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Monday, December 23, 2024

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Vaastu Shaastra: वास्तु शास्त्र में सूर्यास्त के बाद का जीवन और जनश्रुतियां

 

वास्तु शास्त्र: सूर्यास्त के बाद का जीवन और जनश्रुतियां.

वास्तु शास्त्र के मुताबिक, शाम के समय कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। संध्या काल या रात के समय की गई कुछ गलतियां आपकी फाइनेंशियल सिचुएशन को बिगाड़ सकती है।

आइए जानते हैं संध्या काल के दौरान कौन से काम करना अनुचित माना जाता है।

सूर्यास्त के बाद घर में रोशनी करना: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि शाम के समय देवी-देवता भ्रमण पर निकलते हैं। और सूर्यास्त के बाद घर के किसी भी कोने में अंधेरा न रहे। शाम के वक्त अंधेरा रहने से घर की सुख समृद्धि पर बुरा असर पड़ता है।

इस विचार या जनश्रुति के लिए लेखक का मानना है कि, प्राचीन समय में मनुष्य का जीवन स्तर , रहन सहन जंगली वातावरण का था, घाँस या मिट्टी के घरों में रहना, जंगली पेड़, विषैले जीव आसपास रहे थे.

इसलिए संध्या-काल में घर में प्रकाश की समुचित व्यवस्था होना आवश्यक बताय गया था, जिससे आप घर की सभी जगह ( कोनों ) में देख सकें की कोई हानिकारक जीव जंतु तो नहीं है. घर की सभी चीजें व्यवस्थित रूप से हैं और आप भोजन उपरांत आराम से जमीन में लेटकर रात में नींद ले सकें.

झाडू लगाना– सूर्यास्त के बाद कभी भी घर या आस-पास के एरिया में झाड़ू नहीं लगना चाहिए। माना जाता है की शाम के समय झाडू लगाने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और धन की हानि हो सकती है।

इस विचार या जनश्रुति के लिए लेखक का मानना है कि,पर्याप्त प्रकाश की अनुपस्थिति में साफ सफाई न करने के लिए कई कारण हो सकते है जैसे कि,

अँधेरे में कीड़े, विषैले जीव या अन्य जीव दिखाई नहीं देते है और साफ सफाई के दौरान उनके लिए और अपने लिए हानिकारक हो सकता है.

उचित प्रकाश न होने से साफ सफाई ठीक से नहीं हो सकती है कूड़ा-कर्कट ठीक से दिखाई नहीं दे पाएगा.

प्रकाश पर्याप्त न होने से सफाई के समय किसी प्रकार की चोट लगने या दुर्घट्ना की सम्भावना भी रहती है
और इन सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए यह प्रचलित किया गया की संध्या काल या रात के समय झाड़ू नहीं लगाना चाहिए.

क़र्ज़ का लेनदेन: वास्तु विद्या के अनुसार संध्या काल में पैसों का लेन-देन करना अअनुचित माना जाता है। खासतौर पर इस समय किसी को छोटी से छोटी रकम भी उधर नहीं देनी चाहिए और न ही किसी से उधार लेना चाहिए।

माना जाता है कि सूर्यास्त होने के बाद लिया गया कर्ज कभी अदा नहीं होता है।

इस विचार या जनश्रुति के लिए लेखक का मानना है कि, प्राचीन समय में इस तथ्य के पीछे कई कारण हो सकते है, जैसे की उचित प्रकाश की अनुपस्थिति में दिए और लिए गए क़र्ज़ का उचित प्रमाण नहीं रह पता था, जिसका फायदा क़र्ज़ लेने और देने वाले दोनों उठा सकते है.
इसलिए कहा गया होगा की उचित प्रकाश की उपस्थिति में क़र्ज़ या पैसे का लेनदेन करें. और वह स्मरणियें भी रहेगा और देय भी होगा.

तुलसी की पत्तियां तोड़ना– तुलसी माता को मां लक्ष्मी का ही रूप माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि शाम के समय तुलसी जी को स्पर्श करने या पत्तियां तोड़ने से घर में दरिद्रता आ जाती है। इसलिए मां लक्ष्मी की कृपा बनाए रखने के लिए शाम के समय न तो तुलसी जी को जल चढ़ाएं और न ही उन्हें स्पर्श करें।

इस विचार या जनश्रुति के लिए लेखक का मानना है कि, भारत के महान वैज्ञानिक सर जगदीश चंद्र बसु (बोस) ने यह सिद्ध किया था की पेड़-पौधों में भी जीवन होता है, और वह मनुष्य के सामान की व्यहार करते है जैसे की खुश या उदास होना, दर्द होना या हंसना, सोना जागना इत्यादि।

पेड़ का भोजन उनकी पत्तियाँ, सूर्य की रौशनी में, पत्तियों में पाया जाने वाला एक रसायन और सूर्य के प्रकाश की सहायता से बनातीं है.

किसी भी पेड़ या पौधे को रात में नुक्सान पंहुचाने से एक तो उनके नींद ख़राब होती है, रात में उनको पत्ती या तना टूटने से दर्द भी होगा , जिसकी भरपाई सुबह सूरज के उगने के बाद नया भोजन बनने के बाद होगी.

इसलिए कहा जाता है की संध्या काल के उपरांत किसी भी पेड़-पौधे को नुक्सान न पहुंचाएं , तुलसी का पौधा घर में सामान्यतः एक ही होता है और वह एक अमूल्य औषिधि या जड़ी-बूटी भी है, तो उसकी देखभाल बहुत अच्छे से करना आवश्यक होता है.

 

महाकवि तुलसीदास जी ने श्री रामचरित मानस में उद्धृत किया है कि

“कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करई सो तस फलु चाखा।”

अर्थात कर्म प्रधान है और पूरी लगन से कर्म करो, कर्म के अनुसार की परिणाम या फल की प्राप्ति होती है.

श्रीमद्भागवत गीता में भी प्रभु श्री कृष्ण कहतें हैं कि, बिना फल की इच्छा के सत्य पर आधारित कर्म करों। अर्थात , सही दिशा में पूर्ण निष्ठा से कर्म करो, उसका परिणाम की लालच मत करो , क्योंकि फल की इक्छा कर्म करने की लगन और निष्ठा को प्रभावित केर सकते है.

 

डिस्क्लेमर: इस लेख में दिए गए विचार या जनश्रुति पर हम यह दावा नहीं करते कि ये सत्य एवं सटीक हैं यह मात्र विचार हैं धर्म या वास्तु से सम्बंधित विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें.

 

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