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Friday, July 4, 2025

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अन्नपूर्णा जयंती भोजन की देवी अन्नपूर्णा देवी की पूजा और व्रत

अन्नपूर्णा जयंती, भोजन की देवी अन्नपूर्णा देवी की पूजा और व्रत

अन्नपूर्णा जयंती का व्रत 15 दिसंबर 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर 12 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. इस विशेष समय में देवी मां की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

अन्नपूर्णा को धन-धान्य की देवी माना जाता है। हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस साल अन्नपूर्णा जयंती 15 दिसंबर, रविवार को है।

हिंदू धर्म में, देवी अन्नपूर्णा या अन्नपूर्णा देवी, भोजन की देवी हैं। वह देवी पार्वती का अवतार हैं; वास्तव में शक्ति के अनेक रूपों में से एक । इस अवतार में वह सभी जीवों का पोषण करती हैं और इसलिए हिंदू ‘अन्नम’ (भोजन) को पवित्र मानते हैं।

अन्नपूर्णा काशी (वाराणसी) शहर की देवी हैं, जहां उन्हें अपने पति विश्वेश्वर (शिव) , जो कि वाराणसी के राजा हैं, के साथ वाराणसी की रानी माना जाता है।

घर में रसोईघर सबसे महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह देवी अन्नपूर्णा का मंदिर है और इसलिए सौभाग्य के प्रवाह को बढ़ाने के लिए इसकी सुंदरता का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।

अन्नपूर्णा जयंती पर चावल, दूध वाली खीर बनाकर मां अन्नपूर्णा को इसका भोग लगाएं और बाद में प्रसाद स्वरूप परिवार के साथ ग्रहण करें. इस उपाय से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होकर अन्न-धन का आशीर्वाद देती है.

Annapurna Vrat: व्रत करने वाले मूंग की दाल,चावल, जौ का आटा खा सकते हैं. इसके अलावा अरवी, केला, आलू, कन्दा, मूंग दाल का हलवा खाते हैं. इस व्रत के दौरान नमक पूरी तरह से वर्जित रहता है. इस व्रत में सुबह घी का दीपक जलाया जाता है और माता अन्नपूर्णा की कथा पढ़ी जाती है. और रसोई में बैठकर मां अन्नपूर्णा के सिद्धि मंत्र का जाप आवश्य करना चाहिए।

यह मंत्र है: अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे । ज्ञान वैराग्य-सिद्ध्‌यर्थं भिक्षां देहिं च पार्वति ।।

सामान्यतः हिन्दू संस्कृति में भोजन से पहले, प्रभु का स्मरण करके भोजन मंत्र  का पाठ किया जाता है

“ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै”

इसके बाद भोजन ग्रहण करना चाहिए।

 

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