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Friday, July 4, 2025

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बजट में मध्यम वर्ग के लिए क्या है नया? कितना होगा फायदा?

बजट (Budget) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को लोकसभा में पेश किए गए अपने लगातार, रिकॉर्ड आठवें बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देने की कोशिश की है। साथ ही बिहार के लिए कई घोषणाएं की गई हैं। अर्थव्यवस्था में सुस्ती और विकास दर पर उठ रहे सवालों के बावजूद बजट में अन्य वर्गों को भी राहत देने की कोशिश की गई है।

मध्यम वर्ग द्वारा आर्थिक विकास को बढ़ावा

इस बार के बजट की जिस घोषणा का सबसे ज्यादा जिक्र हो रहा है, बजट भाषण में वित्त मंत्री ने उसके बारे में सबसे आखिर में बताया। इस घोषणा के तहत नई टैक्स व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की आय पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा।

पिछले कुछ साल से आयकर सीमा बढ़ाने की मांग उठाई जा रही थी। 2023 में कर मुक्त आय की सीमा सात लाख होने के बाद इस बार लोगों को उम्मीद थी कि शायद इसे बढ़ाकर दस लाख कर दिया जाए। लेकिन सरकार ने लोगों की उम्मीद से आगे बढ़कर इसे 12 लाख कर दिया।

जानकारों का कहना है कि आयकर स्लैब में की गई इस घोषणा से करदाताओं के हाथ में ज्यादा नगदी आने की उम्मीद है। लेकिन इसका फायदा उनसे ज्यादा बिजनेस इंडस्ट्री को मिलेगा। आर्थिक मामलों के जानकार और ‘इंडियन इकोनॉमी’ पुस्तक के लेखक डॉक्टर रमेश सिंह कहते हैं, “मध्य वर्ग के हाथ में नगदी उनके बचत खाते में बहुत ज्यादा नहीं जाएगी। मिडिल क्लास उसे खर्च करेगा और उसका यह खर्च उद्योगों का भरोसा बढ़ाएगा। इससे खपत बढ़ेगी और खर्च की यह प्रवृत्ति आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।”

इस बार के बजट में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु, टैक्स स्लैब में छूट को माना जा सकता है। टैक्स संबंधित यह घोषणा आम लोगों को सबसे ज्यादा राहत देने वाली है और निश्चित तौर पर यह 12 लाख रुपये तक की आय वाले वर्ग के लिए राहत भरी खबर है। स्टैंडर्ड छूट को भी मिला लें तो यह सीमा 12 लाख 75 हजार है।

पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े देखें तो आयकर रिटर्न फाइल करने वाले 80 फीसद लोग इसी दायरे में थे। तो इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि बजट में की गई सरकार की यह घोषणा कितने लोगों को फायदा पहुंचाने वाली है। लेकिन एक बात है, यह फायदा उन्हें ही मिलेगा जो नए सिस्टम में आयकर फाइल कर रहे थे। पुराने वालों को कोई फायदा नहीं होगा।

टैक्स व्यवस्था में बदलाव चाहती है सरकार

सरकार दरअसल चाहती है कि नई इनकम टैक्स व्यवस्था को ही सभी लोग अपनाएं, इसीलिए उनके लिए ही यह बड़ी राहत दी गई है। सरकार चाहती है कि लोग नए दायरे में आएं और धीरे-धीरे पुराने सिस्टम को खत्म कर दिया जाए। हालांकि इस बारे में ज्यादा स्पष्टता तभी आएगी और इस मामले में सरकार के रुख का पता तभी चलेगा जब अगले हफ्ते आयकर विधेयक लाया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने करीब डेढ़ घंटे बजट भाषण में टैक्स स्लैब्स की जानकारी सबसे अंत में दी और इसकी घोषणा के साथ ही सत्ता पक्ष के लोग मेजें थपथपाकर स्वागत करते दिखे। सत्ता पक्ष के सांसदों के चेहरे पर मुस्कराहट दिख रही थी लेकिन विपक्ष ने सवाल उठाए हैं कि लोग जितना खुश हो रहे हैं, उतना खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि वित्त मंत्री ने पुराने टैक्स स्लैब का जिक्र नहीं किया है।

