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Friday, July 4, 2025

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जेडी वेंस ने यूरोप के लिए सबसे बड़े खतरे का खुलासा किया

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि यूरोप को चीन और रूस से नहीं बल्कि अपनी नीतियों से खतरा है। उन्होंने यूरोपीय नेताओं पर अप्रवासन रोकने में विफल रहने का भी आरोप लगाया, जबकि जर्मन चांसलर ने जेडी वेंस के बयानों को खारिज करते हुए कहा कि लोकतंत्र में हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है।

म्यूनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में चर्चा का रुख किसी और दिशा में चला गया है. डॉनल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के बाद पहले बड़े कांफ्रेंस में यूक्रेन में शांति के उपायों को लेकर बड़ी चर्चा की उम्मीद की जा रही थी. अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके रूसी समकक्ष के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद इसके आसार बढ़ गए थे. हालांकि पहले ही दिन अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने यूरोपीय देशों पर बयान देकर माहौल बदल दिया. वेंस के भाषण में रूस या यूक्रेन का जिक्र नाम भर का ही था.

वेंस का कहना है कि यूरोप के लिए खतरे के रूप में वह रूस या चीन को नहीं बल्कि फ्री स्पीच की रक्षा करने के बुनियादी सिद्धांतों से पीछे हटने को देखते हैं. इसके साथ ही वेंस ने आप्रवासन को भी यूरोप के लिए खतरा कहा जिसे उन्होंने “नियंत्रण के बाहर” बताया.

यूरोप को लोकतंत्र में बाहरी दखल अस्वीकार्य

जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने बाद में उनके भाषण पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और उनकी बातों को “अस्वीकार्य” कहा. पिस्टोरियस ने कहा कि वेंस ने ना सिर्फ जर्मनी बल्कि पूरे यूरोप के लोकतंत्र पर सवाल उठाया है. सम्मेलन में नेताओं की इन बातों ने ट्रंप प्रशासन और यूरोपीय नेताओं के बीच दुनिया को लेकर मतभेदों को उजागर कर दिया है. ऐसे में अमेरिका और यूरोप के बीच यूक्रेन जैसे प्रमुख मुद्दों पर सहयोग की जमीन ढूंढना मुश्किल साबित होगा.

सम्मेलन में जेडी वेंस जब भाषण दे रहे थे तो वहां सन्नाटा पसरा था. सम्मेलन में शामिल लोग उन्हें हैरानी से देख रहे थे. उनकी बातों पर तालियों की आवाज भी बमुश्किल ही सुनाई दी. भाषण के बाद वेंस ने जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की नेता अलीस वाइडेल से मुलाकात की. उनका यह कदम उन्हें यूरोपीय नेताओं के लिए असहज बना गया. कई नेताओं ने इसकी आलोचना की है और अगले हफ्ते जर्मनी के संघीय चुनावों में अप्रत्याशित दखल के तौर पर इसे देखा है.

जर्मन चांसलर शॉल्त्स ने तो साफ तौर पर कह दिया है कि देश के लोकतंत्र में “बाहरी दखल” को स्वीकार नहीं किया जाएगा. इससे पहले स्पेस एक्स और टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क भी एएफडी का सार्वजनिक रूप से समर्थन कर चुके हैं. उनके इन कदमों की भी यूरोप में काफी आलोचना हुई थी.

यूक्रेन में शांति कैसे आएगी?

डॉनल्ड ट्रंप की पुतिन के साथ हुई बातचीत ने यूरोपीय सरकारों को चौकन्ना कर दिया है. यूरोपीय देश 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से ही पुतिन को अलग थलग करने की कोशिश में जुटे हुए हैं. उन्हें डर है कि शांति वार्ता से उन्हें बाहर रखा जा सकता है जिसका असर उनकी अपनी सुरक्षा पर हो सकता है. म्यूनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है, “यूरोपीय लोग यूक्रेन को तब तक समर्थन देते रहेंगे जब तक कि उसे जरूरत है, यहां तक कि किसी शांति समझौते के बाद भी. जर्मन चांसलर ने यह भी कहा, “यूक्रेन में हुक्मनामे वाली शांति को हमारा समर्थन नहीं मिलेगा.”

वेंस ने शुक्रवार को ही यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी मुलाकात की. उन्होंने इस बैठक से पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ट्रंप आर्थिक और सैन्य उपायों का इस्तेमाल पुतिन को मनाने के लिए कर सकते हैं. बैठक के बाद उन्होने कहा है कि वह यूक्रेन में “दीर्घकालीन शांति” चाहते हैं.

