21.2 C
Hyderabad
Monday, December 23, 2024

Top 5 This Week

Related Posts

Nirjala Ekadashi 2024: निर्जला एकादशी पर शुभ योग, मुहूर्त और पूजाविधि

 

Nirjala Ekadashi 2024 : अनंत पुण्य फल देने वाली निर्जला एकादशी का व्रत इस बार 18 जून को पड़ रहा है।

इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की उपासना की जाएगी।

इस साल निर्जला एकादशी पर 3 शुभ योग के संयोग से भक्तों को विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत रखने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।

निर्जला एकादशी मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि 17 जून को सुबह 4 बजकर 43 मिनट से शुरू हो जाएगी और अगले दिन 18 जून को सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगी।

उदया तिथि के चलते 18 जून, मंगलवार को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

इस बार निर्जला एकादशी पर तीन मंगलकारी संयोग बन रहे रहे हैं।

इस दिन त्रिपुष्कर योग, शिव योग और स्वाति नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है। यह संयोग समृद्धि में वृद्धि के कारक माने जाते हैं।

निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त 

  • निर्जला एकादशी तिथि प्रारम्भ – जून 17, 2024 को 04:43 am
  • निर्जला एकादशी तिथि समाप्त – जून 18, 2024 को 06:24 am
  • 19 जून को, पारण (व्रत तोड़ने का)समय – 05:24 ए एम से 07:28 am
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 07:28 am

निर्जला एकादशी पूजा-विधि 

  • स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें
  • मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें
  • भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें
  • प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें
  • प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें
  • संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें
  • निर्जला एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
  • भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें
  • प्रभु को तुलसी सहित भोग लगाएं
  • अंत में क्षमा प्रार्थना करें

मंत्र:  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ विष्णवे नम:

निर्जला एकादशी की मान्यता

मान्यता है पांडव भाइयों में से भीम ने ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बगैर जल ग्रहण किए एकादशी का व्रत किया था।

इस व्रत को करने के कारण भीम को मोक्ष और लंबी आयु का वरदान प्राप्त हुआ था।

निर्जला एकादशी को एकादशी व्रतों में विशेष माना जाता है और इसे साल भर की सभी एकादशी व्रत के बराकर माना जाता है।

 

 

 

Popular Articles