Guru Purnima : गुरु पूर्णिमा त्यौहार सभी आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरुओं को सम्मान देने के लिए समर्पित है। इसे भारत, नेपाल और भूटान में हिंदुओं, जैनियों और बौद्धों द्वारा एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार पारंपरिक रूप से अपने आध्यात्मिक शिक्षकों या गुरुओं का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है।
हिन्दू वर्ष के आषाढ़ माह में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के नाम से जाना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन चारों वेदों का ज्ञान देने वाले महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था।
मानव जाति के प्रति उनके योगदान को देखते हुए उनके जन्मोत्सव को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
महर्षि वेद व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसलिए इन्हें प्रथम गुरु की उपाधि दी जाती है।
पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को है।
Guru purnima date: 21 जुलाई, 2024
मुहूर्तं (Muhurta) :
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – जुलाई 20, 2024 को 05:59 पी एम बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त – जुलाई 21, 2024 को 03:46 पी एम बजे
गुरु का भारतीय सभ्यता में विशेष महत्व है। गुरु व्यक्ति का मार्गदर्शन कर सही दिशा में ले जाने का कार्य करते हैं और और सही मार्ग पर चल कर व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
Guru Purnima Puja
गुरु पूर्णिमा के पावन दिन, प्रातः काल उठकर स्नान कर लें, यदि संभव हो तो स्नान के जल में गंगा-जल मिला लें और सभी पवित्र सरोवर और जीवन दायिनी पावन नदियों का स्मरण कर उनको प्रणाम करें.
(हिन्दू संस्कृति में प्रकृति का हमेशा सम्मान किया जाता है और किसी भी पूजा में प्रकृति जैसे, पृथ्वी ( भूमि , पर्वत, वन या जंगल) , जल (नदियां, समुन्द्र सरोवर ), आकाश, वायु , अग्नि की पूजा सर्वप्रथम की जाती है,
हिन्दू धर्म के अनुसार मानव या कोई अन्य जीव (living Creature) पृथ्वी , वायु, अग्नि , जल, आकाश तत्वों से मिलकर बना है और जीवन के अंत में वापस उन्ही अव्यवों में विभक्त हो जाता है.
नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
प्रथम अपने गुरु का, महर्षि वेद व्यास जी का, और फिर अन्य देवी-देवताओं का गंगा जल, पुष्प से अभिषेक करें।
(हिन्दू धर्म के अनुसार गुरु को भगवन से भी ऊंचा मन गया है और उनकी प्रथम पूजा अर्चना की जाती है )
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।, शरीर की उचित देखभाल और पाचन तंत्र की मज़बूती के लिए अगर संभव हो तो दिन में व्रत भी रखें। (यह निर्णय आपके निजी स्वास्थ और आपके चिकित्सक के परामर्श के अनुसार लें.)
पूर्णिमा पर पवित्र नदिओं, सरोवर में स्नान का महत्व मन गया है स्नान के बाद शिवजी (शिवजी का नाम चंद्रमौलि भी है ) को जल अर्पित कर पुष्प एवं बेलपत्री से अभिषेक का विशेष महत्व होता है और इसे चंद्रमा की पूजा का महत्व मिलता है।
चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा का स्मरण करें।
बेसहारा और जरूरतमंदों की मदद करें, बेजुबान जानवरों की मदद करें और संभव हो तो उनके भोजन का लम्बे समय तक के लिए प्रबंध करें,
सिर्फ उत्सव या त्योहारों पर जानवरों को भोजन देने से अच्छा है उनके लिए जीवनपर्यन्त भोजन पानी का प्रवन्ध करने समाज के साथ मिलकर प्रयास करना।