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Friday, July 4, 2025

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हिंडनबर्ग रिसर्च पर अचानक ताला क्यों?

अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग बंद हो गई है. कंपनी के संस्थापक नेट एंडरसन ने इसकी जानकारी दी है.

शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग दुनिया भर के आर्थिक जगत में किसी भी बड़ी कंपनी या समूह के प्रति नकरात्मता फैला कर, उसके शेयर से पैसा कमाने का काम करती थी। ऐसा माना जाता थे की कंपनी को अंदरूनी तौर पर राजनैतिक संरक्षण प्राप्त था।

एंडरसन की कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च को राजनैतिक और कूटनैतिक रूप से अमेरिका और चीन ने कई बार अपने प्रतिद्वंदीयों को नीचे कर प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए भी किया।

हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट पर पर्सनल नोट में नेट एंडरसन ने कहा, “जैसा कि मैंने पिछले साल के अंत से ही अपने परिवार, दोस्तों और अपनी टीम को बताया था, मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का फ़ैसला किया है.”

एंडरसन ने साल 2017 में हिंडनबर्ग रिसर्च का गठन किया था. एंडरसन ने अपने नोट में कहा है कि ये फ़ैसला काफ़ी सोच-विचार कर किया गया. उन्होंने कहा कि इस फ़ैसले की कोई एक वजह नहीं है.

इस समय कंपनी को बंद करने के फ़ैसले पर एंडरसन ने लिखा- कोई एक वजह नहीं है. कोई ख़ास डर नहीं, कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं और कोई निजी मुद्दा भी नहीं.

नाजी मानसिकता से प्रेरित, नेट एंडरसन की कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च दुनिया भर के आर्थिक जगत में किसी भी बड़ी कंपनी या समूह के प्रति नकरात्मता फैला कर, उसके शेयर से पैसा कमाने का काम करती थी।

नेट एंडरसन की कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च को राजनैतिक और कूटनैतिक रूप से अमेरिका और चीन ने कई बार अपने प्रतिद्वंदीयों को नीचे कर प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए भी किया।

अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की ज्यादातर रेपोर्ट्स अमेरिका के बाहर के देशों पर प्रकाशित हुई हैं, जिससे कंपनी  अमेरिका के कानून से भी बची रही।

हिंडनबर्ग जैसी शॉर्ट सेलिंग कंपनियाँ अपने रिसर्च से शेयर बाज़ार को नुक़सान पहुँचाकर अपनी जेब भरती हैं ये बहस अमरीका में सालों से चल रही है जहाँ हिंडनबर्ग जैसी कंपनियाँ क़ानूनन काम कर रही हैं.

साल 2021 में एलन मस्क ने भी शॉर्ट सेलिंग को एक घोटाला बताया था.

एंडरसन का हिंडनबर्ग को बंद करने का फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।

हिंडनबर्ग नाम कहाँ से आया था?

जर्मनी में हिटलर का शासन था. इस दौर में एक एयरशिप था और उसका नाम था,  हिंडनबर्ग एयरशिप.

एयरशिप के पीछे नाज़ी दौर की गवाही देता स्वास्तिक बना हुआ था. अमेरिका के न्यूजर्सी में इस एयरशिप को ज़मीन से जो लोग देख रहे थे, उन्हें तभी कुछ असामान्य दिखा.

एक तेज़ धमाका हुआ और आसमान में दिख रहे हिंडनबर्ग एयरशिप में आग लग गई. लोगों के चीखने की आवाज़ें सुनाई देने लगीं. एयरशिप ज़मीन पर गिर गया. 30 सेकेंड से कम वक़्त में सब तबाह हो चुका था.

वहां मौजूद लोगों को बचाने के लिए कुछ लोग आगे बढ़े. कुछ लोगों को बचाया जा सका और कुछ को बचाने के लिए काफी देर हो चुकी थी.

जलते एयरशिप के धुएं ने आसमान को काला कर दिया था. अब जो बचा था, वो एयरशिप के अवशेष थे.

इस एयरशिप में 16 हाइड्रोजन गैस के गुब्बारे थे. एयरशिप में क़रीब 100 लोगों को जबरन बैठा दिया गया था और हादसे में 35 लोगों की जान चली गई थी. हाईड्रोजन के गुब्बारों में पहले भी हादसे हुए थे, ऐसे में सबक लेते हुए इस हादसे से बचा जा सकता था.

भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत को चुनौती

भारत में ये तब चर्चा में आई जब इसने 24 जनवरी 2023 को देश के प्रमुख औद्योगिक घराने अदानी समूह के ख़िलाफ़ रिपोर्ट जारी की.

रिपोर्ट में कहा गया था कि अदानी समूह के मालिक गौतम अदानी ने 2020 से ही अपनी सात लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में हेरफेर के ज़रिये 100 अरब डॉलर कमाए.

रिपोर्ट में गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी पर भी गंभीर आरोप लगाए गए थे और कहा गया था कि वो 37 शैल कंपनियां चलाते हैं, जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है.

हालाँकि अदानी समूह ने इन आरोपों को निराधार बताया था.

इस रिपोर्ट के बाद अदानी समूह की कंपनियों को 150 अरब डॉलर का नुक़सान हो गया था.

इसके बाद भारत के  सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने अदानी समूह के ख़िलाफ़ हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए आरोपों की जाँच के लिए विशेष जाँच दल (एसआईटी) बनाने या केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के अनुरोधों को ख़ारिज कर दिया था.

कोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) पर भरोसा जताया था.

शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग को जून 2024 में भारत की बाज़ार नियामक संस्था सेबी ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. सेबी का कहना था कि हिंडनबर्ग ने रिसर्च एनालिस्ट के लिए तय नियमों का उल्लंघन किया है

शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग के खिलाफ की गई कार्यवाही के प्रतिउत्तर में, पिछले साल हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे. हालांकि, माधबी बुच और उनके पति ने इससे इनकार किया था और सेबी ने भी इस मामले में बयान जारी किया था.

हालांकि, तथ्यों के अनुसार, शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट झूठी साबित हुई थी। और पुराने आंकड़ों पर आधारित थी , जिसका उदेश्य भारत के शेयर बाजार में हलचल पैदा कर, शॉर्ट सेलिंग करना था और मुनाफा कामाना था।

भारत का अदानी समूह दुनिया भर में पावर, एनर्जी और सी-पोर्ट (बंदरगाह) के बिजनस में अग्रणी है और पिछले कुछ वर्षों में इनका सीधा मुकाबला चीन की कॉम्पनियों से रहा है

अडानी समूह ने अमेरिकी और चीनी कंपनियों से सीधे तौर पर अफ्रीका, एशिया और यूरोप में कई परियोजनाएं हासिल कीं।

हिंडनबर्ग के पीछे कौन?

अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के प्रमुख नेथन उर्फ नेट एंडरसन हैं.

एंडरसन ने इस कंपनी की स्थापना साल 2017 में  की थी.

नेट एंडरसन ने अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस की पढ़ाई की थी और करियर की शुरुआत फैक्ट-सेट रिसर्च सिस्टम नाम की एक डेटा कंपनी से की थी. इस कंपनी में एंडरसन ने इंवस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनियों के साथ काम किया था.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, एंडरसन ने इसराइल में कुछ वक़्त के लिए एंबुलेंस भी चलाई थी.

एंडरसन के लिंक्डइन प्रोफाइल में लिखा है, ”एंबुलेंस ड्राइवर के तौर पर काम करते हुए मैंने सीखा कि कैसे बहुत प्रेशर में काम किया जाता है.”

 

 

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