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Saturday, July 5, 2025

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मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पूजा विधि, तिल-गुड़ और स्नान-दान का मुहूर्त

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। यहां हम आपको देंगे मकर संक्रांति त्योहार से जुड़ी हर एक जानकारी।

स्नान-दान का पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2025) तीन साल बाद 14 जनवरी मंगलवार को मनाया जायेगा.

मकर संक्रांति इस साल 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

मकर संक्रान्ति मुहूर्त (Makar Sankranti Muhurat 2025)

14 जनवरी 2025 को इस साल मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान दान का शुभ मुहूर्त रहेगा। इसमें सुबह 8 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर में 12 बजकर 51 मिनट तक का समय पुण्य काल रहेगा।

मकर संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त (Makar Sankranti Punya Kaal Muhurat 2025)

मकर संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त 14 जनवरी की सुबह 09:03 से शाम 05:46 बजे तक रहेगा। महा पुण्य काल समय सुबह 09:03 से सुबह 10:48 बजे तक रहेगा।

मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यूपी और बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी कहते हैं वहीं दक्षिण भारत में इस त्योहार को पोंगल कहा जाता है। मध्य भारत में इसे माघी/भोगली बिहू आदि के नाम से मनाते हैं। इस दिन कहीं दही-चूड़ा तो कहीं खिचड़ी और तिल के लड्डू बनाए जाते हैं।

14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इसलिए इसे उत्तरायण संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति से खरमास समाप्त होता है और शुभ व मांगलिक कार्यों की फिर से शुरुआत हो जाती है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर एक मास और इसके पश्चात शनि देव की ही राशि कुंभ में एक मास निवास करते हैं। इससे यह पर्व पिता व पुत्र की आपसी मतभेद को दूर करने तथा अच्छे संबंध स्थापित करने की सीख देता है। सूर्य के मकर राशि में आने पर शनि से संबंधित वस्तुओं के दान व सेवन से सूर्य के साथ शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।

कुंडली में उत्पन्न अनिष्ट ग्रहों के प्रकोप से लाभ मिलता है। मकर संक्रांति को कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कुछ जगहों पर इसे संक्रांति, पोंगल, माघी, उत्तरायण, उत्तरायणी और खिचड़ी जैसे नाम से जाना जाता है। चलिए जानते हैं मकर संक्रांति से जुड़ी सभी जानकारी यहां।

पौष पूर्णिमा से प्रयागराज महाकुंभ 2025 की शुरुआत

आज पौष पूर्णिमा है और इसी के साथ महाकुंभ 2025 की शुरुआत भी हो गई है। आज सुबह से लाखों की संख्या में साधु-संतों और श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर स्नान और दान करने से महापुण्य की प्राप्ति होती है। कल मकर संक्रांति और यह पहला अमृत स्नान भी जिसमें सभी 13 अखाड़ों के साधु-संत और नागा साधु समेत आमजन संगम में डुबकी लगाएंगे। इस बार महाकुंभ बहुत ही खास है क्योंकि यह 144 साल बाद दोबारा से आयोजन किया जा रहा है। आज पौष पूर्णिमा पर स्नान का मुहूर्त सुबह 5 बजकर से 27 मिनट से शुरू हुआ है जो दिन भर चलेगा।

मकर संक्रांति और महाभारत का संबंध

मान्यता है कि महाभारत काल में महाभार के महायुद्ध के बाद भीष्म पितामह ने अपना शरीर त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन का चयन किया था। इस के अलावा इसी दिन गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था।

मकर संक्रांति का महत्व (Importance Of Makar Sankranti)

जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति बेहद खास इसलिए भी मानी जाती है, क्योंकि इस दिन से खरमास समाप्त हो जाता है और खरमास के समाप्त होने से शादी-विवाह या अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति के त्योहार को भारत में पोंगल, खिचड़ी, संक्रांति, उत्तरायण भी कहा जाता है।

अन्य राज्यों में फसल उत्सव (Harvest festival) के नाम

मकर संक्रांति को अन्य राज्यों में भी अलग अलग नामों से मनाया जाता है जैसे तमिल का पोंगल (Pongal) या फसल उत्सव (Harvest festival) के त्योहार का दिन, उसके मनाए जाने की परंपरा, शैली और लोक मान्यताएं, अन्य राज्यों में मनाए जाने वाले फसल उत्सव (Harvest festival) के त्योहार के समान ही हैं केवल क्षेत्रीयता के अनुसार नामकरण अलग अलग हैं। जैसे, मकर संक्रांति, संक्रांति, बिहू, लोहड़ी, भोगी, पोंगाला, माघी , माघी संक्रांति, दही चुरा संक्रांति, तिल संक्रांति, हल्दी कुमकुम संक्रांति, हंगराय, उझावर थिरुनल, उत्तरायण इत्यादि।

 

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कमलेश पाण्डेय
अनौपचारिक एवं औपचारिक लेखन के क्षेत्र में सक्रिय, तथा समसामयिक पहलुओं, पर्यावरण, भारतीयता, धार्मिकता, यात्रा और सामाजिक जीवन तथा समस्त जीव-जंतुओं पर अपने विचार व्यक्त करना।

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