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Friday, July 4, 2025

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गंगासागर मेले में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान किया

गंगासागर मेले में इस बार भीड़ कम होने की उम्मीद जताई जा रही थी और इसकी मुख्य वजह इस समय प्रयागराज में चाल रहे महाकुंभ का आयोजन, लेकिन इस बार 15 जनवरी की शाम तक यहां 1 करोड़ से ज्यादा लोग डुबकी लगा चुके थे जो अनुमान से अधिक है।

गंगासागर एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है जहाँ गंगा नदी बंगाल की खाड़ी से मिलती है। इसी स्थान पर राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ था। हर साल मकर संक्रांति (जनवरी के मध्य) पर तीर्थयात्री पवित्र स्नान के लिए गंगासागर में इकट्ठा होते हैं।

गंगासागर में कपिल मुनि का प्राचीन मंदिर था जोकि समुद्र में समा गया लेकिन, वर्ष 1973 में यहाँ कपिल मुनि का नया मंदिर बना जहां श्रद्धालु दर्शन करते हैं। गंगासागर गंगा नदी का एक छोटा डेल्टा द्वीप है

गंगासागर मेले में इस बार अधिक भीड़

बंगाल के बिजली मंत्री अरूप विश्वास ने मेला परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में गंगासागर मेले में पुण्यार्थियों की संख्या15 जनवरी की शाम तक 1 करोड़ से ज्यादा के ज्यादा होने की की पुष्टि की. अभी इसके और बढ़ने का अनुमान है. यह मेला 17 जनवरी तक चलेगा. इसलिए अब भी लोगों का आना जारी है.

राजनैतिक तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लंबे समय से इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की मांग कर रही हैं.

इस बार पुरी के शंकराचार्य ने भी गंगासागर मेले में यही मांग उठाई. लेकिन उनका कहना था कि यह उसी स्थिति में संभव है जब बंगाल में बीजेपी सत्ता में आए.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने गंगासागर में डुबकी लगाने के बाद कहा कि पार्टी बंगाल में सत्ता में आने पर इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा दे देगी. इस पर राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है और तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी पर धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.

धराशायी होती श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था

इस बार गंगासागर मेले में भीड़ के तमाम पूर्वानुमान फेल हो जाने के कारण कई जगह तमाम व्यवस्थाएं धराशायी होती नजर आईं. खासकर कपिल मुनि के मंदिर में दर्शन के दौरान तो भीड़ और अव्यवस्था का आलम यह रहा कि लोगों को दमघोंटू परिस्थिति में चार से पांच घंटे कतार में खड़ा रहना पड़ा. भीड़ इतनी थी  कि कई लोग दम घुटने के कारण बाहर निकलने का प्रयास करते नजर आए. लेकिन एक बार भीड़ में घुसने के बाद बाहर निकलना लगभग असंभव था.

इस कतार में कुछ लोग बीमार भी हो गए. रास्ते में भीड़ पर निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे के अलावा दर्जनों सीसीटीवी कैमरे तो लगे थे. लेकिन संकरी सड़क पर घंटों इंतजार करने वाले पुण्यार्थियों के लिए पानी वगैरह का कोई इंतजाम नहीं था.

लेकिन श्रद्धालुओं की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हो रही थी. मंदिर से निकलने के बाद ‘नो एंट्री’ का बोर्ड दिखाते हुए उनको कई किलोमीटर लंबा सफर करते हुए अपने शिविरों या रहने के ठिकाने तक पहुंचना पड़ा.

क्यों कठिन मानी जाती है गंगासागर यात्रा?

श्रद्धालुओं की अनुसार, मेले में कोई भी व्यवस्था नहीं है. बेवजह कई-कई किलोमीटर चलना पड़ रहा है. व्यवस्था का जिम्मा सम्हालने वाले प्रशासन को बुजुर्गों का कोई ख्याल नहीं है.

कोलकाता से स्टीमर के जरिए सागर द्वीप की कचुबेड़िया जेटी पर पहुंचने के बाद वहां से करीब 30 किमी दूर गंगासागर तक पहुंचना होता है जिसके लिए आज के विकसित युग में भी साधनों का आभाव है समुद्र के बीच में होने के कारण यहाँ गर्मी के साथ ह्यूमिडिटी (आर्द्रता) भी अधिक रहती है तथा पीने योग्य पानी भी उपलब्ध नहीं होता है।

इसलिए कहा जाता है कि,

सारे तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार

सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार’ इस कहावत के पीछे मान्यता है कि जो पुण्य फल की प्राप्ति किसी श्रद्धालु को जप-तप, तीर्थ यात्रा, धार्मिक कार्य आदि करने पर मिलता है, वह उसे केवल एक बार गंगा सागर की तीर्थयात्रा करने और स्नान करने से मिल जाता है

बंगाल सरकार तमाम इंतजाम के दावे तो कर रही है. लेकिन आम लोगों को शिविरों से स्नान के लिए गंगासागर के तट तक पहुंचने और फिर मंदिर दर्शन के बाद अपने शिविर में लौटने के लिए आठ से दस किमी तक चलना पड़ रहा है. सुरक्षा के नाम पर लोगों को बेवजह घुमाया जा रहा है.

