30.7 C
New Delhi
Saturday, July 5, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

यूरोप में सोलर एनर्जी क्रांति कैसे संभव हुई?

यूरोप के देशों ने हाल के वर्षों में अपनी सोलर एनर्जी या सौर ऊर्जा (Solar energy) उत्पादन क्षमता को दोगुना कर लिया है। सौर ऊर्जा की बढ़ती लोकप्रियता के कई कारण हैं जैसे,

सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) का स्रोत होने के कारण इसका उपयोग बिजली और गर्मी पैदा करने में किया जाता है। सौर ऊर्जा (Solar energy) को फोटोवोल्टिक और सौर तापीय जैसी तकनीकों से प्राप्त किया जाता है।

  • सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) का स्रोत है।
  • सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) एक स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा (Clean and Sustainable Energy) है
  • सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) उपयोग का कारण पर्यावरण के प्रति जागरूकता या यह पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करती
  • सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा)के उपयोग से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो रही है।
  • सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करती है।
  • सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के उत्पादन के लिए सरकारी सहायता.

यूरोप में सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) की लोकप्रियता

स्पेन के कोस्टा डेल सोल (“सूर्य का तट”) के मार्बेला शहर में, एक घर की छत सौर पैनलों से ढकी हुई है. घर के मालिक का कहना है कि, अन्य लोगों की तरह मैंने भी सौर ऊर्जा के लिए सौर पैनलों को लगाया है, ताकि बिजली पर हो रहे खर्च को बचाया जा सके.

यह चलन सिर्फ स्पेन में ही देखने को नहीं मिल रहा है, बल्कि पश्चिमी जर्मनी के बॉन शहर में किराए पर रहने वाली कोरिना गुटमान ने भी अपनी बालकनी में सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के लिए सौर पैनल लगवाए हैं. 2024 में जर्मनी में पंजीकृत 10 लाख से ज्यादा सोलर सिस्टम में से एक उनका भी है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, “मैं 2013 से ही अपनी बालकनी में सोलर सिस्टम लगवाना चाहती थी, लेकिन तब ऐसा करना काफी मुश्किल था. तब से लेकर अब तक काफी कुछ बेहतर हुआ है.”

वह और वेरा लोपेज, दुनिया भर में सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने वालों में शामिल हैं. खासकर एशिया और यूरोप में, सौर ऊर्जा के इस्तेमाल में हो रही बढ़ोतरी साफ तौर पर नजर आ रही है. यूरोप में सौर ऊर्जा का जो उछाल आया है वो यूरोपीय संघ की वजह से है. दरअसल, ईयू ने 2050 तक जलवायु-तटस्थ बनने का संकल्प लिया है.

अक्षय ऊर्जा पहले से ही इस योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, लेकिन 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के कारण पैदा हुए ऊर्जा संकट की वजह से यूरोपीय संघ ने बड़े पैमाने पर और तेजी से अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ाने का फैसला किया, ताकि रूसी जीवाश्म ईंधन से छुटकारा पाया जा सके.

यूरोपीय आयोग ने 2022 की अपनी सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) रणनीति में कहा, “सौर ऊर्जा इस बदलाव का महत्वपूर्ण हिस्सा होगी. सूरज की असीमित ऊर्जा से हर एक सौर पैनल, जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को कम करने में मदद करेगा.”

यूरोपीय डेटा जर्नलिज्म नेटवर्क के साथ मिलकर डीडब्ल्यू ने विश्लेषण किया कि यूरोप की सरकारें पूरे महाद्वीप में किस तरह सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही हैं.

सौर ऊर्जा लोकप्रिय कैसे हो गई?

आज यूरोपीय संघ के कई देशों में प्रति व्यक्ति लगभग एक किलोवाट यानी लगभग दो सौर पैनल की क्षमता है. नीदरलैंड प्रति व्यक्ति 1.4 किलोवाट के साथ सबसे आगे है. इसके बाद जर्मनी 1.2 किलोवाट के साथ दूसरे स्थान पर है.

इंडस्ट्री ग्रुप ‘सोलर पावर यूरोप’ में मार्केट इंटेलिजेंस के प्रमुख राफेल रॉसी ने बताया, “सौर ऊर्जा की पहली लहर 2000 के दशक के मध्य में आयी थी. उस दौरान कई देशों ने फीड-इन टैरिफ शुरू कर दिया था, जिसके तहत सौर ऊर्जा से पैदा हुई बिजली ग्रिड को देने पर भुगतान किया जाता है.” इससे जर्मनी, ग्रीस, बेल्जियम, स्पेन, इटली और फ्रांस जैसे देशों में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली.

