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Monday, December 23, 2024

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George Soros: भारतीय लोकतंत्र को चुनौती देने की कोशिश, कांग्रेस से संबंधों पर बीजेपी का निशाना

 

George Soros: भारतीय लोकतंत्र को चुनौती देने की कोशिश, कांग्रेस से संबंधों पर बीजेपी का निशाना

सोमवार को बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ‘फोरम फॉर डेमोक्रेटिक लीडर्स ऑफ़ एशिया पैसिफ़िक’ से कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी से संबंध होने के आरोप लगाए हैं.

बीजेपी का आरोप है कि इस फोरम में भारत विरोधी और पाकिस्तान के समर्थन की बातें हो रही हैं.

बीजेपी ने आरोप लगाया है कि इस फोरम की फंडिंग ‘जॉर्ज सोरस’ (George Soros is American billionaire and founder of Soros Fund Management LLC) के फ़ाउंडेशन से हो रही है.

बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी इससे पहले राज्यसभा में भी आरोप लगा चुके हैं कि ओसीसीआरपी OCCRP Report (ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट), जो कि एक फ़्रेंच पब्लिकेशन (French publication) है, उसने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि इस प्रोजेक्ट को विदेशी फंडिंग है और इसका फ़ोकस भारत पर भी है.

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “इस रिपोर्ट को विदेशी फंडिंग के अलावा इसके संबंध जॉर्स सोरोस से भी हैं.”

उन्होंने सवाल किया कि बीते तीन साल से क्या ये एक संयोग रहा है कि जब भी भारत में संसद का सत्र चलता है तभी पेगासस रिपोर्ट (Pegasus Report), किसान आंदोलन, मणिपुर हिंसा और हिंडनबर्ग (Hindenburg) जैसी घटनाएं होती हैं.

सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया कि इसी सिलसिले में कोविड वैक्सिन पर भी रिपोर्ट छपती है और मौजूदा सत्र से पहले अमेरिकन अटॉर्नी (American Attorney) की एक रिपोर्ट भारत के बिज़नेस हाउस से बारे में आती है.

सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में सवाल खड़े किए कि यह सब जानबूझकर हो रहा है या अनजाने में.

इससे पहले, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोरोस फ़ाउंडेशन में काम करने वाले लोगों के बीच संबंधों का आरोप लगाया था.

निशिकांत दुबे ने गुरुवार को इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था और संसद के बाहर भी इस मुद्दे पर मीडिया में बयान दिया था.

हालांकि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने निशिकांत दुबे के आरोप को संसदीय विशेषाधिकार के ख़िलाफ़ बताया है. शशि थरूर ने आरोप लगाया है कि संसद के नियमों के ख़िलाफ़ राहुल गांधी को बिना नोटिस दिए निशिकांत दुबे को बोलने की अनुमति दी गई.

वहीं बीजेपी सांसद किरेन रिजिजू का कहना है कि कुछ मुद्दों पर राजनीतिक चश्मे से बाहर आकर देखना चाहिए और सभी को मिलकर देश विरोधी ताक़तों से लड़ना चाहिए.

रिजिजू ने आरोप लगाया है, जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन George Soros Foundation ) के साथ कई ऐसी ताक़ते हैं जो भारत के ख़िलाफ़ काम करती हैं. ”

पिछले साल की शुरुआत में जर्मनी के म्यूनिख़ में रक्षा सम्मेलन में जॉर्ज सोरोस ने कहा था ‘भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं’

सोरोस के इस बयान के फौरन बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा कि जॉर्ज सोरोस का बयान भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बर्बाद करने की कोशिस है.

सोरोस के बयान पर उस वक़्त भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि सोरोस की टिप्पणी ठेठ ‘यूरो अटलांटिक नज़रिये’ (Euro-Atlantic perspective) वाली है.

जयशंकर ने कहा था, “सोरोस एक बूढ़े, रईस, हठधर्मी व्यक्ति हैं जो न्यूयॉर्क में बैठकर सोचते हैं कि उनके विचारों से पूरी दुनिया की गति तय होनी चाहिए.”

