33.6 C
New Delhi
Friday, July 4, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

स्ट्रेस (तनाव) लेना क्या फायदेमंद है?

स्ट्रेस (तनाव) एक मानसिक प्रतिक्रिया है और यह तब होती है जब हम दबाव महसूस करते हैं. यह एक आम भावना है. जानकारों के अनुसार हल्के स्ट्रेस (तनाव) में फ़ायदा भी होता है. हालांकि, ज़्यादा या लंबे समय तक तनाव रहना हानिकारक हो सकता है.

ज़्यादातर वयस्क अक्सर स्ट्रेस (तनाव) महसूस करते हैं. उन्हें सिरदर्द से लेकर चिंता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

हालांकि थोड़ा सा स्ट्रेस (तनाव) हमारे लिए फ़ायदेमंद हो सकता है, लेकिन अगर तनाव लंबे समय तक बना रहे, तो यह आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है.

मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि बहुत ज़्यादा स्ट्रेस (तनाव) मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है.

इससे हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है और साथ ही ज़िंदगी को कठिन और कम आनंददायक बना सकता है.

हालांकि, स्ट्रेस (तनाव) पर नियंत्रण पाना और इसे थकावट के बजाय अपने फ़ायदे में बदलना मुमकिन है.

स्ट्रेस (तनाव) महसूस करने पर क्या होता है?

जब हम स्ट्रेस (तनाव) महसूस करते हैं, तो शरीर ऐसे हार्मोन रिलीज़ करता है, जो आने वाले कठिन हालात का सामना करने के लिए हमें तैयार करता है.

थोड़े से समय के लिए, यह स्ट्रेस (तनाव) काफी हदतक मददगार हो सकता है क्योंकि यह आपको ज़्यादा केंद्रित बनाता है और आपके काम करने के तरीके को बेहतर बनाता है.

हालांकि अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुताबिक, लंबे समय तक स्ट्रेस (तनाव) रहने से आपके शरीर में कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं, जैसे चिंता, हृदय रोग और इम्यूनिटी का कमज़ोर होना.

काम, पैसे और निजी रिश्ते कुछ ऐसे फैक्टर हैं जो अक्सर स्ट्रेस (तनाव) की वजह बनते हैं और इन्हें अनदेखा भी नहीं किया जा सकता. लेकिन ज़रूरी पहलू ये है कि तनाव कितने लंबे समय तक रहता है.

एक्यूट स्ट्रेस की अवधि कम होती है और इसका फायदा भी हो सकता है. लेकिन क्रोनिक स्ट्रेस लंबे समय तक रहता है और इसका शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है.

एक्यूट और क्रोनिक स्ट्रेस क्या है?

साइकोथेरेपिस्ट और ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ काउंसलिंग एंड साइकोथेरेपी (बीएसीपी) की मेंबर रिचेल वोरा कहती हैं, “एक्यूट स्ट्रेस किसी तात्कालिक स्थिति का तुरंत आया जवाब होता है और कुछ मामलों में ये फायदेमंद भी हो सकता है.”

“एड्रेनालाईन और कॉर्टिसोल रिलीज़ करके ये लड़ने या भागने की प्रतिक्रिया को एक्टिव करता है. इससे हमारा फोकस बढ़ता है और कुछ समय के लिए हमारी पाचन क्षमता भी बेहतर होती है.”

अगर एक्यूट स्ट्रेस (तनाव) को अच्छे तरीके से मैनेज किया जाए तो इससे कुछ नुकसान नहीं पहुंचता है और इसकी वजह से तात्कालिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलती है.

लेकिन क्रोनिक स्ट्रेस (तनाव) का हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है.

वोरा कहती हैं कि क्रोनिक स्ट्रेस से हमारे हार्मोन पर प्रभाव पड़ता है. इससे हृदय रोग होने का पाचन तंत्र के कमज़ोर होने का खतरा बढ़ जाता है. इससे इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम भी हो सकता है.

क्रोनिक स्ट्रेस एंज़ाइटी और डिप्रेशन से भी जुड़ा हुआ है. इससे हमारी नींद खराब होती है और हमारी शारीरिक उम्र बढ़ने में तेज़ी आती है.

वोरा के मुताबिक किसी समस्या की अवधि कितनी लंबी है उसकी वजह से क्रोनिक स्ट्रेस डेवलप होता है और ये हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है.

स्ट्रेस (तनाव) हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है?

यूके नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के मुताबिक स्ट्रेस की वजह से हमारे शरीर में कई प्रतिक्रियाएं शुरू होती हैं. इनमें स्ट्रेस हार्मोन, कॉर्टिसोल और एड्रेनालाईन का रिलीज़ होना शामिल है.

