नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की भारत का गौरव पुन: स्थापित करने के लिए भारतीय राजनीति में विजय यात्रा 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से शुरू हुई थी जो आज भी 24 सालों से अनवरत रूप से यात्रा जारी है।
नरेन्द्र मोदी अपने आकर्षक व्यक्तित्व, राष्ट्र प्रथम की सोच, कवि हृदय, साहित्य, कला प्रेमी, दूरदर्शी, आर्थिक एवं सामाजिक एवं नियम कानून की समानता के साथ भारत के गौरव को पुनः स्थापित करने की उनकी यात्रा जारी है तथा इस भारत गौरव यात्रा में उन्हें जनता का भरपूर सहयोग मिल रहा है।
भारत के गौरव को पुनः स्थापित करने की नरेन्द्र मोदी जी की इस यात्रा में देश के आंतरिक और बाहरी दुश्मन लगातार बाधा डालते रहे हैं। देश और समाज के ये दुश्मन वो लोग हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी अंग्रेजों की तरह फूट डालो और राज करो की राजनीति करते रहे, देश में ऊंचे पदों पर बैठकर धन-संपत्ति अर्जित करते रहे और आम लोगों का शोषण करते रहे। लेकिन भारत की जनता की राष्ट्र प्रथम और देशभक्ति की सोच की शक्ति मोदी जी को उन सभी आंतरिक और बाहरी दुश्मनों पर विजय पाने में मदद कर रही है।
मोदी जी का चुनावी सफर: शुरूआत (२०१४)
भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी जी की यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव २०१४ का आम चुनाव था। नरेंद्र मोदी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए अपने नामांकन की घोषणा की। इस चुनाव ने न केवल बीजेपी की राजनीतिक दिशा को निर्धारित किया बल्कि पूरे देश की राजनीति को भी प्रभावित किया। मोदी जी की चुनावी रणनीति इस समय के लिए बेहद प्रभावशाली साबित हुई।
मोदी जी ने अपने प्रचार में ‘अच्छे दिन’ का नारा दिया, जिसने मतदाताओं के बीच सकारात्मक उत्साह उत्पन्न किया। उन्होंने युवा वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए सोशल मीडिया का कुशलता से उपयोग किया। इसके अंतर्गत फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब जैसे प्लेटफार्म का समावेश किया गया जिससे उनकी पहुँच व्यापक हुई। मोदी जी ने चुनाव के दौरान कई रैलियाँ आयोजित कीं, जिनमें जनता को अपनी योजनाओं और दृष्टिकोण के बारे में जानकारी दी। उनकी रैलियों में भीड़ ने यह दर्शाया कि आम जनमानस में एक नया उत्साह है।
इसके साथ ही, मोदी जी ने अपनी नेतृत्व शैली को भी एक प्रमुख घटक के रूप में पेश किया। उन्होंने यह संकल्प लिया कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगे और विकास को प्राथमिकता देंगे। इसके परिणामस्वरूप, २०१४ के आम चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की थी, और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए चुने गए। उनकी जीत को ‘कांसीडेंटल’ यानी किस्मत का खेल भी माना गया है, जिसमें मतदाताओं ने बदलाव की उम्मीद में उन्हें समर्थन दिया।
सरकार के पहले १०० दिन: कार्यों का समीक्षात्मक दृष्टिगत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद अपने पहले 100 दिन के भीतर कई महत्वपूर्ण निर्णयों और नीतिगत पहलों की शुरुआत की। इस समयावधि में, सरकार ने अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए आर्थिक सुधारों पर जोर दिया और विकास कार्यों को गति दी। इन निर्णयों का दूरगामी प्रभाव देश की आर्थिक संरचना और सामाजिक पहलुओं पर पड़ा।
सरकार के पहले 100 दिनों में, “मेक इन इंडिया” जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना था। इसके अंतर्गत, सरकार ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने और भारतीय उद्योगों को सशक्त करने के लिए कई नीतिगत परिवर्तनों की घोषणा की। मोदी सरकार की कोशिश थी कि उत्पादन बढ़े और रोजगार के अवसर सृजित हों।
इसके अलावा, मोदी सरकार ने मुद्रा योजना जैसे पहल भी शुरू की, जो छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। इससे न केवल आर्थिक विषमताओं को कम करने में मदद मिली, बल्कि नए व्यवसायों को स्थापित करने के लिए उत्प्रेरक का काम किया। वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को साकार करने के लिए जनधन योजना टेक्नोलॉजी और नवाचार का उपयोग करते हुए बैंकिंग सेवाओं को सभी के लिए उपलब्ध कराने की कोशिश की गई।
इन पहलों ने न केवल निजी क्षेत्र के साथ संबंधों को मजबूत किया, बल्कि ग्रामीण और शहरी विकास में योगदान करते हुए समग्र आर्थिक स्थिति को भी संवारा। इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी जी की सरकार के पहले 100 दिन ने भारतीय राजनीति के लिए एक नया अध्याय खोला, जिसमें विकास और सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए गए। इसके परिणामस्वरूप, भारत में विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले।