उधर जेलेंस्की ने कांफ्रेंस में कहा कि वह पुतिन से सिर्फ तभी बात करेंगे जब यूक्रेन ट्रंप और यूरोपीय नेताओं के साथ एक साझी योजना पर सहमत होगा. वेंस और जेलेंस्की ने म्यूनिख में किन बातों पर चर्चा की इसका ब्यौरा नहीं दिया हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यह जरूर कहा कि उनके देश को “वास्तविक सुरक्षा गारंटी” की जरूरत है.

जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने यूक्रेन पर किसी शांति समझौते को थोपने की कोशिश के खिलाफ चेतावनी दी है. उनका कहना है, “यूक्रेनी और यूरोपीय लोगों के सिरों पर एक छद्म शांति से कुछ हासिल नहीं होगा. एक छद्म शांति से स्थाई सुरक्षा नहीं आएगी, ना तो यूक्रेन के लोगों के लिए ना ही यूरोप में हमारे लिए या फिर अमेरिका के लिए.”

रूस ने तीन साल पहले हमले के बाद यूक्रेन के करीब 20 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर लिया है. उसका कहना है कि यूक्रेन की नाटो की सदस्यता की कोशिशों ने उसके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर दिया है. उधर यूक्रेन और पश्चिमी देश रूसी कदम को जमीन हड़पने का साम्राज्यवादी कदम बताते हैं.

सुरक्षा के लिए यूरोप पर ज्यादा खर्च का दबाव

वेंस ने सिक्योरिटी कांफ्रेंस में ट्रंप की वह मांग भी दोहराई कि यूरोप को अपनी सुरक्षा के लिए ज्यादा खर्च करना चाहिए ताकि अमेरिका दूसरे इलाकों पर ध्यान दे सके, खासतौर से एशिया प्रशांत में,  जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर से मुलाकात में वेंस ने कहा, “भविष्य में, हमें लगता है कि यूरोप अपनी सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है.”

नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने यूरोप की सुरक्षा “मजबूत करने” पर वेंस की बातों को “बिल्कुल सही” बताया और कहा, “हमें उस लिहाज से विकास करना होगा और ज्यादा खर्च करना होगा.”

कांफ्रेंस में कई यूरोपीय नेताओं की बातों में यही प्रतिध्वनि सुनाई दी. उनका कहना है कि यूरोप को अपना रक्षा खर्च बढ़ाना होगा लेकिन इसके साथ ही उन्हें अमेरिकी सहयोग धीरे धीरे घटाने पर भी चर्चा करनी होगी.

यूरोप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार खो रहा है

ओवल कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए, ट्रंप ने यूरोप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्थिति पर वेंस की टिप्पणियों से सहमति व्यक्त की, जिसमें कहा गया था कि महाद्वीप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार खो रहा है.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने कहा, “मैंने उनका भाषण सुना, और उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में बात की. और मुझे लगता है कि यह यूरोप में सच है; यह हार रहा है. वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अपना अद्भुत अधिकार खो रहे हैं. मैँ इसे देखता हूँ. मेरा मतलब है, मुझे लगा कि उन्होंने बहुत अच्छा भाषण दिया, वास्तव में, बहुत शानदार भाषण दिया.”

भारत के लोकतंत्र ने काम किया है

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के लोकतंत्र की दिशा पर गर्व व्यक्त किया और जोर दिया कि भारत के लोकतंत्र ने काम किया है. उन्होंने भारत में चुनावों के बारे में भी बात की और दिल्ली में हाल के चुनावों और 2024 में हुए संसदीय चुनावों का उल्लेख किया.

जयशंकर ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक समाज है जो 80 करोड़ लोगों को पोषण सहायता प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि ऐसे कुछ हिस्से हैं जहां लोकतंत्र अच्छी तरह से काम कर रहा है और कुछ हिस्से जहां ऐसा नहीं है. हालाँकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इसे सार्वभौमिक घटना नहीं माना जाना चाहिए.

61वां म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (MSC) 14-16 फरवरी तक जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित किया जा रहा है। म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी 2025) वर्तमान समय की प्रमुख विदेश और सुरक्षा नीति चुनौतियों पर उच्च स्तरीय बहस के लिए एक अद्वितीय मंच प्रदान कर रहा है

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