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Sunday, December 22, 2024

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Dattatreya: त्रिदेव के अंश आदि गुरु भगवान दत्तात्रेय

 

दत्तात्रेय को आदि गुरु माना जाता है, जो एक बहुत ही प्राचीन शिक्षक हैं, और उनकी पूजा हमें सर्वोच्च ज्ञान, अच्छी बुद्धि और दिव्य ज्ञान का आशीर्वाद देती है। दत्तात्रेय हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा या पूर्ण चंद्र के दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे।

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु, ब्रह्माजी और भगवान भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इन्हें त्रिदेव भी कहा जाता है। भगवान दत्तात्रेय त्रिदेव के अंश हैं, जिनकी पूजा करने से व्यक्ति को तीनों देवों की पूजा के समान फल मिलता है। तो वहीं कुछ लोग भगवान दत्तात्रेय को गुरु का रूप भी मानते हैं।

दत्तात्रेय के जन्म की उपरोक्त पौराणिक कथा के अनुसार, उनका जन्म ब्रह्मा, विष्णु और शिव के तीन सिर के साथ हुआ था। उनकी माँ अनसूया ने कहा कि इस रूप के कारण समाज में उनका जीवित रहना बहुत मुश्किल हो जाएगा, और इस तरह तीनों सिर एक में समाहित हो गए।

हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। इस बार आज यानी की 14 दिसंबर 2024 को दत्तात्रेय जयंती मनाई जा रही है।

मार्गशीर्ष माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि बेहद खास है। पूर्णिमा तिथि का संबंध देवी-देवताओं से होता है। इसलिए इस दिन स्नान-दान करना शुभ माना जाता है। वहीं इस तिथि का संबंध चंद्र देव से भी है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का संबंध भगवान दत्तात्रेय से भी है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा-अर्चना करने से जातक के घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

दत्तात्रेय पूजन का शुभ मुहूर्त :

  • गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:23 से 05:51 के बीच।

भगवान दत्तात्रेय के मंत्र :

* दत्तात्रेय का महामंत्र – ‘दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा’

* तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र – ‘ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम:’

* दत्त गायत्री मंत्र – ‘ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात’

दत्तात्रेय जयंती पर पूजा विधि (Dattatreya Jayanti Puja Vidhi)

1. दत्तात्रेय जयंती के दिन साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।

2. इसके बाद साधक चाहें तो मंदिर में जाकर भगवान दत्तात्रेय की पूजा कर सकता है या फिर अपने घर पर ही भगवान दत्तात्रेय की पूजा कर सकता है।

3. साधक को दत्तात्रेय की पूजा करने से पहले एक चौकी पर गंगाजल छिड़कर उस पर साफ वस्त्र बिछाना चाहिए और भगवान दत्तात्रेय की तस्वीर स्थापित करनी चाहिए।

4. इसके बाद भगवान दत्तात्रेय को फूल, माला आदि अर्पित करके उनकी धूप व दीप से विधिवत पूजा करनी चाहिए।

5. साधक को इस दिन भगवान के प्रवचन वाली अवधूत गीता और जीवनमुक्ता गीता अवश्य पढ़नी चाहिए।

दत्तात्रेय जयंती( मार्गशीर्ष पूर्णिमा) पर भगवान दत्तात्रेय के साथ मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु, भगवान शिव और चंद्र देव की पूजा करना शुभ माना जाता है।

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