धार्मिक उन्माद, धार्मिक आतंकवाद, राजनैतिक अस्थिरता, सैन्य क्षमता का लगातार विकास और भू-राजनैतिक परिद्रश्य विश्व को मुस्लिम देशों के एक नए सैन्य समीकरण को जन्म देकर पूरी दुनिया और सभ्यता को विनाश के करीब ला सकता है. इस नए समीकरण की सुगबुगाहट शायद विश्व की दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस के अलावा तीसरी शक्ति चीन तक भी पहुँच चुकी होगी। विश्व में कई ऐसे मुस्लिम देश (muslim countries with most powerful defence) हैं, जो आज भले ही अमेरिका या अन्य देशों पर हथियारों की आपूर्ति के लिए निर्भर हैं लेकिन उनकी सैन्य क्षमताएं कम नहीं आंकी जा सकतीं। इन देशों ने अपनी सुरक्षा और क्षेत्रीय दबदबे के लिए महत्वपूर्ण सैन्य विकास किया है। अगर ये मुस्लिम देश साथ आ जाएं तो अमेरिका, रूस के साथ साथ पूरे विश्व के सामने एक नया सैन्य समीकरण खड़ा कर सकते हैं।
आइए जानते हैं इन एशिया, अफ़्रीका और यूरोप के मुस्लिम देशों की सैन्य क्षमता के बारे में,
1. पाकिस्तान (एशिया)
पाकिस्तान की सेना दुनिया की सबसे बड़ी और अनुभवी सेनाओं में से एक है। पाकिस्तान ऐसा मुस्लिम देश है जिसके पास परमाणु हथियार हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण सामरिक बढ़त प्रदान करता है। पाकिस्तान सैन्य शक्ति के मामले में दुनिया में 12वें नंबर पर है। पाकिस्तान के पास एक विशाल सक्रिय सैन्य बल है, जिसमें लगभग 6.5 लाख से अधिक सैनिक हैं। इसके अलावा, इसकी वायु सेना और नौसेना भी अत्याधुनिक उपकरणों और अच्छी तरह प्रशिक्षित कर्मियों से लैस है। पाकिस्तान ने अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर भी जोर दिया है। पाकिस्तान की कुल सैन्य ताकत 17 लाख, लड़ाकू विमान 328, नौसैनिक जहाज 114, पनडुब्बियां 108, कुल टैंक 3700, बख्तरबंद वाहन पचास हजार से ज्यादा हैं।
हालांकि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और वह चीन और अमेरिका की मदद पर ही निर्भर है
2. सऊदी अरब (एशिया)
सऊदी अरब दुनिया के उन देशों में से एक है जो रक्षा पर सबसे अधिक खर्च करते हैं। उसने पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका से अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों का एक विशाल जखीरा खरीदा है। इसमें उन्नत लड़ाकू विमान, मिसाइल रक्षा प्रणालियां और आधुनिक नौसैनिक पोत शामिल हैं। सऊदी सेना उच्च तकनीक और आधुनिक प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे यह क्षेत्र में एक शक्तिशाली बल बन जाती है। ग्लोबल फायरपावर की 2025 की लिस्ट में सऊदी अरब 24वें नंबर पर है। इनके कुल एक्टिव सैनिक 2,57,000, अर्धसैनिक बल 1,50,000, 840 टैंक, 19,040 सैन्य वाहन, सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी 332, 321 रॉकेट लॉन्चर, वायुसेना में 917 विमान और 283 लड़ाकू विमान हैं।
सऊदी अरब अमेरिका का ईरान के खिलाफ और मध्य-पूर्वी में एक प्रमुख सैन्य सहयोगी है.