कांग्रेस पार्टी के सांसद शशि थरूर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “बीजेपी के लोग जिस बात को लेकर जश्न मना रहे हैं, वह मध्यम वर्ग के लिए टैक्स में छूट की सीमा है। लेकिन हम सब इसकी विस्तृत जानकारी का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कुछ मूलभूत सवाल हैं और वित्त मंत्री उस पर क्या कर रही हैं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।”

लेकिन नौकरीपेशा लोगों के अलावा छोटे व्यवसायी भी सरकार की इस घोषणा से खुश दिख रहे हैं। टैक्स स्लैब में बदलाव से व्यापारियों को फायदा होगा क्योंकि पहले लोग टैक्स स्लैब से बाहर न जाने के डर से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कम करते थे। अब टैक्स स्लैब बढ़कर बारह लाख रुपए कर दिए गए हैं तो ऑनलाइन ट्रांजैक्शन बढ़ेगा।

बिहार चुनाव पर नजर

बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और इस बार के बजट में बिहार पर जमकर फोकस किया गया है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने तो यह तक कह दिया कि ‘समझ में ही नहीं आ रहा है कि यह केंद्र सरकार का बजट है या फिर बिहार सरकार का.

वित्त मंत्री ने बिहार राज्य में कई योजनाओं और परियोजनाओं की घोषणा की, जिसमें एक “मखाना बोर्ड” की स्थापना भी शामिल है, जो इस साल चुनावों से पहले होगा। इसके अलावा वित्त मंत्री ने “पश्चिमी कोसी नहर” विस्तार, नवीकरण और आधुनिकीकरण परियोजना, पटना में IIT का विस्तार और ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना सहित बिहार के लिए कई अन्य घोषणाएं भी कीं।

माना जा रहा है कि यह घोषणा बिहार के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी और मखाना बोर्ड के गठन से किसानों को काफी लाभ होगा। बिहार में फिलहाल करीब 35 हजार हेक्टेयर में मखाने की खेती होती है और 25 हजार से ज्यादा किसान इससे जुड़े हुए हैं। बिहार देश में सबसे ज्यादा मखाना उत्पादन करने वाला राज्य है।

बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की शर्त?

बजट में बीमा क्षेत्र से जुड़ी एक बड़ी घोषणा की गई है। बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी FDI की सीमा को 74 फीसद से बढ़ाकर सौ फीसद कर दिया गया है। यानी अब कोई विदेशी कंपनी अगर इस सेक्टर में निवेश करती है तो इसके लिए उसे किसी भारतीय कंपनी के साथ की जरूरत नहीं होगी। लेकिन इस घोषणा का असर शेयर बाजार पर सीधे तौर पर पड़ा। ज्यादातर बीमा स्टॉक लाल निशान में बंद हुए। विदेशी कंपनियों के बीमा क्षेत्र में निवेश की वजह से भारतीय कंपनियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। हालांकि इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को ही होगा।

बीमा क्षेत्र में सरकार कह रही है कि 100 प्रतिशत एफडीआई संभव है, बशर्ते इंश्योरेंस प्रीमियम से कंपनियां जो कमाई करेंगी, उसे भारत में ही खर्च करना होगा, निवेश करना होगा। हां, जो प्रॉफिट कमाएंगी, उसे भले ही बाहर ले जा सकेंगी।

अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र को ज्यादा मौके

बजट में अनुसंधान और विकास के लिए बीस हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी होगी। यह पहली बार है जब इस सेक्टर में इतना ज्यादा आवंटन किया गया है। और सरकार का यह फैसला अनुसंधान क्षेत्र में उस निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करेगा जो अब तक इस क्षेत्र से दूर रहता था।

सरकार चाहती है कि, प्राइवेट सेक्टर इनोवेशन में निवेश करे। प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में इतना बड़ा आवंटन किया गया है। योजना की विस्तरत जानकारी, घोषणा के बाद ज्यादा स्पष्ट होगी, कि किस तरह से निजी क्षेत्र को इस सेक्टर में सरकार से मदद मिलेगी।

 

 

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