आर्थिक सुधार: मोदी सरकार की नीतियाँ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2014 से 2025 के बीच विभिन्न आर्थिक सुधारों को पेश किया, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी गहराई से प्रभाव डालने वाले रहे हैं। इनमें से प्रमुख नीतियाँ जीएसटी, मेक इन इंडिया, और डेमोक्रेटाइजेशन हैं। जीएसटी (Goods and Services Tax) की शुरुआत एक महत्वपूर्ण व्यापार सुधार के रूप में की गई, जिसने देशभर में विभिन्न स्तरों पर अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करने का कार्य किया। इसके परिणामस्वरूप, कर संग्रह में वृद्धि हुई और व्यापार करने में आसानी बढ़ी, जिससे कारोबारियों को लाभ हुआ।
मेक इन इंडिया अभियान, जिसे 2014 में आरंभ किया गया, का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना था। इस नीति ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में कई कार्य किए। इसकी सफलता के संकेत समय-समय पर देखने को मिले हैं, जैसे कि निर्यात में वृद्धि और स्थानीय रोजगार में इज़ाफा।
डेमोक्रेटाइजेशन के संदर्भ में, 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण किया गया। यह अत्यधिक नकली मुद्रा की समस्या को समाप्त करने और काले धन की अर्थव्यवस्था को कम करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम था। हालांकि, विमुद्रीकरण के प्रभावों पर विभिन्न दृष्टिकोण मौजूद हैं, लेकिन यह एक अभूतपूर्व उपाय था जिसने देश के वित्तीय ढाँचे में सुधार करने का प्रयास किया।
इन नीतियों का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक बनाना था। इस उद्देश्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता लगातार प्रदर्शित होती रही है, जिसका परिणाम विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव के रूप में सामने आया है।
सामाजिक कल्याण योजनाएँ: अंत्योदय की अवधारणा
पंडित दीनदयाल उप्पध्याय द्वारा विकसित अंत्योदय की अवधारणा का उद्देश्य समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के उत्थान के लिए समग्र विकास सुनिश्चित करना है। नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने २०१४ से २०२५ तक इस सिद्धांत के तहत कई सामाजिक कल्याण योजनाएँ लागू की हैं, जो गरीबों और वंचितों के जीवन में सुधार लाने के लिए प्रयासरत हैं। इन योजनाओं में से प्रमुख हैं जन धन योजना, स्वच्छ भारत मिशन और उज्ज्वला योजना।
जन धन योजना का उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है। इस योजना के अंतर्गत, लाखों लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा गया है। यह उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक है, क्योंकि अब उन्हें अपनी बचत को सुरक्षित रखने और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से सरकारी सहायता प्राप्त करने का अवसर मिला है। इसके परिणामस्वरूप, गरीब तबकों के लोगों को आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ है।
स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य भारत को स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक बनाना है। इस योजना के तहत, गाँवों तथा शहरों में शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे sanitation परिक्षेत्र में सुधार हो रहा है। यह न केवल स्वास्थ्य सुधारने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महिलाओं की सुरक्षा एवं सम्मान के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। अंततः, विकास की धारा में हर तबके को समाहित करने की दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।
उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन प्रदान कर, पारंपरिक जलावन का उपयोग कम किया है। इससे न केवल परिवारों की स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ कम हुई हैं। इस प्रकार, मोदी सरकार की इन योजनाओं के तहत समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं, जो अंत्योदय की अवधारणा से प्रेरित हैं।
जनता से संवाद: मोदी जी का अनोखा तरीका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शासन काल में जनता के साथ संवाद करने के कई अनूठे तरीके अपनाए हैं। उनके द्वारा शुरू किया गया ‘मन की बात’ कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण मंच है, जिसका उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर जनता की राय जानना और उनके साथ सीधे संवाद स्थापित करना है। यह कार्यक्रम हर महीने एक बार किया जाता है और इसमें मोदी जी अपने विचारों के साथ-साथ आम नागरिकों की समस्याओं और सुझावों को भी साझा करते हैं। इस पहल ने उन्हें एक सीधे और निस्वार्थ संवाददाता के रूप में स्थापित किया है, जिससे जनता की आवाज को सुनने का एक अवसर मिल पाता है।
सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग ने भी मोदी जी के संवाद शैली को और मजबूत बनाया है। उन्होंने ट्विटर, फेसबुक, और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करते हुए न केवल अपनी नीतियों और विचारों को प्रकट किया है, बल्कि उन्हें जनता के साथ जुड़ने का एक सशक्त माध्यम भी माना है। उनके सोशल मीडिया अभियानों ने चुनावी प्रचार के समय से लेकर विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी साझा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसकी मदद से उन्होंने युवा मतदाताओं और तकनीकी-savvy दर्शकों के साथ अपनी पहचान बनाई है।
इसके अलावा, मोदी जी ने व्यक्तिगत संवाद का एक और तरीका अपनाया है, जिसमें वे विभिन्न कार्यक्रमों में सीधे जनता से मिलते हैं। चाहे वह एक राजनीतिक रैली हो या एक सामाजिक कार्यक्रम, वे हमेशा आम नागरिकों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझने और उनके साथ चर्चा करने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार से मोदी जी ने अपने संवाद के तरीकों को विविधता प्रदान की है, जिससे उन्हें जनता से गहरा संबंध स्थापित करने में मदद मिली है। इस अनोखी शैली ने उन्हें एक समर्पित नेता के रूप में स्थापित किया है, जो जनता के दुख-दर्द और आकांक्षाओं को समझते हैं।
विदेश नीति: भारत को वैश्विक मंच पर लाने का प्रयास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की विदेश नीति ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभारने का प्रयास किया है। 2014 से 2025 तक, मोदी सरकार ने अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूती देने के लिए कई पहल किए हैं। एक तरफ जहाँ भारत ने अमेरिका, रूस और जापान जैसे देशों के साथ अपने संबंधों को नया आयाम दिया है, वहीं दूसरी ओर, पड़ोसी देशों के साथ भी सशक्त सम्पर्क को बनाए रखा है।
मोदी जी ने अपनी सरकार की विदेश नीति को “एक्ट ईस्ट” और “नेबरहुड फर्स्ट” जैसे नारे के माध्यम से आकार दिया है। इस दृष्टिकोण ने भारत और एशिया के कई देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को गहरा किया है। उदाहरण के लिए, भारत की सहायता और निवेश नीति ने बांग्लादेश, भूटान, नेपाल तथा श्रीलंका जैसे देशों के साथ सहयोग बढ़ाया है। इसके अतिरिक्त, भारत ने अपने आप को “दुनिया के फार्मसेंटिकल्स” के रूप में स्थापित किया है, विशेषकर वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान, जिससे अनेक देशों में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ी है।
इसके अलावा, मोदी सरकार ने अपनी संस्कृति और राजनीतिक मूल्यों का वैश्विक स्तर पर प्रचार करने में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ जैसे भारतीय विषय संस्कृति को प्रोत्साहित करना, भारतीयता की पहचान स्थापित करने में सहायक रहा है। साथ ही, भारत की सक्रिय भूमिका ने बल वस्तुतः भारत को एक उभरता हुआ वैश्विक शक्ति केंद्र बनाने में योगदान दिया है। इस प्रकार, नरेंद्र मोदी जी की विदेश नीति ने न केवल भारत के लिए रणनीतिक फायदे पैदा किए हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर देश की स्थिति को भी सुदृढ़ किया है।
सामाजिक धारा: विभाजन से एकता की ओर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारतीय सामाजिक धारा में अनेक चुनौतियों और संघर्षों का सामना किया गया है। भारत की विविधता एक शक्ति है, लेकिन इसके साथ ही यह विभाजन का कारण भी बन सकता है। मोदी सरकार ने सांस्कृतिक एकता और सामाजिक समरसता के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उनके दृष्टिकोण के अनुसार, “सबका साथ, सबका विकास” का सिद्धांत सामाजिक एकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मोदी सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों के माध्यम से सामाजिक धारा को मजबूत करने का प्रयास किया गया है। उनमें ‘स्वच्छ भारत अभियान’, ‘आयुष्मान भारत’ और ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ शामिल हैं। ये कार्यक्रम न केवल आर्थिक मोर्चे पर सुधार लाए हैं, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच समन्वय को भी बढ़ावा दिया है। यह देखा गया है कि इन पहलों ने समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री मोदी ने सांस्कृतिक धरोहरों को पुनर्जीवित करने की दिशा में भी काम किया है। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के तहत विभिन्न संस्कृतियों की गरिमा और महत्व को स्वीकार किया गया है, जिससे समुदायों के बीच सहिष्णुता और सामंजस्य का विस्तार हुआ है। यह न केवल सामाजिक धारा को मजबूत करता है, बल्कि विभाजन के बीच एकता की भावना को भी प्रोत्साहित करता है।
