यूक्रेन में युद्ध का असर समाज के बुनियदी ढांचे पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है पारिवारिक संबंधों में तलाक अपना स्थान बना रहे है और तलाक के मामले बड़ रहे हैं।
“युद्ध हमेशा शासकों के अहंकार के कारण होते रहे हैं और देशभक्ति के नाम पर सैनिक, आम नागरिक उसमें अपनी आहुति देते रहे है। शासक के अहंकार की रक्षा करना, देश की रक्षा करना नहीं होता है लेकिन, सरकारी तंत्र और प्रशासन, शासक के अहंकार पर चोट को देश पर आक्रमण बता कर निरीह जनता को युद्ध की बिभीषिक में झोंक देते है”
यूक्रेन में युद्ध का असर समाज के बुनियदी ढांचे पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है, मीडिया की रेपोर्टों के अनुसार युद्ध का प्रभाव सबसे अधिक पारिवारिक संबंधों पर पड़ रहा है। दैनिक जीवन में एक दृश्य में, सरे विश्व युद्ध की प्रष्टभूमि पर फिल्माई गई कहानी की तरह, एक महिला सेना की वर्दी पहने पुरुष को गले लगा रही है और उन्हें ‘चूम’ रही है, लेकिन ये दृश्य यूक्रेन में दैनिक जीवन की सच्चाई है.
यूक्रेन और रूस के युद्ध को इस फरवरी में तीन साल हो जाएंगे. ये युद्ध न केवल फ़्रंटलाइन पर लड़ रहे यूक्रेनी सैनिकों के लिए मुश्किलों भरा है बल्कि उनका इंतज़ार कर रहीं उनकी पत्नियों के लिए भी उदासी भरा है.
मीडिया में एक दंपती की बहुत ही मार्मिक कहानी उजागर हुई है जिसमें युद्ध से आम जीवन में होने वाली मुश्किलों की एक झलक मिलती है।
इसके मुताबिक, जब युद्ध शुरू हुआ था तो ओक्साना और आरतेम की शादी को 18 महीने हुए थे. आरतेम को युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेनी सेना में शामिल होना पड़ा.
लेकिन, ये दंपती चाहते थे कि उनका बच्चा हो लेकिन दोनों के बीच युद्ध की वजह से मुलाकातें नहीं हो पाती थीं. आरतेम को युद्ध की वजह से कुछ ही समय के लिए छुट्टी लेने की अनुमति थी.
ऐसे में ओक्साना अपने पति से मिलने के लिए यूक्रेन की राजधानी कीएव के पास के शहर बिला त्सेरकवा में स्थित अपने घर से सैकड़ो किलोमीटर दूर खारकीएव क्षेत्र की यात्रा करती थीं. फिर यहां से वो पूर्वी यूक्रेन के शहर दोनेत्स्क जाती थीं.
दोनेत्स्क में तैनात अपने पति के साथ ओक्साना सिर्फ़ कुछ समय ही बिता पाती थीं.
ओक्साना और उनके पति की पहली ‘डेट’ अप्रैल 2022 में हुई थी और फिर दूसरी नवंबर में. इस बीच आरतेम घायल हो गए थे और ओक्साना को गर्भपात का सामना करना पड़ा था.
दोनों के लिए ये मुश्किल भरे दिन थे. ओक्साना अपने पति से मिलने फ्रंटलाइन आती रहीं लेकिन उनके पति को उनकी सुरक्षा की चिंता होती थी.
ओक्साना ने मीडिया को बताया कि, “मैं अपने जीवन की कल्पना पति को बिना देखे नहीं कर सकती. ये वो दिन होते हैं, जब जीवित महसूस करती हूँ.”
दंपती फ़्रंटलाइन के पास मौजूद गाँव या शहर में मिलते थे. दोनों रात को समय बिताने के लिए यहाँ उन स्थानीय घरों में ठहरते थे, जहाँ मालिक रात को उनसे इसके पैसे नहीं लेते थे. ये घर युद्ध से पहले गुलज़ार रहा करते थे.
दो बार गर्भपात का सामना कर चुकीं ओक्साना ने हाल ही में एक लड़के को जन्म दिया है. उन्हें अपने पहले बच्चे का लंबे समय से इंतज़ार था.
ओक्साना को उम्मीद थी कि उनके पति आरतेम गर्भावस्था में रहने और बच्चे को जन्म देने के दौरान मौजूद रहते लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली.
ओक्साना ने बच्चे को जन्म देने से कुछ समय पहले मुझे बताया था, “हाँ, हर पत्नी ऐसे समय में अपने आसपास पति की मौजदूगी चाहती है.”
अब वो अपने पति से मिलने बच्चे को लेकर आई हैं.
यूक्रेन समाज में तलाक़ के मामले बढ़े
यूक्रेन और रूस का युद्ध फ़रवरी 2022 में आक्रमण किया था. इसके बाद से यूक्रेन में परिवार का टूटना बढ़ गया है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि 60 लाख लोग देश छोड़ चुके हैं. ये आंकड़ा युद्ध शुरू होने से पहले की आबादी का 15 फ़ीसदी था.
