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Monday, December 23, 2024

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भविष्य की लौह अयस्क जरूरतों के लिए NMDC, OMC और Tata Steel में बातचीत

 

टाटा स्टील (Tata Steel) ने भविष्य में लौह अयस्क (Iron Ore) की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकारी खनन कंपनियों एनएमडीसी (NMDC) और ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन (OMC) के साथ बातचीत शुरू की है। इसकी वजह यह है कि कंपनी अपनी घरेलू इस्पात विनिर्माण क्षमता बढ़ा रही है।

टाटा स्टील के उपाध्यक्ष (कच्चा माल) डी बी सुंदर रामम ने पीटीआई-को बताया कि कंपनी कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी रणनीति के तहत कलमंग वेस्ट और गंदालपाड़ा नामक दो नई लौह खदानों का भी परिचालन शुरू करेगी।

वर्तमान में, टाटा स्टील लौह अयस्क की अपनी पूरी मांग को ओडिशा और झारखंड में कंपनी द्वारा संचालित छह लौह अयस्क खदानों से पूरा करती है। लौह अयस्क (Iron Ore), इस्पात निर्माण के लिए इस्तेमाल होने वाला एक प्रमुख कच्चा माल है।

रामम ने कहा कि कच्चे माल की योजना इसलिए बनाई गई है क्योंकि चार खदानों,  नोवामुंडी लौह अयस्क खदान (1925 से संचालित), काटामाटी और खोंडबोंड (1933 से) और जोडा ईस्ट (1956) का पट्टा मार्च, 2030 में समाप्त हो रहा है। वहीं दो अन्य खदानें एनआईएनएल (मिथिरदा) और विजय-दो परिचालन में बनी रहेंगी।

उन्होंने बताया कि ये खानें एनआईएनएल संयंत्र और उषा मार्टिन के इस्पात कारोबार के अधिग्रहण के साथ आई हैं। रामम से जब लौह अयस्क की आपूर्ति के लिए कंपनी की रूपरेखा के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘‘हमारी योजना तैयार है।’’ कंपनी अपनी घरेलू इस्पात उत्पादन क्षमता को मौजूदा के 2.2 करोड़ टन सालाना से बढ़ाकर 2030 तक चार करोड़ टन करना चाहती है।

टाटा स्टील ने बीते वित्त वर्ष 2023-24 में 3.8 करोड़ टन लौह अयस्क का उत्पादन किया और चालू वित्त वर्ष में कंपनी की योजना 4.1 करोड़ टन उत्पादन की है।

कंपनी को चार करोड़ टन इस्पात उत्पादन के लक्ष्य के लिए छह करोड़ टन लौह अयस्क की जरूरत होगी।

योजना साझा करते हुए रामम ने कहा कि कंपनी चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कलमंग लौह अयस्क खदान और 2029 तक गंदालपाड़ा में परिचालन शुरू करना चाहती है, क्योंकि उसके बाद चार खदानें नीलामी के लिए जाएंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘अभी यह तय नहीं है कि हमें ये खदानें मिलेंगी। यही वजह है कि हम वित्त वर्ष 2028-29 में गंदालपाड़ा में उत्पादन शुरू करने जा रहे हैं। ताकि जब अन्य खदानें नीलामी में हों और शायद कुछ बदलाव हो, तो उस समय यह खदान एक करोड़ टन का उत्पादन करेगी। उन्होंने बताया कि कलमंग और गंदालपाड़ा खदानों का कुल अनुमानित भंडार 40 करोड़ टन के करीब होगा।

 

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