इससे पहले, जनवरी 2020 में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम (world economic forum) की बैठक के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए सोरोस ने कहा था कि भारत को हिंदू राष्ट्रवादी देश बनाया जा रहा है.

कौन हैं जॉर्ज सोरोस? (Who is George Soros? )

जॉर्ज सोरोस एक अमेरिकी अरबपति उद्योगपति हैं. ब्रिटेन में उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की तरह जाना जाता है जिसने साल 1992 में शॉर्ट सेलिंग से बैंक ऑफ़ इंग्लैंड (Bank of England) को बर्बादी की हद तक हिला दिया था.

उनका जन्म हंगरी में एक यहूदी परिवार में हुआ था. हिटलर के नाज़ी जर्मनी में जब यहूदियों को मारा जा रहा था तो वो किसी तरह सुरक्षित बच गए.

बाद में वे कम्युनिस्ट देश से निकलकर पश्चिमी देश आ गए थे. शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले सोरोस ने शेयर बाज़ार से क़रीब 44 अरब डॉलर कमाए.

उन्होंने साल 2003 के इराक़ युद्ध की आलोचना की थी और अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी को लाखों डॉलर दान में दिए थे. इसके बाद से उनपर अमेरिकी दक्षिणपंथियों के हमले और तेज़ होने लगे.

साल 2019 में ट्रंप ने एक वीडियो को रिट्वीट करते हुए दावा किया था कि होन्डुरास से हज़ारों शरणार्थियों को अमेरिकी सीमा पार करके दाख़िल होने के लिए सोरोस ने पैसे दिए थे.

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या इसके पीछे सोरोस हैं तो ट्रंप का जवाब था बहुत से लोग ऐसा ही कहते हैं और अगर ऐसा है तो वो भी इससे हैरान नहीं होंगे.

बाद में पता चला कि सोरोस ने किसी को कोई पैसे नहीं दिए थे और ट्रंप ने जो वीडियो शेयर किया था वो भी फ़ेक था.

सोरोस के ख़िलाफ़ रहे हैं कई देश (Many countries have been against Soros)

अक्टूबर 2018 में एक अमेरिकी श्वेत श्रेष्ठतावादी (वाइट सुपरेमिस्ट) ने सिनागॉग में गोलीबारी कर 11 यहूदियों को मार दिया था.

गोलीबारी करने वाले रॉबर्ट बोवर्स की सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से कई बातें पता चलीं. वो मानते थे कि उनकी जैसी विचारधारा रखने वाले श्वेत श्रेष्ठतावादियों के नरसंहार का षडयंत्र रचा जा रहा है. उसे लगता था कि इसके पीछे जॉर्ज सोरोस हैं.

लेकिन अमेरिका ही नहीं जॉर्ज सोरोस के ख़िलाफ़ आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, रूस और फ़िलीपींस में भी अभियान चलाए जाते हैं.

तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप अर्दोआन तक ने कहा था कि सोरोस उस यहूदी साज़िश के केंद्र में हैं जो तुर्की को आपस में बांट कर बर्बाद करना चाहता है.

ब्रिटेन की ब्रेग्ज़िट पार्टी के नाइजल फराज का दावा है कि सोरोस शरणार्थियों को पूरे यूरोप में फैल जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. उनके मुताबिक़ सोरोस पूरी पश्चिमी दुनिया के लिए सबसे बड़ा ख़तरा हैं.

सोरोस के जन्मस्थान हंगरी की सरकार भी उन्हें अपना दुश्मन मानती है और साल 2018 के चुनाव प्रचार के दौरान हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने सोरोस पर ख़ूब निशाना साधा.

उन चुनावों में ऑर्बन की जीत हुई और सोरोस समर्थित संस्थाओं पर सरकारी हमले इतने बढ़ गए कि सोरोस की संस्था ने हंगरी में काम करना बंद कर दिया.

उन पर भारत समेत दुनिया के कई देशों में सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगता रहा है और मीडिया के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनका इस्तेमाल कई देशों पर दबाव बनाने के लिए किया।

कलेक्टिव न्यूज़रूम द्वारा प्रकाशित

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