भारत के शहर इंदौर और उदयपुर को वेटलैंड सिटी (Wetland City) के रूप में रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के अनुसार मान्यता दी गई है. यह उपलब्धि हासिल करने वाले ये भारत के पहले शहर बन गए हैं। केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक्स पर इसकी जानकारी दी.
रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के अनुसार के तहत, दुनिया भर के 16 देशों में कुल 31 शहरों को ‘वेटलैंड सिटी’ (Wetland City) का दर्जा प्राप्त है।
वेटलैंड सिटी (Wetland City) योजना
वेटलैंड सिटी (Wetland City), उन शहरों को दी जाने वाली मान्यता है जिन्होंने अपने शहरी आर्द्रभूमि की सुरक्षा के लिए अहम कदम उठाए हैं. वेटलैंड सिटी मान्यता योजना (WCA) को रामसर अभिसमय (Ramsar Convention) के तहत साल 2015 में शुरू किया गया था. यह एक स्वैच्छिक योजना है।
इस योजना का मकसद शहरी और अर्ध-शहरी आर्द्रभूमि का संरक्षण करना और उनका सही इस्तेमाल करना है.
इससे स्थानीय लोगों को सामाजिक और आर्थिक फ़ायदा मिलता है. साथ ही इस योजना का मकसद शहरी आर्द्रभूमि के महत्व को समझाना और लोगों को उन पर जागरूक करना भी है.
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वेटलैंड सिटी प्रमाणन (डब्ल्यूसीए) हासिल करने के लिए पिछले साल भारत के तीन शहरों – इंदौर (मध्य प्रदेश), भोपाल (मध्य प्रदेश), और उदयपुर (राजस्थान) के नामांकन वेटलैंड सिटी (Wetland City) मान्यता के लिए भेजे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि के लिए इन दोनों शहरों को बधाई देते हुए एक्स पर लिखा, “यह सम्मान सतत विकास और प्रकृति तथा शहरी विकास के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देने के प्रति हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है.”
वेटलैंड सिटी (Wetland City) मान्यता क्या है
यह एक तरह का प्रमाण पत्र है जिसे रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के तहत कॉप-12 सम्मेलन के दौरान उन शहरों के लिए बनाया गया था, जो शहरों में मौजूद वेटलैंड की सुरक्षा, संरक्षण और उसके सतत प्रबंधन के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसका उद्देश्य शहरी विकास और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन बनाए रखना है.
क्यों जरूरी हैं वेटलैंड सिटी (Wetland City)
जैव विविधता और पानी को बचाने के लिए वेटलैंड बेहद जरूरी हैं. धरती की सतह का 70 फीसदी हिस्सा पानी से ढका होने के बाद भी पीने के लिए मात्र 2.7 फीसदी मीठा पानी ही मौजूद है और इसका अधिकांश हिस्सा ग्लेशियरों में कैद है. इंसानों तक पहुंचने वाला अधिकांश मीठा पानी वेटलैंड की बदौलत ही हासिल होता है. वेटलैंड के बिना दुनिया भर में पीने के पानी की समस्या पैदा हो सकती है.
वेटलैंड वातावरण में मौजूद कार्बन सोखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये पेड़ों की तुलना में ज्यादा कार्बन जमा कर सकते हैं. इसके अलावा ये तूफानी लहरों को रोक कर हर साल बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचादे हैं. दुनिया भर में मैंग्रोव 1.5 करोड़ से ज्यादा लोगों की रक्षा करते हैं और हर साल बाढ़ से होने वाले करीब 65 अरब डॉलर के नुकसान को बचाते हैं.
दलदली जमीन प्राकृतिक स्पंज की तरह काम करती है. बारिश के दौरान ये अपने अंदर पानी जमा करती है और सूखे के समय उसे धीरे-धीरे बाहर निकालती है, जिससे सूखे जैसे संकट के समय मदद मिलती है.
वेटलैंड लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं. मछली पकड़ने से लेकर मखाने और चावल की खेती तक, वेटलैंड कई अर्थव्यवस्थाओं की रीढ़ हैं. पर्यटन उद्योग भी वेटलैंड से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है.
दुनिया भर में रामसर साइट (Ramsar site) की संख्या 2,500 से ज्यादा है
रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) क्या है?