यूक्रेन छोड़ने वालों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मार्शल लॉ के तहत 18 से 60 वर्ष के पुरुषों के देश छोड़ने पर मनाही है.
सैनिक एक साल में सिर्फ़ 30 छुट्टिया ले सकते हैं और परिवार में कोई समस्या आने पर इसके अलावा अतिरिक्त दस दिनों की ही छुटियां मिल सकती हैं.
सोवियत संघ से अलग होकर आजाद देश घोषित होने के बाद से यूक्रेन में जन्म दर गिर रही है. 1991 में सोवियत संघ के विघटन होने पर यूक्रेन एक आज़ाद मुल्क बना, उस साल यूक्रेन में 630,000 बच्चे पैदा हुए और तब से जन्म दर में लगातार गिरावट आ रही है, जबकि साल 2019 में 309,000 बच्चों का जन्म हुआ और 2023 में रूस-यूक्रेन की जंग को एक साल हुए तो आंकड़ा 187,000 पहुँच गया.
यूक्रेन समाज में तलाक़ के मामले भी बढ़ रहे हैं. यूक्रेन के न्याय मंत्रालय के अनुसार, 2024 के पहले छह महीने में तलाक की संख्या पिछले साल यानी 2023 के शुरुआती छह महीने की तुलना में 50 फ़ीसदी बढ़ गए हैं.
कई महिलाओं के लिए फ़्रंटलाइन पर तैनात अपने पति के पास जाकर ही शादी बचाना और परिवार को एक साथ रखने का एकमात्र तरीक़ा है.
लंबा सफर करके फ़्रंटलाइन पर जाना
फ़्रंटलाइन पर जाना कठिन होता है, उनके सफ़र के दिन मुलाक़ात के दिनों से कहीं अधिक होते हैं
फ़्रंटलाइन तक पहुँचने के लिए कई लोगों को सैकड़ों किलोमीटर का सफ़र तय करना पड़ता है. इस दौरान उन्हें कई जोखिम उठाने पड़ते हैं. फ़्रंटलाइन के निकट पहुँचने के लिए महिलाएं अक्सर रेल से सफ़र तय करती हैं. फिर वो बचा हुआ सफ़र बस और टैक्सी से पूरा करती हैं.
उनके सफ़र के दिन मुलाक़ात के दिनों से कहीं अधिक होते हैं. सैनिक जब छुट्टी पर नहीं होते हैं तो उन्हें केवल छोटा सा ब्रेक मिलता है.
एक और दंपती की कहानी में, पत्नी नतालिया, पश्चिमी यूक्रेन के शहर लवीव से पूर्वी शहर क्रामाटोरस्क अपने पति से मिलने 1,230 किलोमीटर का सफर करके जाती हैं जिसमें उन्हें लवीव से क्रामाटोरस्क पहुँचने के लिए दो दिन से अधिक (50 घंटे से अधिक) का समय रोड से सफ़र करते हुए गुज़ारना पड़ता है, लेकिन इसके बाद भी वो अपने पति को सिर्फ़ कुछ देर के लिए ही देख पाती है.
मिलने का समय भी बहुत ज्यादा नहीं होता, ऐसा इसलिए क्योंकि आसपास के पांच सीमावर्ती शहरों में लगातार गोलीबारी होती रहती है.
नतालिया अपने ऑंसू पोछते हुए बताती हैं, “हम प्लेटफॉर्म पर सिर्फ़ 50 मिनट ठहरते हैं. फिर उन्होंने मुझे उसी रेल में बिठा दिया, जिससे मैं आई थी.”
“लेकिन फिर भी ये 50 मिनट बहुत हैं.”
हालांकि इस सफ़र में क़रीब 120 डॉलर लगते हैं जो कि यूक्रेन में औसत मासिक वेतन का लगभग एक चौथाई है. उन्होंने बताया कि हर दो से तीन महीने में अपने पति से मिलने की कोशिश की.
नतालिया की शादी को 22 साल हो गए और उनके दो बड़े बच्चे हैं.
उन्होंने कहा, “ये यात्राएं फिर से एक परिवार जैसा महसूस करने का मौक़ा है.”
युद्ध को किसी भी मायने में सही नहीं ठहराया जा सकता है, इतिहास का आँकलन करने से पता चलता है कि, युद्ध करने के कारण कभी भी व्यक्ति या शासक की हटधर्मिता से बड़े नहीं थे।
युद्ध हमेशा शासकों के अहंकार के कारण होते रहे हैं और देशभक्ति के नाम पर सैनिक, आम नागरिक उसमें अपनी आहुति देते रहे है। शासक के अहंकार की रक्षा करना, देश की रक्षा करना नहीं होता है लेकिन, सरकारी तंत्र और प्रशासन, शासक के अहंकार पर चोट को देश पर आक्रमण बता कर निरीह जनता को युद्ध की बिभीषिक में झोंक देते है।
-Monktimes Newsdesk-