रॉसी ने आगे बताया, “इसके बावजूद, ज्यादा लागत होने की वजह से अधिकांश घरों में सौर पैनल नहीं लगाए गए. हालांकि, इस बीच तकनीक बेहतर होने की वजह से सौर पैनल लगाने की लागत करीब 90 फीसदी तक कम हो गई है.”

वैश्विक ऊर्जा संकट के कारण मिले अतिरिक्त प्रोत्साहन की वजह से, सिर्फ 2021 और 2024 के बीच यूरोपीय संघ की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में दो गुना वृद्धि हुई है.

सौर ऊर्जा बाजार अब यूरोपीय संघ के देशों के 2030 के सौर लक्ष्यों को पार करने के लिए तैयार है. ‘सोलर पावर यूरोप’ के हालिया विश्लेषण से पता चलता है कि तीन देशों को छोड़कर यूरोपीय संघ के बाकी देश अपने लक्ष्य समय पर पूरे कर लेंगे. वहीं, 20 देश तो 2030 से पहले ही अपने लक्ष्य को पूरा कर लेंगे या उससे आगे निकल जाएंगे.

घरों की छतों और बालकनियों में लगाए गए छोटे-छोटे सौर पैनल इस बदलाव में बड़ा योगदान दे रहे हैं, जो यूरोपीय संघ की कुल सौर ऊर्जा क्षमता का एक चौथाई हिस्सा हैं.

हालांकि, पहले की तुलना में सौर पैनल की कीमतें काफी कम हो गई हैं, लेकिन अब भी सौर पैनल लगवाने के लिए शुरू में काफी पैसा लगाना पड़ता है. कोरिना गुटमान की बालकनी में सौर पैनल सेटअप की कीमत 650 यूरो यानी करीब 680 डॉलर थी. वहीं, जीसस वेरा लोपेज की छत पर सौर पैनल लगाने में 6,000 यूरो का खर्च आया.

वेरा लोपेज ने बताया, “यह फायदेमंद निवेश है.” सौर पैनल लगाने के बाद उनका महीने का बिजली बिल 100 यूरो से कम होकर 15 यूरो पर पहुंच गया है. यह ‘सोलर पावर यूरोप’ द्वारा 2023 में किए गए एक अध्ययन से मेल खाता है. इस अध्ययन में पाया गया कि जर्मनी, इटली और स्पेन में लोग अपने घरों में सौर पैनल लगाकर बिजली के बिल में हर साल करीब 1,000 यूरो से अधिक की बचत कर सकते हैं.

सभी के लिए सौर ऊर्जा उपलब्ध

सौर पैनल लगाने में जो शुरुआती लागत आती है उसे हर कोई वहन नहीं कर सकता है. टिकाऊ जलवायु और ऊर्जा नीतियों की वकालत करने वाले गैर सरकारी संगठनों के समूह ‘क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क यूरोप’ में अक्षय ऊर्जा प्रबंधक सेडा ओरहान ने कहा, “हमें खासतौर पर उन गरीब परिवारों पर ध्यान देना होगा जिनकी आमदनी कम है. ये समाज के ऐसे लोग हैं जो अभी तक ऊर्जा के इस बदलाव में शामिल नहीं हुए हैं.”

यूरोपीय संघ अपने सदस्य देशों से कह रहा है कि वे नियमों को आसान बनाकर और आर्थिक मदद करके लोगों को सौर ऊर्जा अपनाने में मदद करें, खासकर उन लोगों को जिनकी आमदनी कम है. हर देश इस काम को अपने-अपने तरीके से कर रहा है.

सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के लिए देने पड़ते हैं कम पैसे

जर्मनी समेत कम से कम नौ यूरोपीय देशों ने सौर पैनल बेचने और लगाने पर लगने वाले वैट की दर को कम कर दिया है. इससे लोगों को सीधे तौर पर कम कीमत देनी होगी, बजाय इसके कि पहले पूरी कीमत देनी पड़े और फिर पैसे वापस मिलने के लिए मुश्किल कागजी कार्रवाई करनी पड़े.

पूरे यूरोप में सरकारें सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) में निवेश करने वाले नागरिकों को सीधे तौर पर आर्थिक सहायता भी देती हैं. हालांकि, कितना पैसा मिलेगा और क्या शर्तें होंगी, ये हर जगह अलग-अलग है.