इसकी वजह से हमारी हृदय गति और ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी होती है और ऑक्सीजन युक्त ब्लड ज़्यादा तेज़ी से हमारी मासपेशियों तक पहुंचता है.

ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी से तुरंत एनर्जी मिलती है.

लेकिन इससे पाचन तंत्र और इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है, क्योंकि शरीर तुरंत मिली एनर्जी से तात्कालिक समस्या को हल निकालने की कोशिश करता है.

लंबे समय तक स्ट्रेस (तनाव) का बने रहना नुकसानदायक है. क्रोनिक स्ट्रेस की वजह से वज़न में बढ़ोतरी होती है खासकर पेट के आस-पास.

स्ट्रेस (तनाव) हार्मोन का असर याददाश्त पर पड़ता है और कंसन्ट्रेट करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.

इससे नींद भी खराब होती है और शरीर को खुद को रिकवर और रिपेयर करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है.

एनएचएस ने चेतावनी दी है कि तनाव के लंबे समय तक बने रहने की वजह से हृदय रोग, पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.

क्या स्ट्रेस (तनाव) फायदेमंद है?

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में असिस्टेंट रिसर्च प्रोफेसर गोलनाज़ तबिब्निया कहती हैं, “रेसिलिएंस कोई ऐसी चीज़ नहीं है जो आपके पास है या नहीं है. यह एक ऐसी स्किल है जो लंबे समय के साथ डेवलप होती है.”

“चुनौती को अनदेखा करने के बजाए उसका सामना करने से रेसिलिएंस डेवलप होता है.”

डॉक्टर तबिब्निया का मानना है कि जब लोग स्ट्रेस (तनाव) को खतरे की बजाए मदद के तौर पर देखते हैं तो उनके शारीरिक तनाव की प्रतिक्रिया कम हो जाती है.

माइंडसेट में ज़रा सा बदलाव कमाल कर सकता है और इससे एंज़ाइटी कम हो सकती है.

उन्होंने कहा, “स्ट्रेस (तनाव) को अनदेखा करने की बजाए लगातार उसका सामना करने की वजह से दिमाग को भविष्य में आने वाले तनाव से निपटने में मदद मिलती है. यह जिम जाने जैसा है जहां ज़्यादा वज़न उठाना मुश्किल तो होता है, लेकिन उससे आपको मज़बूती मिलती है.”

स्ट्रेस और एंज़ाइटी में क्या अंतर है?

एक रिपोर्ट में  बीबीसी ने ने एंज़ाइटी और स्ट्रेस (तनाव) का अंतर समझने के लिए एंज़ाइटी स्ट्रेस संस्था से बात की.

उन्होंने जवाब दिया कि स्ट्रेस बाहरी समस्या जैसे काम की डेडलाइन, ड्राइविंग टेस्ट या फिर किसी एग्ज़ाम की जवाबी प्रतिक्रिया है. ये जब चुनौती आती है तो एक्टिव होता है और तनाव खत्म होते ही गायब हो जाती है.

लेकिन एंज़ाइटी बिना किसी समस्या के भी बनी रह सकती है. एंज़ाइटी से इमोशन्स के सामान्य रहने में मदद मिलती है और वो मुश्किल स्थिति के लिए आपको अलर्ट पर रखती है. लेकिन जब ये ज़्यादा हो तब आपके दिन के सभी काम बिगड़ सकते हैं.

स्ट्रेस और एंज़ाइटी दोनों ही हमारे नर्वस सिस्टम को एक्टिव करते हैं जो कि शरीर के लड़ने की क्षमता के लिए ज़रूरी होता है. इससे शरीर अलर्ट होता है और मुश्किल का जवाब देने के लिए उसे एनर्जी मिलती है.

इसका मतलब ये है कि दोनों से ही हृदय गति में वृद्धि, पसीना आना और कंपकंपी जैसे लक्षण पैदा होते हैं. लेकिन एंज़ाइटी ज़्यादा समय तक रहती है और काफी गहरी होती है.

एंज़ाइटी यूके,  एंज़ाइटी से निपटने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ (योग) या अनुलोम-विलोम करने की सलाह देता है.

ये आसान लेकिन प्रभावी तकनीक है. इसमें सांस लेने की अपेक्षा सांस छोड़ने में अधिक समय लगाया जाए, जिससे शरीर को आराम करने का संकेत मिलता है और नर्वस सिस्टम शांत हो जाता है.

स्ट्रेस (तनाव) से कैसे निपटें?

