MonkTimes (हिन्दी समाचार सेवा) : चैत्र नवरात्रि 2025 (Chaitra Navratri 2025) का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार मां दुर्गा की नौ रूपों (शक्ति के रूप शक्तिपीठ) की उपासना का प्रतीक है।
भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में यह बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। विभिन्न स्थानों पर स्थित 51 शक्तिपीठ के दर्शन और जात्रा की जाती है। पश्चिम बंगाल में इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि यहां 51 शक्तिपीठ में से 12 प्रमुख शक्तिपीठ स्थित हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि 2025 (Chaitra Navratri 2025) की चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च, 2025 को दोपहर 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से होगी।\
माँ दुर्गा यह नौ रूप इस प्रकार हैं, पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री,
नवरात्रि के 9 दिन के रंग और कलर और प्रसाद (Navratri 9 days Color)
दिन-(Day) | रंग-(Color) | भोग-(Bhog) | स्वरूप-(forms) |
पहला दिन | सफेद | खीर | मां शैलपुत्री |
दूसरा दिन | लाल | शक्कर से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है. | मां ब्रह्मचारिणी |
तीसरा दिन | नीला | दूध से बनी चीजों का भोग | मां चंद्रघंटा |
चौथा दिन | पीला | मालपुआ | मां कुष्मांडा |
पांचवा दिन | हरा | कच्चे केले की बर्फी | मां स्कंदमाता |
छठवां दिन | भूरा | शहद से बनी खीर | मां कात्यायनी |
सातवां दिन | नारंगी | गुड़ से बना हलवा | मां कालरात्रि |
आठवां दिन | पीकाॅक ग्रीन | नारियल | माता महागौरी |
नौवां दिन | गुलाबी | हलवा-पूरी और चना | माता सिद्धिदात्री |
शक्तिपीठ क्या हैं?
दुनियाभर के देवी के प्रसिद्ध और पावन मंदिरों में 51 शक्तिपीठ शामिल हैं. वैसे तो 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं, लेकिन तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं.
“शक्ति” अर्थात देवी दुर्गा, जिन्हें दाक्षायनी या पार्वती रूप में भी पूजा जाता है। “अंग या आभूषण” अर्थात, सती के शरीर का कोई अंग या आभूषण, जो श्री विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरा, आज वह स्थान पूज्य है और शक्तिपीठ कहलाता है।
पुराणों के अनुसार देवी सती के शरीर के विभिन्न अंगों से 52 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ था। इसके पीछे यह अंतर्कथा है कि दक्ष प्रजापति ने कनखल (हरिद्वार) में ‘बृहस्पति सर्व’ नामक यज्ञ रचाया। उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन जान-बूझकर अपने जमाता भगवान शंकर को नहीं बुलाया। शंकरजी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा न बुलाए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ में भाग लेने गईं। यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया। इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे। इस अपमान से पीड़ित हुई सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी। भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया। भगवान शंकर के आदेश पर उनके गणों के उग्र कोप से भयभीत सारे देवता ऋषिगण यज्ञस्थल से भाग गये। भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कंधे पर उठा लिया और दुःखी हुए इधर-उधर घूमने लगे। तदनंतर देवी सती के शरीर के अंग वे टुकड़े 52 जगहों पर गिरे। वे ५२ स्थान शक्तिपीठ कहलाए। देवी सती ने दूसरे जन्म में हिमालयपुत्री पार्वती के रूप में शंकर जी से विवाह किया।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शक्तिपीठ वे स्थान हैं जहां देवी सती के अंग के टुकड़े गिरे थे। इन स्थानों पर मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा होती है और हर शक्तिपीठ का अपना विशेष महत्व है। पश्चिम बंगाल के ये शक्तिपीठ लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं और नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
इक्यावन शक्तिपीठ की सूची (List of ShaktiPeeth):
