मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) को समर्पित, 5 जनवरी 2025 को पड़ने वाली स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti), राक्षस सुरपद्मन पर भगवान मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) की विजय के सम्मान में मनाई जाती है।
पौष स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti) व्रत के दिन भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) की पूजा करने का विधान है।
हिन्दू धर्म में स्कंद षष्ठी पर्व का बहुत अधिक महत्व होता है, इस व्रत से जातक में आत्मबल और स्वलंबन की भावना जाग्रत होती है साथ ही साथ शारीरक स्वास्थ और अपने जीवन में सुचिता का भी भाव आता है। जिससे घर परिवार में सुख-समृद्धि में बनी रहती है।
आइए हम आपको पौष स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में कुछ और जानते हैं।
पौष स्कंद षष्ठी क्या है?
पौष स्कंद षष्ठी को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। पौष स्कंद षष्ठी का व्रत पौष माह में, शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र, मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) की पूजा-अर्चना का विधान है।
मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) को देवताओं का सेनापति माना जाता है। विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय की पूजा दक्षिण भारत में की जाती है।
पौष स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह की शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि का आरंभ 4 जनवरी की रात 10:00 बजे होगा और इसका समापन 5 जनवरी को रात 8:15 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत 5 जनवरी को रखा जाएगा।
पौष स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व
भगवान मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। भगवान मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) की कृपा से रोगों से मुक्ति, सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
स्कंद षष्ठी व्रत का पालन न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का आशीर्वाद भी मिलता है।
पौष स्कंद षष्ठी के दिन शुभ योग
पंडितों के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन रवि योग बन रहा है। इस योग का संयोग सुबह 07 बजकर 15 मिनट से हो रहा है और इसका समापन रात 08 बजकर 18 मिनट तक है। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूरी रात रहने वाला है। उसके बाद त्रिपुष्कर योग और अभिजीत मुहूर्त हैं।
इस दिन शिवावास योग रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहने वाला है। इस दौरान विधिवत रूप से मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) भगवान की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
पौष स्कंद षष्ठी के दिन कैसे करें पूजा?
मान्यताओं के अनुसार पौष स्कंद षष्ठी का व्रत बहुत खास होता है। सबसे पहले सुबह उठें और पवित्र स्नान करें। अपने घर और मंदिर को साफ करें।
भगवान मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) के लिए घर पर ही प्रसाद तैयार करें। एक चौकी पर भगवान मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) की तस्वीर स्थापित करें। उन्हें गंगाजल से स्नान करवाएं। चंदन का तिलक लगाएं और पीले फूलों की माला अर्पित करें। देसी घी का दीपक जलाएं। ऋतु फल और घर पर बने प्रसाद का भोग लगाएं। स्कंद भगवान के मंत्रों का जाप करें। साथ ही आरती से पूजा को पूरी करें।
इस दिन तामसिक कार्यों से दूर रहें। गरीबों को दान-दक्षिणा दें। साथ ही प्रसाद से अगले दिन व्रत का पारण करें। सबसे पहले पूजा करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। साथ ही स्कंद षष्ठी की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीपक, नैवेद्य आदि एकत्रित करें।
मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) के सामने घी का दीपक जलाएं। भगवान कार्तिकेय को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें। भगवान को चंदन और अक्षत अर्पित करें।
इसके अलावा भगवान को फूल अर्पित करें और कमल का फूल चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
भगवान को फल, मिठाई या अन्य नैवेद्य अर्पित करें।
मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) के लिए
ॐ षडाननाय नमः, ॐ स्कन्ददेवाय नमः, ॐ शरवणभवाय नमः, ॐ कुमाराय नमः मंत्रों का जाप करें।
भगवान मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) की आरती करें और स्कंद षष्ठी की व्रत कथा का पाठ करें।
पूजा के दौरान मन को शांत रखें और मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) के प्रति श्रद्धाभाव रखें।
पूजा के समय किसी भी प्रकार का विवाद या झगड़ा न करें और व्रत के दिन मांस-मदिरा का सेवन न करें।
पौष स्कंद षष्ठी पर इन मंत्रों से करें पूजा
– ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात।।
– देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
– ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।।
स्कंद षष्ठी के दिन ये दान करें
शास्त्रों के अनुसार स्कंद षष्ठी पर दान का खास महत्व होता है। फल दान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है और मुरुगन स्वामी (कार्तिकेय) प्रसन्न होते हैं। दूध दान करने से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
दही दान करने से आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। गरीबों को अनाज दान करने से अन्नपूर्णा की कृपा प्राप्त होती है। जरूरतमंदों को वस्त्र दान करने से पापों का नाश होता है।
धन दान करने से धन में वृद्धि होती है। ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितृ दोष दूर होता है।