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Monday, December 1, 2025

Astrology: महाराज शनिदेव जी 30 जून से वक्री चाल शुरू करेंगे.

Astrology: ज्योतिषशास्त्र में अति विशेष स्थान प्राप्त महाराज शनिदेव जी 30 जून से वक्री चाल शुरू करेंगे.

29 जून दिन शनिवार को शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में वक्री होने वाले हैं और इस अवस्था में वह 15 नवंबर तक रहेंगे।

यानी 29 जून से उल्टी चाल से चलते हुए शनिदेव लगभग 5 महीने तक कई राशियों के लिए प्रतिकूल फलदायी रहेंगे।

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जब क्रूर ग्रह वक्री अवस्था में होते हैं तो इनकी क्रूरता और बढ जाती है।

ऐसे में जिन लोगों पर साढ़ेसाती व ढैय्या चल रही है, उनके लिए यह समय और भी प्रतिकूल हो सकता है। इन स्थितियों से निपटने के लिए आपको अगले 5 महीने तक शनिदेव को शांत और प्रसन्न करने के लिए कुछ ज्योतिष उपायों को जरूर आजमाना चाहिए।

इन उपायों के करने से ढैय्या व साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव में कमी आएगी और शनिदेव के आशीर्वाद से जीवन के सभी कष्ट दूर होंगे।

शनि के वक्री होने पर किस राशि पर क्या प्रभाव हो सकता है

  • मेष राशि (Aries) पर शनिदेव की तीसरी दृष्टि.

कुंभ राशि में विराजमान शनिदेव की आपकी राशि पर तीसरी दृष्टि पड़ने वाली है। ऐसे में आपको पर्सनल और प्रफेशनल लाइफ में सावधानी बरतने की जरूरत है।

साथ ही अपने कार्यों के प्रति सतर्क रहना होगा और सोच-समझकर अपने फैसले लेने होंगे। इस दौरान किसी भी तरह का धन का लेन देन करने से बचें अन्यथा धन हानि की आशंका बन रही है।

जीवन से संतुष्टि कहीं गायब रहने वाली है और आपको अपनी सेहत का भी ध्यान रखना होगा।

  • सिंह राशि (Leo) पर शनिदेव की सातवीं दृष्टि.

वक्री शनिदेव की आपकी राशि पर सातवीं दृष्टि रहने वाली है। इस दौरान नौकरी पेशा जातकों करियर से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और व्यापारियों को प्रतिस्पर्धियों से कड़ी टक्कर भी मिलेगी, जिसकी वजह से मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।

वाहन चलाते समय सावधानी बरतें और अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखें। आपको आर्थिक मामलों पर ध्यान देना होगा और खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा।

  • कर्क (Cancer) और वृश्चिक राशि (Scorpio) पर शनि की ढैय्या.

कर्क और वृश्चिक राशि शनि की ढैय्या चल रही है, ऐसे में शनि वक्री के दौरान इन राशियों को अपने विचारों को स्पष्ट करने की आवश्यकता होगी और किसी भी तरह के विवाद से दूर रहना होगा। साथ ही परिवार में किसी तरह की अनबन होने की आशंका बन रही है, जिससे घर का माहौल खराब हो सकता है।

आपको निवेश पर ध्यान देना होगा और पैसा सावधानी से खर्च करने की आवश्यकता होगी अन्यथा कर्ज लेने की स्थिति बन सकती है।

  • मकर (Capricorn), कुंभ (Aquarius) और मीन (Pisces) राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती.

मकर, कुंभ और मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है, ऐसे में शनि वक्री के दौरान इन राशि वालों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आपके कार्यों में बिना वजह की अड़चन का सामना करना पड़ सकता है और किसी करीबी से धोखा मिलने की आशंका भी बन रही है।

पारिवारिक मुद्दों को लेकर आप चिंतित रह सकते हैं और मन में तरह-तरह के विचार आ सकते हैं। नौकरी पेशा और व्यापारियों को इस दौरान सावधानी से कार्य करने की आवश्यकता होगी।

हालांकि कुंभ राशि वालों को इस दौरान ज्यादा परेशानी नहीं होगी क्योंकि शनिदेव कुंभ राशि में ही विराजमान हैं और वह उनकी मूल त्रिकोण राशि है।

राशि अनुसार संभवतः प्रभाव:

मेष राशि (Aries): आत्मविश्वास तो भरपूर रहेगा, परंतु आत्मसंयत भी रहें। परिवार में शांति बनाए रखने के प्रयास करें। सप्ताह के प्रारंभ में माता की सेहत का ध्यान रखें। कुटुंब-परिवार में धार्मिक कार्य हो सकते हैं।

वृषभ राशि (Taurus): मन प्रसन्न रहेगा, परंतु सेहत के प्रति सचेत रहें। खर्चों की अधिकता रहेगी। वस्त्रों के प्रति रुझान बढ़ सकता है। पिता के सहयोग से कारोबार में वृद्धि होगी।

