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Friday, July 4, 2025

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महाकुंभ 2025: गीता प्रेस की अनूठी पहल, सिर्फ 5 रुपये में ‘महाकुंभ पर्व’ पुस्तिका

महाकुंभ 2025 के इस भव्य आयोजन में गीता प्रेस के कैंप में  पुस्तकालय होगा, और श्रद्धालुओं के लिए धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता के वास्तविक अर्थ को समझाने के लिए बिभिन्न प्रकार के चित्र और बहुभाषी साहित्य भी उपलब्ध होंगे।

महाकुंभ 2025 में गीता प्रेस एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करने के लिए तैयार है. इस बार गीता प्रेस एक भव्य कैंप स्थापित करेगा, जिसमें बहुभाषी धार्मिक साहित्य उपलब्ध होगा.

गीता प्रेस इस बार महाकुंभ 2025 के लिए “महाकुंभ पर्व” नामक विशेष पुस्तिका लेकर आ रहा है. यह पुस्तिका महाकुंभ और अर्धकुंभ के आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व को सरल भाषा में समझाएगी. मात्र 5 रुपये की कीमत वाली यह पुस्तिका हर वर्ग के श्रद्धालुओं को महाकुंभ की परंपरा और गहराई से परिचित कराएगी.

बहुभाषी धार्मिक साहित्य उपलब्ध होगा

गीता प्रेस का कैंप इस बार श्रीमद्भगवद्गीता, रामचरितमानस, पुराण, और अन्य प्रमुख धार्मिक ग्रंथों को विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराएगा. यह पहल सुनिश्चित करेगी कि हर क्षेत्र और भाषा के श्रद्धालु धर्म और आध्यात्मिकता के इस अमूल्य खजाने से जुड़ सकें.

गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल के अनुसार, आधुनिक तकनीकों की मदद से बड़े पैमाने पर साहित्य छपाई अब आसान हो गई है. हालांकि, जगह की सीमाओं और व्यापक मांग के चलते, इस बार पांच करोड़ रुपये मूल्य तक के साहित्य वितरण का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण रहेगा.

साहित्य वितरण की तैयारी

गीता प्रेस की जानकारी के अनुसार, गीता प्रेस की पुस्तकें 10 जनवरी तक कैंप तक पहुंच जाएंगी. ट्रकों के माध्यम से इन पुस्तकों को समय पर भेजने की योजना बनाई गई है. इस कैंप का उद्देश्य न केवल धार्मिक पुस्तकों का वितरण है, बल्कि श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता से गहराई से जोड़ना भी है.

महाकुंभ 2025 में साहित्य और श्रद्धा का संगम

गीता प्रेस का यह कैंप श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष स्थल बनेगा, जहां वे न केवल महाकुंभ के भव्य आयोजन का अनुभव करेंगे, बल्कि अपने साथ धार्मिक और सांस्कृतिक साहित्य का अमूल्य खजाना भी ले जाएंगे. यह पहल भारतीय संस्कृति और धार्मिकता के प्रचार-प्रसार का एक सराहनीय प्रयास है.

गीता प्रेस, एक हिन्दू धर्म की पुस्तकों के प्रकाशन की संस्था है, जिसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में है। गीता प्रेस हिंदू धार्मिक ग्रंथों का दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाशक है। इसकी स्थापना 1923 में जया दयाल गोयनका और घनश्याम दास जालान ने हिंदू धर्म के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए की थी।

कैसे हुई गीत प्रेस की स्थापना?

हिंदू धर्म के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए जयदयाल गोयनका ने तय किया कि वह खुद शुद्ध और सस्ती गीता छपवाकर लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने जब गीता की प्रति प्रेस में दी तो कई बार संशोधन करवाना पड़ा, आखिरकार प्रेस के मालिक ने हाथ खड़े कर दिये और गोयनका को सलाह दी कि अगर इतनी शुद्ध गीता की कॉपी छपवानी है तो खुद की प्रेस लगा लें। और इससे प्रेरित होकर उन्होंने घनश्याम दास जालान के साथ मिलकर गीत प्रेस की स्थापना की।

 

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