

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