पुराणिक ग्रंथों में शक्तिपीठों की संख्या इक्यावन कही गई है। ये भारतीय उपमहाद्वीप (जम्बू द्वीप) में विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं और यह स्थान सर्व सिद्धि दायक और पवित्र माने गए हैं
शक्तिपीठों की सूची (List of Shakti Peeth):
क्रम सं० | स्थान | अंग या आभूषण | शक्ति | भैरव |
1 | हिंगुल या हिंगलाज, कराची, पाकिस्तान से लगभग 125 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व में | ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) | कोट्टरी | भीमलोचन |
2 | शर्कररे, कराची पाकिस्तान के सुक्कर स्टेशन के निकट, इसके अलावा नैनादेवी मंदिर, बिलासपुर, हि.प्र. भी बताया जाता है। | आँख | महिष मर्दिनी | क्रोधीश |
3 | सुगंध, बांग्लादेश में शिकारपुर, बरिसल से 20 कि॰मी॰ दूर सोंध नदी तीरे | नासिका | सुनंदा | त्रयंबक |
4 | अमरनाथ, पहलगाँव, काश्मीर | गला | महामाया | त्रिसंध्येश्वर |
5 | ज्वाला जी, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | जीभ | सिधिदा (अंबिका) | उन्मत्त भैरव |
6 | जालंधर, पंजाब में छावनी स्टेशन निकट देवी तलाब | बांया वक्ष | त्रिपुरमालिनी | भीषण |
7 | अम्बाजी मंदिर, गुजरात | हृदय | अम्बाजी | बटुक भैरव |
8 | गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल, निकट पशुपतिनाथ मंदिर | दोनों घुटने | महाशिरा | कपाली |
9 | मानस, कैलाश पर्वत, मानसरोवर, तिब्बत के निकट एक पाषाण शिला | दायां हाथ | दाक्षायनी | अमर |
10 | बिराज, उत्कल, उड़ीसा | नाभि | विमला | जगन्नाथ |
11 | गण्डकी नदी नदी के तट पर, पोखरा, नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर | मस्तक | गंडकी चंडी | चक्रपाणि |
12 | बाहुल, अजेय नदी तट, केतुग्राम, कटुआ, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल से 8 कि॰मी॰ | बायां हाथ | देवी बाहुला | भीरुक |
13 | उज्जनि, गुस्कुर स्टेशन से वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल 16 कि॰मी॰ | दायीं कलाई | मंगल चंद्रिका | कपिलांबर |
14 | माताबाढ़ी पर्वत शिखर, निकट राधाकिशोरपुर गाँव, उदरपुर, त्रिपुरा | दायां पैर | त्रिपुर सुंदरी | त्रिपुरेश |
15 | छत्राल, चंद्रनाथ पर्वत शिखर, निकट सीताकुण्ड स्टेशन, चिट्टागौंग जिला, बांग्लादेश | दांयी भुजा | भवानी | चंद्रशेखर |
16 | त्रिस्रोत, सालबाढ़ी गाँव, बोडा मंडल, जलपाइगुड़ी जिला, पश्चिम बंगाल | बायां पैर | भ्रामरी | अंबर |
17 | कामगिरि, कामाख्या, नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी, असम | योनि | कामाख्या | उमानंद |
18 | जुगाड़्या, खीरग्राम, वर्धमान जिला, पश्चिम बंगाल | दायें पैर का बड़ा अंगूठा | जुगाड्या | क्षीर खंडक |
19 | कालीपीठ, कालीघाट, कोलकाता | दायें पैर का अंगूठा | कालिका | नकुलीश |
20 | प्रयाग, संगम, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश | हाथ की अंगुली | ललिता | भव |
21 | जयंती, कालाजोर भोरभोग गांव, खासी पर्वत, जयंतिया परगना, सिल्हैट जिला, बांग्लादेश | बायीं जंघा | जयंती | क्रमादीश्वर |
22 | किरीट, किरीटकोण ग्राम, लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन, मुर्शीदाबाद जिला, पश्चिम बंगाल से 3 कि॰मी॰ दूर | मुकुट | विमला | सांवर्त |
23 | मणिकर्णिका घाट, काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश | मणिकर्णिका | विशालाक्षी एवं मणिकर्णी | काल भैरव |
24 | कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर, कुमारी मंदिर, तमिल नाडु | पीठ | श्रवणी | निमिष |
25 | कुरुक्षेत्र, हरियाणा | एड़ी | सावित्री | स्थाणु |
26 | मणिबंध, गायत्री पर्वत, निकट पुष्कर, अजमेर, राजस्थान | दो पहुंचियां | गायत्री | सर्वानंद |
27 | श्री शैल, जैनपुर गाँव, 3 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व सिल्हैट टाउन, बांग्लादेश | गला | महालक्ष्मी | शंभरानंद |
28 | कांची, कोपई नदी तट पर, 4 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व बोलापुर स्टेशन, बीरभुम जिला, पश्चिम बंगाल | अस्थि | देवगर्भ | रुरु |
29 | कमलाधव, शोन नदी तट पर एक गुफा में, अमरकंटक, मध्य प्रदेश | बायां नितंब | काली | असितांग |
30 | शोन्देश, अमरकंटक, नर्मदा के उद्गम पर, मध्य प्रदेश | दायां नितंब | नर्मदा | भद्रसेन |