मिथुन राशि (Gemini): आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। सप्ताह के प्रारंभ में मन प्रसन्न रहेगा। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान पर जाने का कार्यक्रम बन सकता है। उपहार में वस्त्र मिल सकते हैं।

कर्क राशि (Cancer): वाणी में मधुरता रहेगी। आत्मविश्वास भी भरपूर रहेगा। फिर भी संयत रहें। जीवनसाथी की सेहत का ध्यान रखें। नौकरी में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। आय में वृद्धि।

सिंह राशि (Leo): आत्मविश्वास भरपूर रहेगा, परंतु मन परेशान रहेगा। बातचीत में संतुलित रहें। सेहत का ध्यान रखें। पिता का सान्निध्य मिलेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। मन प्रसन्न रहेगा।

कन्या राशि (Virgo): मन परेशान हो सकता है। जीवनसाथी की सेहत का ध्यान रखें। माता का सान्निध्य मिलेगा। नौकरी में परिवर्तन के अवसर मिल सकते हैं। शैक्षिक कार्यों में सफल रहेंगे।

तुला राशि (Libra) : मन तो प्रसन्न रहेगा, परंतु आत्मविश्वास में कमी रहेगी। शैक्षिक कार्यों में सुधार होगा। कला या संगीत के प्रति रुचि बढ़ सकती है। कारोबार में वृद्धि होगी। लाभ में वृद्धि होगी।

वृश्चिक राशि (Scorpio): मन परेशान रहेगा। आत्मविश्वास में कमी रहेगी। आत्मसंयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। किसी पुराने मित्र से भेंट हो सकती है।

धनु राशि (Sagittarius): मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भी भरपूर रहेगा। नौकरी में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। अफसरों का सहयोग मिलेगा। संतान सुख में वृद्धि होगी।

मकर राशि (Capricorn): मन परेशान रहेगा। आत्मविश्वास में कमी रहेगी। संयत रहें। धैर्यशीलता बनाए रखें। कारोबार में निवेश कर सकते हैं। कारोबार के लिए यात्रा पर जा सकते हैं।

कुंभ राशि (Aquarius): मन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। आत्मसंयत रहें। क्रोध के अतिरेक से बचें। जीवनसाथी की सेहत का ध्यान रखें। वाहन सुख में कमी आ सकती है। तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे।

मीन राशि (Pisces): मन परेशान रहेगा। संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध व वाद-विवाद से बचें। संतान की सेहत का ध्यान रखें। कारोबार में वृद्धि होगी। लाभ में वृद्धि होगी। किसी पैतृक संपत्ति से धन मिल सकता है।

शनि की ढैय्या व साढ़ेसाती का पूजन उपाय

  • शनिवार के दिन हनुमानजी के साथ साथ शनिदेव की भी पूजा करें और यदि संभव हो तो शास्त्रों में लिखे अनुसार मन्त्रों का जाप करें.
  • दाएं हाथ की मध्य उंगली में लोहे की अंगूठी या छल्ला पहनें, मध्यमा उंगली शनिदेव की उंगली कहलाती है, पुरुषों को अपने दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में इसे धारण करना चाहिए और महिलाओं को बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे की अंगूठी या छल्ला पहनना चाहिए.
  • गरीबों और जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र, फल आदि जरूरत का सामान दें और संभव हो, तो जरुरतमंदों और जीव-जंतुओं की जीवन पर्यन्त भोजन व्यवस्था करने में सहयोग दें या व्यवस्था का नेतृत्व करें.
  • हर शनिवार को तांबा, तिल या सरसों का तेल चढ़ाएं। साथ ही शास्त्र अनुसार मंत्र और स्तोत्र का जाप करें.
  • चींटियों को शहद, गुड़, घी-आटा-चीनी खिलाएं.
  • रामचरित मानस के सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
  • सड़क या अन्य स्थानों के जानवरों को न मारें, संभव हो तो उनकी दवा और भोजन की व्यवस्था करें.

कर्म और कर्मफल के सम्बन्ध में, महाकवि तुलसीदास जी ने श्री रामचरित मानस में उद्धृत किया है कि

“कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस करई सो तस फलु चाखा।”

अर्थात कर्म प्रधान है और पूरी लगन से कर्म करो, कर्म के अनुसार की परिणाम या फल की प्राप्ति होती है.

श्रीमद्भागवत गीता में भी प्रभु श्री कृष्ण कहतें हैं कि, बिना फल की इच्छा के सत्य पर आधारित कर्म करों। अर्थात , सही दिशा में पूर्ण निष्ठा से कर्म करो, उसका परिणाम की लालच मत करो , क्योंकि फल की इक्छा कर्म करने की लगन और निष्ठा को प्रभावित केर सकते है.

डिस्क्लेमर: इस लेख में दिए गए विचार पर हम यह दावा नहीं करते कि ये सत्य एवं सटीक हैं यह मात्र विचार हैं धर्म से सम्बंधित विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें.

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