स्वर कोकिला लता मंगेशकर, भारतीय संगीत जगत के साथ साथ इस संसार की भी एक अदुतीय हस्ती थी। उनकी सुरीली आवाज ने कई दशकों तक लोगों के दिलों दिमाग पर राज किया।
लता मंगेशकर 6 फरवरी 2022 को इस संसार से विदा हो गई थी, लेकिन उनकी विरासत आज भी जिंदा है। उनके जाने के बाद भी उनकी आवाज लोगों के दिलों में बसती है। लता मंगेशकर के गाए हुए “ऐ मेरे वतन के लोगों”, “लग जा गले”, “अजीब दास्तां है ये”, जैसे अनगिनत गीत आज भी लोगों को जहां भावुक कर देते हैं, वहीं “ओ पालनहारे”, “बड़ा नटखट है” जैसे भजन लोगों की आस्था से जुड़े हुए हैं।
लता मंगेशकर से जुड़े तथ्य
- पहला गाना : लता मंगेशकर ने मात्र 13 साल की उम्र में 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ (कितना हसोगे?) (1942) के लिए पहला गाना गाया था, लेकिन यह गाना फिल्म से हटा दिया गया था।
- लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया “आयेगा आने वाला” सुपर डुपर हिट था।
- असली नाम : बहुत कम लोग जानते हैं कि लता मंगेशकर का असली नाम हेमा मंगेशकर था, लेकिन उनके पिता ने बाद में उनका नाम बदलकर ‘लता’ रखा।
- संगीत की शिक्षा : उनके पिता, दीनानाथ मंगेशकर, एक प्रसिद्ध संगीतकार थे, जिनसे लता ने अपनी संगीत की पहली शिक्षा ली। लता जी ने उस्ताद अमान अली खान और पंडित तुलसीदास शर्मा से संगीत की शिक्षा ली थी।
- फिल्मों में अभिनय : गायक बनने से पहले लता मंगेशकर ने कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया था, लेकिन उन्हें अभिनय से ज्यादा रुचि गायन में थी।
- सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किए गए गाने : लता मंगेशकर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे अधिक गीत गाने वाली गायिका के रूप में दर्ज हुआ था।
- लता जी हमेशा अपने पैर से चप्पल उतार कर ही (नंगे पाँव) स्टूडियो, स्टेज आदि पर गाना रिकार्डिंग करती अथवा गाती थीं।
- भारतीय संसद में सम्मान : गायकी के अलावा लता जी ने राज्यसभा के सांसद के तौर पर भी देश की सेवा की थी। उन्हें प्रतिष्ठित रॉयल अल्बर्ट हॉल, लंदन में परफॉर्म करने वाली पहली भारतीय होने का सम्मान प्राप्त है। 2012 में, राज्यसभा में उनके योगदान को सम्मानपूर्वक याद किया गया।
- एक बार अभिनेता दिलीप कुमार ने लता मंगेशकर को उर्दू उच्चारण सुधारने की सलाह दी थी, जिसके बाद उन्होंने उर्दू की पढ़ाई शुरू की।
- भारत रत्न से सम्मानित : 2001 में लता मंगेशकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से नवाजा गया था।
- 90 के दशक में लता जी ने ए. आर. रहमान के संगीत निर्देशन में “जिया जले” और “लुका छुपी” जैसे यादगार गाने गाए।
- मधुबाला की आवाज : मधुबाला के कई प्रसिद्ध गीतों में लता जी ने अपनी आवाज दी, जिससे वह पर्दे पर और भी आकर्षक लगती थीं।
- लता मंगेशकर और गुलजार के रिश्ते बहुत मधुर थे। गुलजार साहब उन्हें “दीदी” कहकर बुलाते थे।
- लता ने लगभग 36 से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं।
- लता मंगेशकर जी को क्रिकेट बेहद पसंद था, और वह 1983 के वर्ल्ड कप जीतने के बाद टीम इंडिया को सम्मानित करने के लिए एक कॉन्सर्ट भी कर चुकी थीं।
- लता मंगेशकर ने अपनी गायकी के करियर में कभी भी डबल मीनिंग या अश्लील गीत नहीं गाए।
- विश्व प्रसिद्ध टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया।
अंतिम गीत : लता मंगेशकर का अंतिम गीत “सौगंध मुझे इस मिट्टी की” 2019 में रिलीज हुआ, जो भारतीय सेना को समर्पित था। इस गीत को उन्होंने अपने आखिरी गीत के तौर पर गाया था, जिसे 30 मार्च 2019 को रिलीज किया गया था।
लता मंगेशकर का जन्म
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित गायिकाओं में शामिल कर दिया। उन्होंने हिंदी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, गुजराती, मलयालम और कन्नड़ जैसी 36 से अधिक भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गाने गाए। सात दशकों तक भारतीय संगीत पर राज करने वाली लता जी को “स्वर कोकिला” का दर्जा प्राप्त हुआ।
उनके पिता रंगमंच कलाकार और गायक थे। इनके परिवार में भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।
हालाँकि लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई। वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। पहली बार लता ने वसंत जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म ‘किती हसाल’ के लिये गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुये।
लता मंगेशकर का संघर्षमय जीवन
पिता की मृत्यु के बाद, लता के परिवार को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की कारण से पैसों के लिये उन्हें मात्र तेरह साल की उम्र में कुछ हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा।
अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी।
बड़ी माँ में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई असल में छोटी बहन, आशा भोंसले जी ने। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने” जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।
लता मंगेशकर पहली सफलता
1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म “महल” के “आयेगा आनेवाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
लता मंगेशकर जी की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। विश्व के संगीत प्रेमी ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार करते हैं