31 | रामगिरि, चित्रकूट, झांसी-माणिकपुर रेलवे लाइन पर, उत्तर प्रदेश | दायां वक्ष | शिवानी | चंदा |
32 | वृंदावन, भूतेश्वर महादेव मंदिर, निकट मथुरा, उत्तर प्रदेश | केश गुच्छ/ | उमा | भूतेश |
33 | शुचि, शुचितीर्थम शिव मंदिर, 11 कि॰मी॰ कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग, तमिल नाडु | ऊपरी दाड़ | नारायणी | संहार |
34 | पंचसागर, अज्ञात | निचला दाड़ | वाराही | महारुद्र |
35 | करतोयतत, भवानीपुर गांव, 28 कि॰मी॰ शेरपुर से, बागुरा स्टेशन, बांग्लादेश | बायां पायल | अर्पण | वामन |
36 | श्री पर्वत, लद्दाख, कश्मीर, अन्य मान्यता: श्रीशैलम, कुर्नूल जिला आंध्र प्रदेश | दायां पायल | श्री सुंदरी | सुंदरानंद |
37 | विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगाल | बायीं एड़ी | कपालिनी (भीमरूप) | शर्वानंद |
38 | प्रभास, 4 कि॰मी॰ वेरावल स्टेशन, निकट सोमनाथ मंदिर, जूनागढ़ जिला, गुजरात | आमाशय | चंद्रभागा | वक्रतुंड |
39 | भैरवपर्वत, भैरव पर्वत, क्षिप्रा नदी तट, उज्जयिनी, मध्य प्रदेश | ऊपरी ओष्ठ | अवंति | लंबकर्ण |
40 | जनस्थान, गोदावरी नदी घाटी, नासिक, महाराष्ट्र | ठोड़ी | भ्रामरी | विकृताक्ष |
41 | सर्वशैल/गोदावरीतीर, कोटिलिंगेश्वर मंदिर, गोदावरी नदी तीरे, राजमहेंद्री, आंध्र प्रदेश | गाल | राकिनी/ | वत्सनाभ/ |
42 | बिरात, निकट भरतपुर, राजस्थान | बायें पैर की अंगुली | अंबिका | अमृतेश्वर |
43 | रत्नावली, रत्नाकर नदी तीरे, खानाकुल-कृष्णानगर, हुगली जिला पश्चिम बंगाल | दायां स्कंध | कुमारी | शिवा |
44 | मिथिला, जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट, भारत-नेपाल सीमा पर | बायां स्कंध | उमा | महोदर |
45 | नलहाटी, नलहाटि स्टेशन के निकट, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | पैर की हड्डी | कलिका देवी | योगेश |
46 | कर्नाट, अज्ञात | दोनों कान | जयदुर्गा | अभिरु |
47 | वक्रेश्वर, पापहर नदी तीरे, 7 कि॰मी॰ दुबराजपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | भ्रूमध्य | महिषमर्दिनी | वक्रनाथ |
48 | यशोर, ईश्वरीपुर, खुलना जिला, बांग्लादेश | हाथ एवं पैर | यशोरेश्वरी | चंदा |
49 | अट्टहास, 2 कि॰मी॰ लाभपुर स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | ओष्ठ | फुल्लरा | विश्वेश |
50 | नंदीपुर, चारदीवारी में बरगद वृक्ष, सैंथिया रेलवे स्टेशन, बीरभूम जिला, पश्चिम बंगाल | गले का हार | नंदिनी | नंदिकेश्वर |
51 | लंका, स्थान अज्ञात, (एक मतानुसार, मंदिर ट्रिंकोमाली में है, पर पुर्तगली बमबारी में ध्वस्त हो चुका है। एक स्तंभ शेष है। यह प्रसिद्ध त्रिकोणेश्वर मंदिर के निकट है) | पायल | इंद्रक्षी | राक्षसेश्वर |
यहाँ पश्चिम बंगाल के उन 12 प्रमुख शक्तिपीठों की जानकारी उपलब्ध कर रहे हैं, जहां चैत्र नवरात्रि 2025 के दौरान आप दर्शन कर सकते हैं। साथ ही हम आपको बताएंगे कि इन पवित्र स्थलों तक कैसे पहुंचा जा सकता है, हवाई, रेल और सड़क मार्ग द्वारा।
आइए जानते हैं इन शक्तिपीठों की अद्भुत महिमा और यात्रा की पूरी जानकारी।
पश्चिम बंगाल के 12 शक्तिपीठ (List of Shakti Peeth in west bengal):
1. कालीपीठ (कोलकाता कालिका शक्तिपीठ):
कोलकाता स्थित कालीपीठ, जिसे कालीघाट मंदिर भी कहा जाता है, भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है।
हवाई मार्ग: नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (कोलकाता एयरपोर्ट) से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग: हावड़ा और सियालदह रेलवे स्टेशन से कालीघाट मेट्रो स्टेशन के माध्यम से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: कोलकाता शहर के विभिन्न हिस्सों से बस, टैक्सी या ऑटो द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
2. नंदीपूर (नंदिनी):
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर स्थित चारदीवारी में है।
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा कोलकाता है, जहां से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 200 किलोमीटर की यात्रा करनी होगी।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन रामपुरहाट है, जो नंदीपूर से लगभग 18 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