इस मामले में हंगरी सबसे आगे है. वहां घर मालिकों को सौर पैनल की लागत का दो तिहाई तक पैसा सरकार देती है. हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि वे कुछ शर्तें पूरी करें और ऊर्जा भंडारण यानी बैटरी में भी पैसा लगाएं. स्वीडन का तरीका अलग है. वहां ‘ग्रोन टेक्निक’ नाम का प्रोग्राम है, जिसमें कम कागजी कार्रवाई के साथ 20 फीसद तक छूट मिलती है.

गुटमान के लिए, बॉन में अपनी बालकनी में सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के लिए सौर पैनल लगवाना आश्चर्यजनक रूप से किफायती साबित हुआ. शहर ने एक सीधी प्रक्रिया के जरिए उनकी लागत का लगभग आधा हिस्सा यानी 300 यूरो वहन किया. गुटमान ने डीडब्ल्यू को बताया, “मुझे एक छोटा फॉर्म भरना था, अपना इनवॉइस और अपनी बालकनी की तस्वीर अपलोड करनी थी और दो हफ्ते के भीतर मुझे पैसे मिल गए. मेरे सौर पैनल दो साल के भीतर अपने-आप भुगतान कर देंगे.”

सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के लिए सरकारी सहायता

ज्यादातर यूरोपीय देशों में वेरा लोपेज जैसे घर मालिकों को ही सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के लिए सहायता मिलती है, जबकि जर्मनी में किराएदार भी इन कार्यक्रमों का फायदा पा सकते हैं. वेरा लोपेज ने एंदोलुसियन क्षेत्रीय कार्यक्रम ‘प्लान इको विवेंडा’ के लिए आवेदन किया था, जो दिसंबर 2024 में समाप्त हो गया. उन्हें उम्मीद है कि उनकी लागत का 40 फीसदी हिस्सा उन्हें वापस कर दिया जाएगा, लेकिन उनके आवेदन को अब तक मंजूरी नहीं मिली है. उन्हें पैसे वापस पाने की प्रक्रिया भी काफी मुश्किल लगी. उन्होंने कहा, “मैंने बहुत ज्यादा पढ़ाई नहीं की है. उन्होंने मुझसे ऐसी चीजें मांगी जो मुझे समझ में भी नहीं आयी.”

स्पेन की सब्सिडी प्रणाली के तहत कई मुश्किल शर्तें पूरी करनी होती है और सब्सिडी मिलने में काफी देर भी होती है. ‘क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क यूरोप’ की सेडा ओरहान ने कहा, “भले ही सब्सिडी के लिए धन आवंटित कर दिया गया है, लेकिन दो साल में सब्सिडी के लिए जितना अनुरोध किया गया है उनमें से आधे से भी कम का भुगतान किया गया है.” हालांकि, स्पेन में छतों पर सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के लिए महंगे सौर पैनल लगवाने के लिए सबसे ज्यादा सरकारी मदद मिलती है, जो कि यूरोप में सबसे ज्यादा है.

कई सरकारें और बैंक सौर पैनल लगवाने के लिए कम ब्याज पर कर्ज देते हैं. बेल्जियम का वालोनिया क्षेत्र तो कम आय वाले परिवारों को बिना ब्याज के भी कर्ज दे रहा है.

स्पेन और इटली में, अगर आप घर पर सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के लिए सौर पैनल लगवाते हैं तो इनकम टैक्स में बहुत छूट मिलती है. जर्मनी और स्वीडन में, अगर आप ग्रिड को बिजली बेचते हैं, तो उस पर टैक्स कम लगता है.

सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के लिए सरकारी सहायता जारी रहेगी?

यूरोप इस कई देशों में सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) सब्सिडी कार्यक्रमों की समय सीमा समाप्त होने की कगार पर है तथा वहीं कुछ की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, इन परिस्थितियों में क्या भविष्य में सौर ऊर्जा के लिए सरकारी सहायता जारी रहेगी यह प्रश्न सभी पर्यावरण प्रेमी और आम जनता के सामने है।

सेडा ओरहान का कहना है कि भविष्य में यूरोपीय संघ से कितना पैसा मिलेगा, यह अभी तय नहीं है. यूरोपीय संघ के मौजूदा बजट की समय सीमा 2027 में खत्म हो रही है और नए बजट पर बातचीत अभी शुरू हो रही है. ओरहान कहती हैं, “हमें यूरोपीय संघ के लिए एक महत्वाकांक्षी बजट सुनिश्चित करना होगा. फिर हम देख पाएंगे कि उस पैसे को कैसे बांटा जा सकता है.”

