सूर्य जयंती, रथ सप्तमी या अचला सप्तमी एक हिन्दू त्योहार है, जो माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव को समर्पित है, जिन्हें ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है।
सूर्य जयंती या रथ सप्तमी या अचला सप्तमी, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है. इसे रथ सप्तमी या आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि इस सूर्य जयंती के दिन धरती पर सूर्य की पहली किरण पड़ी थी. यह दिन सूर्य देव को समर्पित होता है और इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है
इस वर्ष 2025 में सूर्य जयंती या रथ सप्तमी का पर्व मंगलवार, 4 फरवरी को मनाया जा रहा है। इस दिन खासकर सूर्य नारायण की उपासना की जाएगी।
आइए यहां जानते हैं सूर्य जयंती या रथ या अचला सप्तमी के बारे में…
सूर्य जयंती क्यों मनाते हैं?
सूर्य जयंती को रथ सप्तमी या अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य जयंती मनाने के पीछे कई कारण हैं, पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सूर्य देव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
सूर्य जयंती के दिन सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर उत्तर दिशा की ओर अपनी यात्रा शुरू करते हैं। यह रथ जीवन, ऊर्जा और प्रगति का प्रतीक है। अत: सूर्य के रथ का प्रतीक के तौर पर भी रथ सप्तमी के नाम से मनाई जाती है।
इस संबंध में मान्यता है कि सूर्य जयंती के दिन सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान, दान और व्रत करने से पुण्य फल मिलता है। सूर्य जयंती वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक होने के कारण यह प्रकृति के चक्र को दर्शाता है और हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
सूर्य जयंती एक महत्वपूर्ण त्योहार भी है जो हमें सूर्य देव की महिमा और प्रकृति के प्रति सम्मान की याद दिलाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से हमें स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और प्रकृति का संतुलन बना रहता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से सभी रोगों और पापों से मुक्ति मिलती है।
सूर्य जयंती की पूजा विधि:
- सूर्य जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें।
- सूर्य देव की प्रतिमा या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करें।
- उन्हें लाल पुष्प, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- सूर्य जयंती की कथा पढ़ें या सुनें।
- अंत में सूर्य देव की आरती करें।
- सूर्य देव से अपनी मनोकामनाएं कहें।
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