मार्क कार्नी कनाडा के अगले प्रधानमंत्री होंगे. कनाडा के केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर रहे 59 वर्षीय अर्थशास्त्री मार्क कार्नी को लिबरल पार्टी के आंतरिक मतदान में 85.9% वोट मिले। और वह लिबरल पार्टी का नेता बनने के साथ ही पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार में प्रधानमंत्री के रूप में काम करेंगे.
कनाडा के केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी देश के अगले प्रधानमंत्री होंगे. पूर्व प्रधानमंत्री ट्रूडो से कमान संभालने के बाद उनके लिए पहली बड़ी चुनौती डॉनल्ड ट्रंप का टैरिफ एजेंडा होगा.
59 वर्षीय अर्थशास्त्री, मार्क कार्नी कनाडा के अगले प्रधानमंत्री होंगे. कनाडा के केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर रहे कार्नी को लिबरल पार्टी के आंतरिक मतदान में 85.9% वोट मिले.
लिबरल पार्टी की लीडरशिप के लिए हुए चुनाव में कार्नी को लगभग एकतरफा समर्थन मिला है. पार्टी को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर अपकी मजबूत पकड़ के बूते कार्नी, कनाडा की मुश्किलों का हल निकालेंगे
मार्क कार्नी, जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे जो बीते 9 वर्षों से कनाडा के प्रधानमंत्री हैं. ट्रूडो ने इसी साल जनवरी में प्रधानमंत्री और पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी. आने वाले कुछ दिनों में ट्रूडो आधिकारिक तौर पर कनाडा के गवर्नर-जनरल को इस्तीफा सौंपेंगे और फिर कार्नी को नई सरकार के गठन के लिए न्योता दिया जाएगा. कार्नी को चुनावी राजनीति का अनुभव नहीं है. इससे पहले वह किसी भी निर्वाचित पद पर नहीं रहे हैं.
कार्नी पेशेवर अर्थशास्त्री हैं और 2008 में कनाडा के केंद्रीय बैंक के गवर्नर बने थे. 2013 में उन्हें बैंक ऑफ इंग्लैंड का गवर्नर नियुक्त किया गया. इस तरह वह बैंक के 300 साल के इतिहास में पहले गैर-ब्रिटिश गवर्नर बने. लिबरल पार्टी के नेतृत्व वाली कनाडा की मौजूदा सरकार का कार्यकाल अक्टूबर महीने में खत्म हो रहा है. प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद मार्क कार्नी को संसदीय चुनाव के लिए 20 अक्टूबर से पहले की कोई एक तारीख चुननी होगी. सर्वेक्षणों में विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी कुछ आगे नजर आ रही है. इस लिहाज से कार्नी के लिए यह पहली और एक बड़ी चुनावी परीक्षा होगी.
अमेरिका को कनाडा के प्रति सम्मान दिखाना होगा
प्रधानमंत्री कार्यालय में मार्क कार्नी को पहले दिन से ही अमेरिकी राष्टपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ अजेंडे से निपटना होगा. अमेरिका-कनाडा व्यापार के लिहाज से बड़े साझेदार हैं. दोनों की ओर से निर्यात पर शुल्क (टैरिफ) की घोषणा से आम ग्राहकों और कंपनियों को नुकसान होगा. इसके अलावा ट्रंप, कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बातें कहते रहे हैं.
लिबरल पार्टी का नेता चुने जाने के बाद अपने संबोधन में कार्नी ने कहा कि ट्रंप “कनाडा के कामगारों, परिवारों और कारोबारों पर हमला कर रहे हैं. हम उन्हें सफल नहीं होने दे सकते.” उन्होंने कहा, “मेरी सरकार हमारी ओर से लगाए टैरिफ जारी रखेगी, जब तक अमेरिकी हमारे प्रति सम्मान नहीं दिखाते.” साथ ही कहा, “अमेरिका, कनाडा नहीं है. कनाडा कभी भी अमेरिका का किसी भी रूप में हिस्सा नहीं होगा.”
अपने विदाई भाषण में पार्टी नेतृत्व और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते वक्त कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भावुक नजर आए
अपने विदाई भाषण में प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा कि कनाडा इस वक्त अपने पड़ोसी अमेरिका से अस्तित्व की चुनौती और एक आर्थिक संकट झेल रहा है.
मार्क कार्नी को लिबरल पार्टी का नया नेता चुना गया है। वह कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनेंगे। हालांकि, कार्नी की पहचान एक राजनेता की नहीं रही है। उनको एक अर्थशास्त्री के तौर पर अधिक जाना जाता है। उन्होंने हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड जैसी विश्व की टॉप यूनिसवर्सिटी से अपनी पढ़ाई की है।
मार्क कार्नी 59 साल के हैं, वह कनाडा के नॉर्थवेस्ट टेरिटरीज के फोर्ट स्मिथ में 1965 में पैदा हुए थे। एडमॉन्टन में पले-बढ़े कार्नी आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका गए और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने यूनाइटेड किंगडम से मास्टर डिग्री और फिर 1995 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। कार्नी ने पढ़ाई के दिनों में आइस हॉकी भी खेली है।
बैंक गवर्नर के तौर पर मिली पहचान
मार्क कार्नी ने लंबे समय तक दुनिया के बड़े बैंकों में काम किया है। साल 2008 में कार्नी को बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर नियुक्त किया गया था। इस पद पर रहते हुए उनको दुनियाभर में पहचान मिली। 2008 के वित्तीय संकट से कनाडा को उबारने में कार्नी की अहम भूमिका रही। साल 2010 में टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों में चुना। अगले ही साल 2011 में रीडर्स डाइजेस्ट कनाडा ने उन्हें ‘मोस्ट ट्रस्टेड कैनेडियन’ के खिताब से नवाजा और 2012 में यूरोमनी मैगजीन ने उन्हें सेंट्रल बैंक गवर्नर ऑफ द ईयर चुना।
साल 2013 में कार्नी बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर का पदभार संभालने के लिए यूके आए। वे 300 साल के इतिहास में इस संस्थान का नेतृत्व करने वाले पहले गैर-ब्रिटिश नागरिक बने। उन्होंने 2020 तक इस पद पर काम किया। 2020 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु कार्रवाई और वित्त के लिए विशेष दूत के रूप में काम करना शुरू किया। कार्नी गोल्डमैन सैक्स में भी काम कर चुके हैं। कनाडा की लिबरल पार्टी का नेतृत्व करने के लिए उन्होंने दूसरे सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।
1994 में ब्रिटेन की डायना फॉक्स से शादी
मार्क कार्नी ने 1994 में ब्रिटेन की डायना फॉक्स से शादी की। विकासशील देशों में विशेषज्ञता रखने वाली ब्रिटिश अर्थशास्त्री फॉक्स और कार्नी की मुलाकात ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई थी। फॉक्स के पास यूके और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। पिछले कुछ सालों से वह अफ्रीका, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में काम कर रही हैं। इस जोड़े के चार बच्चे हैं। फॉक्स और कार्नी के चार बच्चे हैं, जो पढ़ाई कर रहे हैं।
कनाडा पीएम के तौर पर कार्नी के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना होगा। महामारी के बाद कनाडा की अर्थव्यवस्था में सुस्ती है। इसके अलावा, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी भी बड़ी समस्याएं हैं। कनाडा को लेकर अमेरिका के सख्त रुख से निपटना भी उनकी चुनौती है। अमेरिका से व्यापार युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहे कनाडा के लिए मार्क कार्नी का पीएम बनना और भी खास हो जाता है