बाजार विशेषज्ञ राफेल रॉसी ने डीडब्ल्यू को बताया कि कुछ सरकारें सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म करने पर जोर दे रही हैं. उन्होंने कहा, “अगर हालात सही हों, तो प्रत्यक्ष तौर पर दी जाने वाली सब्सिडी को कुछ हद तक कम किया जा सकता है, लेकिन यह सावधानी से किया जाना चाहिए. हम पहले से ही देख सकते हैं कि सब्सिडी में कमी की बात शुरू होते ही बाजार से नकारात्मक प्रतिक्रिया आने लगी है. कम आय वाले परिवारों के लिए, सब्सिडी विशेष रूप से मददगार बनी हुई है.”

वहीं सेडा ओरहान कहती हैं, “सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के लिए मदद जारी रखना वाकई में बहुत जरूरी होगा. यह सिर्फ जलवायु को बचाने के लिए नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद है.” फिलहाल, यूरोपीय संघ में 8 लाख से ज्यादा लोग सौर ऊर्जा उद्योग से जुड़े हैं. इनमें से ज्यादातर स्थानीय स्तर पर सौर पैनल लगाने का काम कर रहे हैं. इससे वित्तीय सहायता कार्यक्रमों को बनाए रखने वाली सरकारों को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ मिल रहा है.

सौर ऊर्जा बुनियादी एवं विश्वसनीय

सब्सिडी मिलने में अनिश्चितता होने के बावजूद, सोलर पावर यूरोप का अनुमान है कि 2030 तक यूरोप में सौर ऊर्जा की क्षमता दोगुनी हो जाएगी. छतों पर लगने वाले सौर पैनल अभी भी सबसे ज्यादा हैं और बड़े प्लांट भी तेजी से बढ़ रहे हैं.

यूरोप में सौर ऊर्जा की सफलता के लिए एक मजबूत सौर बुनियादी ढांचे की जरूरत है. यूरोपीय संघ की सौर ऊर्जा रणनीति के अनुसार, इसमें सोलर पावर सिस्टम बनाने, लगाने और रखरखाव के लिए पर्याप्त कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना और सोलर इंस्टॉलेशन से आने वाली ज्यादा बिजली को संभालने के लिए यूरोपीय बिजली ग्रिड को आधुनिक बनाना शामिल है.

रॉसी के मुताबिक, सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) को स्टोर करने के तरीके भी बहुत जरूरी हैं. इससे बिजली को वहीं इस्तेमाल किया जा सकता है जहां वो बनती है, जिससे पूरे ग्रिड पर दबाव कम होता है.

इन सब के बीच कोरिना गुटमान का कहना है कि उनकी बालकनी में लगा सौर पैनल पहले से ही फायदेमंद साबित हो रहा है. उन्होंने कहा, “जब लोग अपने आस-पास ज्यादा सौर पैनल देखते हैं, तो उनकी दिलचस्पी बढ़ती है. मुझे लगता है कि इससे थोड़ा असर पड़ेगा और अब इसे लगाना बहुत आसान हो गया है.”

सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) कैसे बनती है?

सूर्य की रोशनी को विद्युत ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया को सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) कहते हैं। यह प्रक्रिया फ़ोटोवोल्टिक सेल की मदद से होती है जो सौर पैनल में लगे होते हैं। यह सेल सूर्य की रोशनी को बिजली में बदलने का काम करते हैं।

सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) बनाने का तरीका,

  • सौर पैनल में लगे फ़ोटोवोल्टिक सेल पर सूर्य की रोशनी पड़ती है और इससे विद्युत धारा (बिजली) पैदा होती है।
  • इस विद्युत धारा (बिजली) को इन्वर्टर की मदद से प्रत्यावर्ती धारा में बदला जाता है।
  • इस बिजली को राष्ट्रीय ग्रिड में भी भेजा जा सकता है या उस घर या कारोबार में इस्तेमाल किया जा सकता है जहां सौर पैनल लगा है।
  • सौर पैनल बनाने के लिए सिलिकॉन जैसे अर्धचालक पदार्थों की परतों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • सौर पैनल बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सिलिकॉन के प्रकार: पॉलीक्रिस्टलाइन सिलिकॉन, मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉनहै।
  • मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन से बने सौर पैनल, प्रीमियम सौर पैनल होते हैं और माना जाता है कि ये आम तौर पर ज़्यादा बिजली पैदा करते हैं, लेकिन ये महंगे होते हैं।

सोलर एनर्जी (सौर ऊर्जा) के उपयोग जलवाऊ परिवर्तन के कारण, प्रकृति और पर्यावरण में हो रहे विनाशकारी बदलावों को कम किया जा सकता है या रोका जा सकता है

 

Popular Articles