भीड़ और दूसरी वजहों से गंगासागर मेले में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई. इसके अलावा गंभीर रूप से बीमार करीब एक दर्जन पुण्यार्थियों को हेलीकॉप्टर से कोलकाता भेजा गया.

गंगासागर में बने अस्थायी अस्पताल के भी तमाम बेड मरीजों से भरे थे.

निजी वाहनों की मनमानी से हो रही परेशानी

इस बार यहां सर्दी कम रही. दिन में तेज धूप की वजह से देश के कोने-कोने से पहुंचने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. कोलकाता से स्टीमर के जरिए सागर द्वीप की कचुबेड़िया जेटी पर पहुंचने वाली लाखों की भीड़ को वहां से करीब 30 किमी दूर मेले तक पहुंचने के लिए घंटों बसों का इंतजार करना पड़ा.

आखिर में लोग भेड़-बकरियों की तरह भर कर सफर पर मजबूर रहे.

दूसरी ओर, निजी वाहन 30 किमी की दूरी के लिए दो हजार रुपए मांग रहे. बंगाल राज्य सरकार की ओर से उनके किराए पर अंकुश की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण चलने-फिरने में लाचार और बुजुर्ग लोगों की जम कर जेब काटी गई.

मेले की तैयारी के समय शुरु हुआ राजनीतिक विवाद

गंगासागर मेले को लेकर विवाद भी कम नहीं हुआ. मेला शुरू होने से पहले तैयारियों का जायजा लेने मौके पर पहुंची मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की मांग उठाई थी. उनका कहना था, केंद्र सरकार कुंभ पर तो हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है. लेकिन गंगासागर के लिए उसने कोई मदद नहीं की है. उन्होंने केंद्र सरकार पर मुरीगंगा नदी पर ब्रिज नहीं बनाने का भी आरोप लगाया है. ममता ने कोलकाता में पत्रकारों से कहा, यह गंगासागर मेला कुंभ से कम नहीं, बल्कि उससे भी बड़ा है.

ममता ने ये भी कहा कि अब राज्य सरकार ने ब्रिज बनाने के लिए निविदा मंगाई है. करीब 15 सौ करोड़ की लागत से बनने वाले पांच किमी लंबे इस ब्रिज से आम लोगों को आवाजाही में काफी सुविधा हो जाएगी और उनको स्टीमर के लिए घंटों इंतजार नहीं करना होगा. राज्य सरकार अपने खर्च पर यह ब्रिज बनवाएगी.

कौन देगा ‘राष्ट्रीय मेले’ का दर्जा

मेले में पहुंचे पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी इस गंगासागर मेले को राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की बात कही. लेकिन पत्रकारों से बातचीत में उनका कहना था,. बीजेपी के बंगाल की सत्ता में आने के बाद ही ऐसा संभव होगा.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का कहना है कि गंगासागर मेले को बंगाल की सरकार राजनीति का मैदान बना रही है, गंगासागर में हर जगह सिर्फ ममता बनर्जी के फोटो वाले बैनर और होर्डिंग ही लगे हैं।

दूसरी ओर, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी पर गंगासागर मेले पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष कहते हैं, धर्म के नाम पर राजनीति में फेल हो चुकी पार्टी अब गंगासागर मेले पर राजनीति कर रही है.

भारत-बांग्लादेश के बीच पैदा हुए तनाव की वजह से घुसपैठ की आशंका के कारण इस बार मेले में ज्यादा चौकसी बरती गई थी. सुंदरबन के पुलिस अधीक्षक कोटेश्वर राव के अनुसार, मेला शुरू होने से एक सप्ताह पहले से ही लंबे नदी मार्ग पर निगरानी शुरू कर दी गई थी. वहीं, तटरक्षक बल और नौसेना बंगाल की खाड़ी में कड़ी निगरानी रख रहे हैं. उन्होंने बताया कि गंगासागर मेले में करीब 13 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है.

सागरद्वीप के आस-पास के तटीय इलाकों में पुलिस की गश्त लगातार जारी रही. इसके साथ ही गंगासागर मेला के दौरान भारतीय तटरक्षक बल के जवान भी तैनात किए गए थे.

बृहस्पतिवार से घाट पर पुण्यार्थियों की ओर से फेंके गए कचरे की सफाई शुरू हो गई है.

एक गैर-सरकारी संगठन ने इस कचरे के इस्तेमाल से सागरद्वीप की सड़कों के निर्माण की पहल की है. इसके लिए बुधवार को एक वर्कशाप का भी आयोजन किया गया.

राज्य सरकार भी इस काम में मदद करेगी. मेला परिसर में अब तक करीब 13 सौ मीट्रिक टन कचरा जमा होने का अनुमान है.

 

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