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Monday, December 1, 2025

द साबरमती रिपोर्ट: जेएनयू में फ़िल्म की स्क्रीनिंग के दौरान हुई पत्थरबाज़ी

जेएनयू में फ़िल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की स्क्रीनिंग के दौरान हुई पत्थरबाज़ी

बीबीसी न्यूज के अनुसार, दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में गुरुवार को फ़िल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की स्क्रीनिंग के दौरान पत्थरबाज़ी की घटना सामने आई है.

इस बारे में जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय ने बीबीसी से बात की. उन्होंने छात्र संगठन एबीवीपी को इस घटना का ज़िम्मेदार ठहराया है.

धनंजय ने कहा, “एक फ्लॉप फ़िल्म की स्क्रीनिंग के दौरान एबीवीपी ने खुद ही पत्थरबाज़ी की है. ये एक प्रोपेगेंडा फ़िल्म है और ये सिनेमाघरों में फ्लॉप रही. हाल के समय में जेएनयू को ऐसी जगह बनाने की कोशिश हो रही है जहां से इस तरह की फ़िल्मों की स्क्रीनिंग कराई जाती है ताकि मीडिया में इसकी बात हो.”

उन्होंने कहा कि लेफ़्ट ने इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग के ख़िलाफ़ पर्चा ज़रूर निकाला था.

साल 2024 में धनंजय ने यूनाइटेड लेफ़्ट की तरफ़ से जेएनयू छात्र संघ का चुनाव जीता था और अध्यक्ष बने थे. यूनाइटेड लेफ़्ट में एनएसयूआई और एसएफ़आई जैसे छात्र संगठन शामिल हैं.

वहीं, जेएनयू में पीएचडी के छात्र और एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया सह-संयोजक अंबुज मिश्र ने कहा, “इसमें कुछ लोग घायल हैं. साबरमती हॉस्टल की तरफ़ से पत्थर फेंके गए थे. किसी को गंभीर चोट नहीं आई है. लेकिन चोटें लगी हैं. यूनाइटेड लेफ़्ट ने इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग के ख़िलाफ़ सुबह पर्चा भी निकाला था.”

जेएनयू एबीवीपी ने भी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर घटना के बारे में पोस्ट लिखी है.

अपनी पोस्ट में जेएनयू एबीवीपी ने लिखा, “एबीवीपी ने जेएनयू में साबरमती ढाबे पर ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फ़िल्म की स्क्रीनिंग कराई, वामपंथियों ने फ़िल्म देख रहे छात्रों पर पत्थर फेंके, पत्थरबाजी की और पोस्टर फाड़े. सुबह एसएफ़आई ने प्रेस रिलीज़ निकालकर स्क्रीनिंग का विरोध किया था. गोधरा की सच्चाई न 20 साल पहले इन्हें पची थी न आज पच रही है.”

‘द साबरमती रिपोर्ट’ में विक्रांत मेसी और राशि खन्ना जैसे कलाकारों ने मुख्य भूमिका निभाई है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा समेत कई नेताओं के साथ यह फ़िल्म देखी थी.

विगत कई वर्षों से JNU में, देश विरोधी और अलगावादी घटनायें समाचार में आईं हैं, यहाँ पर मुखतः अनेक वर्षों से रहने वाले या रहने के लिए कोई न कोई कोर्स मे दाखिला लेने वाले छात्र इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते है, और उनको बाहरी राजनैतिक समर्थन भी प्राप्त रहता है।

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