एकेडमिक रिसर्च के मुताबिक बर्ताव में बदलाव की प्रैक्टिस स्ट्रेस (तनाव) से शरीर को होने वाले नुकसान को कम करने में कारगर हो सकती है.

फिज़िकल एक्सरसाइज़ से भी स्ट्रेस हार्मोन कम होते हैं और मूड बेहतर होता है. मेडिटेशन भी दिमाग को शांत करने में मददगार हो सकती है. वहीं रिसर्च से पता चलता है कि सोशल सपोर्ट इमोशनली मज़बूती दिलाने में अहम भूमिका निभाता है.

डॉक्टर तबिब्निया दयालु होने और साइंस से जुड़ी हुई रणनीतियां जैसे एक्सरसाइज़ करना, बाहर समय गुज़ारना, लोगों से मिलने और परिवार के साथ समय गुज़ारने के महत्व पर ज़ोर डालती हैं.

लंदन में माइंडफुलनेस कोच और सेवेन ब्रीथ के संस्थापक युकी व्यापक नज़रिया अपनाने के महत्व पर ज़ोर देती हैं.

वो बताती हैं, “स्ट्रेस मैनेजमेंट सिर्फ रिलेक्स करने के बारे में नहीं है. ये ऐसा लाइफस्टाइल बनाने के बारे में है जिससे आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सही रहे. जब आप अपने स्वास्थ्य को महत्व देते हैं तो स्ट्रेस को हैंडल करना आसान हो जाता है.”

वो माइंडफुलनेस, नींद, चलना-फिरना और न्यूट्रिशन को स्ट्रेस मैनेजमेंट का अहम कारक मानती हैं.

वो कहती हैं, “आपका गट माइक्रोबायोम स्ट्रेस को मैनेज करने में अहम भूमिका निभाता है. हेल्दी फुड की च्वाइस आपको सही रखने में मददगार होती है.”

युकी के मुताबिक स्ट्रेस (तनाव) मैनेजमेंट ऐसा नहीं है जिसे आप जल्दी से फिक्स कर लें. ये रोज़ाना की ऐसी आदतें बनाने के बारे में है जिससे रेसिलिएंस को सपोर्ट मिले.

स्ट्रेस (तनाव) को मज़बूती में कैसे बदलें?

हमारे एक्सपर्ट्स कहते हैं कि स्ट्रेस (तनाव) ज़िंदगी का हिस्सा हैं, लेकिन जो दर्द इससे मिलता है वो ज़रूरी नहीं है.

स्टडी से पता चला है कि जो ये मानते हैं कि स्ट्रेस होता है वो इससे बेहतर तरीके से निपट पाते हैं. उन्हें थकान कम होती है और भावनात्मक रूप से उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है.

हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू की रिसर्च के मुताबिक स्ट्रेस (तनाव) को खतरे के बजाय चुनौती के रूप में देखने से शरीर पर इसके प्रभाव में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है.

डॉक्टर तबिब्निया कहती हैं, “जब लोग स्ट्रेस को खतरे की बजाए मदद के तौर पर देखते हैं तो उनका साइकोलॉजिकल स्ट्रेस कम हो जाता है.”

“स्ट्रेस (तनाव) के प्रति अपने नज़रिए को बदलकर व्यक्ति चुनौतियों को अपनी व्यक्तिगत ग्रोथ के मौके में तब्दील कर सकता है.”

स्ट्रेस (तनाव) के कारण

दबाव, चुनौतियां, बदलाव, असंतुलन, असामंजस्य आदि हो सकते हैं

स्ट्रेस (तनाव) के लक्षण

चिंता, घबराहट, सिरदर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द आदि हो सकते हैं

स्ट्रेस (तनाव) के प्रभाव

इम्यूनिटी कमज़ोर होना, हृदय रोग, पाचन तंत्र की समस्याएं, मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं आदि हो सकते हैं

स्ट्रेस (तनाव) दूर करने या बचने के उपाय

  • सुबह उठते ही फ़ोन से दूरी बनाएं
  • व्यायाम करना
  • दिन की शुरुआत सकारात्मक विचारों से करें
  • अच्छी आदतें अपनाएं, जैसे मधुरता, धैर्य, प्रसन्नता, सहयोग देना, सटीकता, शुभकामनाएं
  • पर्याप्त नींद लें
  • पौष्टिक आहार लें
  • पर्याप्त पानी पिएं
  • प्रकृति में समय बिताना
  • शांत संगीत सुनना

स्ट्रेस (तनाव) के कुछ सामान्य कारण अतीत के दर्दनाक अनुभव और स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकते हैं जिनके बारे में ज्यादा न सोचें।

 

 

 

Popular Articles