दुनिया भर के वेटलैंड और उनके संरक्षण के लिए 2 फरवरी 1971 को ईरान के शहर रामसर में एक संधि के तहत रामसर साइट के निर्धारण और उनके बचाव के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. रामसर साइट (Ramsar site) का दर्जा प्राप्त वेटलैंड अंतरराष्ट्रीय महत्व रखते हैं और उनके संरक्षण और उनके संसाधनों के इस्तेमाल के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त होता है. दुनिया भर में रामसर साइट की संख्या 2,500 से ज्यादा है, जो करीब 25 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा के क्षेत्र में फैले हैं.
भारत में फरवरी 1982 में यह समझौता लागू किया गया था. भारत में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त मौजूदा रामसर साइट की संख्या 89 पहुंच चुकी है, जो एशिया में सबसे ज्यादा और यूके और मेक्सिको के बाद दुनिया में तीसरे नंबर पर है. तमिलनाडु (20) भारत में सबसे ज्यादा रामसर स्थल वाला राज्य है.
रामसर साइट (Ramsar site) और वेटलैंड सिटी, दोनों में अंतर है. रामसर साइट देश के किसी भी हिस्से में मौजूद हो सकती हैं जबकि वेटलैंड सिटी का दर्जा सिर्फ शहरी इलाकों में मौजूद साइट को ही हासिल हो सकता है.
दुनिया भर में मौजूद वेटलैंड लगभग खत्म होने की कगार पर हैं. पिछले 50 सालों में 35 फीसदी वेटलैंड खत्म हो चुके हैं. भारत में लगातार शहरीकरण और खेती के बढ़ते इलाकों की वजह से इनका दायरा सिमट रहा है. भारत की बढ़ती आबादी भी इसके घटने के कई कारणों में से एक है. लेकिन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से लगातार इन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है. राष्ट्रीय वेटलैंड संरक्षण कार्यक्रम के जरिए राज्यों को लगातार दिशा निर्देश और जरूरी सहायता मुहैया कराकर इन्हें बचाने का प्रयास जारी है.
वेटलैंड सिटी (Wetland City) मान्यता योजना के बारे में ज़रूरी बातेंः
- वेटलैंड सिटी (Wetland City) योजना का उदेश्य शहरी और अर्ध-शहरी आर्द्रभूमि का संरक्षण करना और उनका सही इस्तेमाल करना है.
- वेटलैंड सिटी (Wetland City) योजना से स्थानीय लोगों को सामाजिक और आर्थिक लाभ मिलना .
- वेटलैंड सिटी (Wetland City) योजना का उदेश्य आबादी को आर्द्रभूमि के महत्व को समझाना और जागरूक करना।
- वेटलैंड सिटी (Wetland City) योजना मान्यता छह साल के लिए होती है.
मान्यता प्राप्त वेटलैंड सिटी (Wetland City)
16 देशों में 31 नए मान्यता प्राप्त वेटलैंड शहरों की सूची, 24 जनवरी, 2025 को स्थायी समिति की 64वीं बैठक में घोषित की गई। जो इस प्रकार है,
- अर्जेंटीना: ट्रेलेव
- बेल्जियम: मेचेलेन
- बोत्सवाना: कसाने-कज़ुंगुला, शाकावे
- चिली: वाल्डिविया
- चीन: चोंगमिंग, डाली, फ़ूज़ौ, हांग्जो, जिउजियांग, ल्हासा, सूज़ौ, वेनझोउ, यूयांग
- फ़्रांस: एब्बेविल, आर्ल्स, हैम्पिग्नी
- भारत: इंदौर, उदयपुर
- ईरान (इस्लामिक गणराज्य): बाबोल, बंदर किआशर, गैंडोमन
- जापान: नागोया शहर
- मोरक्को: मेहद्या
- फिलीपींस: बलांगा शहर
- पोलैंड: पॉज़्नान
- कोरिया गणराज्य: गिम्हे, मुंगयोंग
- सर्बिया: नोवी साद
- स्विटजरलैंड: कैंटन ऑफ जिनेवा
- जिम्बाब्वे: विक्टोरिया फॉल्स
अमरीका, ब्रिटेन जैसे देश इसमें शामिल नहीं हैं।