हिंदू धर्म में होली के त्योहार को बेहद खास माना जाता है। होली का त्योहार पाँच दिनों तक अर्थात रंग-पंचमी (मास की पंचमी) तक चलता है। इस त्योहार के पहले दिन, गोधूलि बेला या रात होने के समय (मुहूर्त के अनुसार) होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन से रंगों के साथ होली खेली जाती है।
इस साल 2025 में 13 और 14 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा। जिसके अनुसार 13 मार्च को होलिका दहन (Holika Dahan 2025) किया जाएगा।
होलिका दहन को लेकर लोगों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि होलिका दहन की पवित्र अग्रि में की पूजा हर किसी को करनी चाहिए इसीलिए होलिका दहन की अग्नि में कुछ चीजों को अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं कि होलिका दहन के मौके पर पवित्र अग्नि में आप किन-किन चीजों को डाल सकते हैं।
होलिका दहन के समय होली की अग्नि में क्या अर्पित करें?
- सूखा नारियल: होलिका दहन की पवित्र अग्नि में सूखा नारियल डालना शुभ माना जाता है।
- गेहूं की बालियाँ, अन्य फसल के अधपके अनाज की बालियाँ, कला तिल: इन चीजों को अर्पित करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- गाय के सूखे गोबर से बनी माला: गाय के गोबर से बने सूखे उपले या सूखे गोबर की माला को होलिका को अर्पित करें।
- चंदन की लकड़ी: धन लाभ के लिए होलिका दहन में चंदन की लकड़ी अर्पित करें।
- पीली सरसों: कारोबार में लाभ और रोजगार के लिए होलिका दहन में पीली सरसों चढ़ाएं।
- अक्षत और ताजे फूल: होलिका दहन में अक्षत और ताजे फूल भी अर्पित करें।
- साबुत मूंग की दाल और हल्दी के टुकड़े
- काले तिल के दाने: अच्छे स्वास्थ्य के लिए होलिका दहन की पवित्र अग्नि में काले तिल के दाने अर्पित करें।
होलिका दहन 2025 पूजा मंत्र
‘ऊं नृसिंहाय नम:’
‘अनेन अर्चनेन होलिकाधिष्ठातृदेवता प्रीयन्तां नमम्।।’
‘वन्दितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्राणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहि नो देवि विभूतिः भूतिदा भव।।’
होलिका दहन 2025 मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, होलिका दहन गुरुवार, 13 मार्च को होगा। इसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन होलिका दहन करने का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 26 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस दौरान होलिका दहन करना अति शुभ माना जाएगा।
भारत में होली का उत्सव
पुराणिक कथाओं और इतिहास में दर्ज विभिन्न उत्सवों के वर्णन से पता चलता है कि, रंगों का त्योहार होली अत्यंत प्राचीन पर्व या उत्सव है। भारतीय उपमहादीप के विशाल भू-भाग और सांस्कृतिक विविधता में क्षेत्रीयता के अनुसार होली कई अन्य नाम भी हैं, जैसे कि, धुलंडी, फागुआ, डोल पूर्णिमा, रंगवाली होली, उकुली, मंजल कुली, याओसांग, शिगमो, जाजीरी, फगवाह, होलाका, धूलिवंदन. और होलिका हैं।
हिन्दू पंचांग में वर्ष के अंतिम माह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है। वसंत ऋतु के फाल्गुन मास की पूर्णिमा और चैत्र नव-वर्ष के आगमन के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस उत्सव को सम्पूर्ण भारतीय उपमहादीप में हिन्दू संस्कृति के वंशजों द्वारा किसी न किसी नाम से मनाया जाता है। वसंत ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव और काम-महोत्सव भी कहा जाता है।
होली का उत्सव भारत के कई राज्यों में पर्यटन के रूप में भी प्रसिद्ध है जैसे,
- भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली उत्तर प्रदेश के बरसाना (मथुरा) की लठमार होली
- पंजाब में होली के दिन मनाया जाने वाला ‘होला मोहल्ला’ उत्सव
- केरल में मंजल कुली और उक्कुली के नाम से मनाई जाने वाला होली का उत्सव
- बिहार में फगुआ के नाम से मनाया जाने वाला होली का उत्सव
- मणिपुर में मनाया जाने वाला याओसांग उत्सव। याओसांग वसंत ऋतु में पाँच दिनों तक मनाया जाने वाला एक त्यौहार है, जो लमता (फरवरी-मार्च) महीने की पूर्णिमा के दिन से शुरू होता है। याओसांग मेइती लोगों का स्वदेशी परंपरागत और सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है।
बुराई की प्रतीक होलिका के दहन से शुरू होने वाला होली का त्योहार हिन्दू नवसंवत या हिन्दू नववर्ष का और चैत्र मास में प्रथम त्योहार होता है.
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