इस प्रकार, सामाजिक एकता और विविधता का समन्वय मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। इन प्रयासों के माध्यम से, यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व विभाजन से एकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भारत के भविष्य का मार्ग प्रशस्त होता है।
भविष्य की दृष्टि: 2025 का सामना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने २०२५ के चुनाव की तैयारी के लिए विभिन्न योजनाएं और दृष्टिकोण तैयार किए हैं। सरकार का ध्यान जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने और विकास को आगे बढ़ाने पर है। आगामी चुनावों में मोदी सरकार ने सामाजिक, आर्थिक तथा तकनीकी क्षेत्रों में विकास की स्पष्टता के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लिया है।
स्थायी विकास लक्ष्यों के तहत, मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे में सुधार, रोजगार सृजन, और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि पर ध्यान दिया जा रहा है। योजना के अनुसार, स्मार्ट शहरों का विकास, परिवहन नेटवर्क को आधुनिक बनाना, और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग बढ़ाना, प्रमुख एजेंडे बने हुए हैं। मोदी सरकार की दृष्टि में, २०२५ तक भारत को एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करना है। इसके लिए विदेशी निवेश और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकार ने डिजिटल इंडिया के तहत डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने का भी लक्ष्य रखा है, जिससे नागरिकों को सरकारी सेवाओं तक पहुँच अधिक सुगम हो सके। इसके अलावा, युवा वर्ग को प्रौद्योगिकियों और नवाचार के जरिए उद्यमिता की ओर आकर्षित करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मोदी जी की रणनीति के अनुसार, कृषि क्षेत्र में सुधार, किसानों को सीधे लाभ पहुंचाना, और कृषि उत्पादकता बढ़ाने को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
आने वाले वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने यह संकल्प लिया है कि वह विशिष्ट योजनाओं के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण में सशक्त बदलाव लाकर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेगी। यह दृष्टि २०२५ तक न केवल भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी, बल्कि समाज में समग्र विकास को भी सुनिश्चित करेगी।
विजयी सफर की समीक्षा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का प्रवास २०१४ से २०२५ तक उनके राजनीतिक जीवन में एक महत्वपूर्ण अवधि रही है। इस समय के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं, जिसने भारत के विकास को नई दिशा दी है। उनके नेतृत्व में ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत अभियान’, और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे प्रमुख कार्यक्रमों को लागू किया गया। इन पहलों ने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की, बल्कि रोजगार सृजन और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
हालांकि, मोदी जी की यात्रा में कई चुनौतियाँ भी रहीं। इन्हीं में से एक चुनौती थी देश में बढ़ती असहनशीलता और सामाजिक तनाव, जिसका प्रधानमंत्री ने कई बार सामना किया। इसके अतिरिक्त, कोविड-१९ महामारी ने उनके प्रशासन को गंभीर रूप से प्रभावित किया। इस संकट के समय में, प्रधानमंत्री ने प्रभावी उपायों को लागू किया, जैसे कि टीकाकरण अभियान और आर्थिक पैकेज, जिससे देश ने इस कठिनाई का सामना किया।
इस पूरे सफर का एक महत्वपूर्ण सबक यह है कि विकास और प्रगति की दिशा में निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। नरेन्द्र मोदी जी ने विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और सुधार की आवश्यकता को समझा और उसे आगे बढ़ाने की कोशिश की। उन्हें अपने प्रशासन में आए सकारात्मक और नकारात्मक अनुभवों से सीखने का अवसर मिला, जिसने उन्हें अधिक मजबूती और अनुभव प्रदान किया। इस प्रकार, २०१४ से २०२५ तक का मोदी जी का विजयी सफर एक प्रेरणा स्रोत है, जो हमें बताता है कि सकारात्मक सोच और दृढ़ इरादे से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।