3. ईरान (एशिया)
अमेरिका और इस्राइल का महत्वपूर्ण प्रतिद्वंद्वी या कहें घोर विरोधी, ईरान अपनी सैन्य शक्ति के लिए काफी हद तक स्वदेशी उत्पादन और विकास पर निर्भर करता है। वर्षों के प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान ने अपनी मिसाइल प्रौद्योगिकी, ड्रोन क्षमता और साइबर युद्ध क्षमताओं में उल्लेखनीय प्रगति की है। ईरान के पास 4071 लड़ाकू टैंक, 551 विमान, 101 युद्धपोत, 5.75 लाख सक्रिय सैनिक, 186 फाइटर जेट और 129 हेलीकॉप्टर हैं। ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताएं उसे क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाती हैं।
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान आर्थिक रूप से बहुत अधिक उन्नत नहीं है और उसका अधिकतर बजट अपनी सैन्य सुरक्षा के बंदोबस्त में खर्च हो जाता है
1. तुर्किए (यूरोप)
तुर्किए अपनी मजबूत और आधुनिक सेना के लिए जाना जाता है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के अनुसार, तुर्किए विश्व की 9वीं सबसे शक्तिशाली सेना है। तुर्किए की रक्षा उद्योग में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिससे यह आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। तुर्किए के पास 3,55,200 सक्रिय सैनिक, 3,78,700 रिजर्व सैनिक, आर्मर्ड व्हीकल्स 55,104 और 286 रॉकेट लॉन्चर्स हैं। तुर्किए की नौसेना भी काफी मजबूत है। इनके पास 205 लड़ाकू विमान और 12 पनडुब्बियां भी हैं। तुर्किए का रक्षा बजट लगभग 20 बिलियन डॉलर (2025 अनुमानित) हैं।
तुर्किए एशिया और यूरोप की सीमा पर होने के कारण अमेरिका का रूस के खिलाफ एक प्रमुख सहयोगी और नाटो सदस्य देश है
1. मिस्र (अफ़्रीका)
मिस्र, सैन्य शक्ति के मामले में अरब देशों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली है। मुस्लिम देशों में रक्षा लिहाज से सबसे ताकतवर देशों में पांचवें नंबर पर मिस्र का नाम शामिल है। विश्व में यह 19वें स्थान पर आता है। यहां पर सेना की संख्या 3 लाख से ज्यादा है। मिस्र के पास एक विविध हथियार सूची है, जिसमें लड़ाकू विमान, टैंक और नौसैनिक पोत शामिल हैं।
कभी इस्राइल का धुर विरोधी रहा उत्तरी अफ़्रीका और मध्य-पूर्व का, अमेरिकी सैन्य सहयोगी देश इजिप्त (मिस्र) यूरोप की सीमा पर स्थित है लेकिन आर्थिक तौर पर किसी बड़े मिशन या गठजोड़ को मदद करने में सक्षम नहीं है।
2. अल्जीरिया (अफ़्रीका)
उत्तरी अफ्रीका में अल्जीरिया एक महत्वपूर्ण सैन्य शक्ति है। ग्लोबल फायरपावर के लिहाज से अल्जीरिया इस्लामिक देशों में 7वें नंबर पर आता है, लेकिन दुनिया के 146 देशों में इसकी रैंक 26वीं है। इसने हाल के वर्षों में अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर भारी निवेश किया है, मुख्य रूप से रूस से उन्नत हथियार प्रणालियां खरीदी हैं। इसमें अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, मिसाइल रक्षा प्रणालियां और पनडुब्बियां शामिल हैं। अल्जीरिया की सेना अपने विशाल आकार और बढ़ती क्षमताओं के साथ, क्षेत्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देती है। यहां 3.25 लाख एक्टिव सैनिक हैं।
धार्मिक उन्माद और तेल के व्यापार पर अपनी पकड़ बनाने के लिए यदि प्रमुख सैन्य क्षमता वाले मुस्लिम देश किसी बड़े सैन्य गठबंधन के लिए एक साथ आते हैं, तो यह अमेरिका और चीन जैसे देशों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
अमेरिक, रूस और अन्य देशों से हथियार और अन्य सैन्य समान आयात करने वाले इन देशों के पास बड़ी संख्या में सैन्यकर्मी, उन्नत हथियार प्रणालियाँ और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थान हैं।
हालांकि, मुस्लिम देशों का ऐसा गठबंधन बनाना आसान नहीं है, क्योंकि इन देशों के बीच अभी भी राजनीतिक और वैचारिक मतभेद हैं। इसके बावजूद, अगर ये देश उन्माद के कारण किसी साझा उद्देश्य के लिए एक साथ आते हैं, तो उनकी संयुक्त सैन्य शक्ति दुनिया की किसी भी अन्य शक्ति को कड़ी चुनौती दे सकती है और वैश्विक शक्ति संतुलन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। यह निश्चित रूप से अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों को अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर सकता है।