3. अट्टहास (फुल्लरा):
यह शक्तिपीठ भी बीरभूम जिले में स्थित है। पश्चिम बंगाल के लाभपुर (लाबपुर या लामपुर) स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के अधरोष्ठ (नीचे के होठ) गिरे थे।
हवाई मार्ग: कोलकाता हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 180 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन लाबपुर है, जो अट्टहास से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। यह शक्तिपीठ वर्धमान रेलवे स्टेशन से लगभग 95 किलोमीटर आगे कटवा-अहमदपुर रेलवे लाइन पर है।
4. वक्रेश्वर (महिषमर्दिनी):
वक्रेश्वर शक्तिपीठ बीरभूम जिले में स्थित है। पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के दुबराजपुर स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर वक्रेश्वर में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रूमध्य (मन:) गिरा था।
हवाई मार्ग: कोलकाता हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 230 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन वक्रेश्वर रोड है, जो मंदिर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है।
5. रत्नावली (कुमारी):
रत्नावली शक्तिपीठ का निश्चित्त स्थान अज्ञात है फिर भी बताया जाता है कि बंगाल के हुगली जिले के खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग पर रत्नावली स्थित रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था।
हवाई मार्ग: कोलकाता हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 96 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन मुर्शिदाबाद है, जो मंदिर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है।
6. विभाष (कपालिनी):
शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक ग्राम में विभास शक्तिपीठ स्थित है
हवाई मार्ग: कोलकाता हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन ताम्रलुक है, जो विभाष से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। साथ ही ये दक्षिण पूर्व रेलवे के कुड़ा स्टेशन से 24 किलोमीटर दूर है।
7. कांची (देवगर्भा):
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में शांति निकेतन के पास बोलपुर में कोपई नदी के किनारे माता का कांची देवगर्भा कंकाली ताला मंदिर स्थित है। यहां देवी जी का कंकाल गिरा था। शक्ति ‘देवगर्भा’ तथा भैरव ‘रुरु’ हैं। यहां देवी कामाक्षी का भव्य विशाल मंदिर है, जिसमें त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमूर्ति कामाक्षी देवी की प्रतिमा है।
हवाई मार्ग: कोलकाता हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 180 से 240 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।
रेल मार्ग: लगभग 17 ट्रेनें दैनिक आधार पर कोलकाता से बीरभूम तक चलती हैं।
8. किरीट (विमला भुवनेशी शक्तिपीठ):
यह शक्तिपीठ मुर्शिदाबाद जिले में स्थित है।
हवाई मार्ग: कोलकाता हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 200+ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन अजीमगंज है, जो किरीट से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। कोलकाता से मुर्शिदाबाद की 4 घंटे की ट्रैन भी अच्छा विकल्प है।
9. युगाद्या (भूतधात्री शक्तिपीठ):
युगाद्या शक्तिपीठ बंगाल के पूर्वी रेलवे के वर्धमान जंक्शन से 39 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में तथा कटवा से 21 कि.मी दक्षिण-पश्चिम में महाकुमार-मंगलकोट थानांतर्गत ‘क्षीरग्राम’ में स्थित है।
हवाई मार्ग: कोलकाता हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन हावड़ा है, जो युगाद्या से लगभग 45 किलोमीटर दूर है।
10. त्रिस्रोता (भ्रामरी शक्तिपीठ):
यह शक्तिपीठ बीरभूम जिले में स्थित है।
हवाई मार्ग: कोलकाता हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: पूर्वोत्तर रेलवे के सिलीगुड़ी-हल्दी बाड़ी रेलवे लाइन पर स्थित है-रेलवे स्टेशन जलपाई गुड़ी, पश्चिम बंगाल।
11. बहुला (बहुला/चंडिका):
पश्चिम बंगाल से वर्धमान जिला से 8 किमी दूर कटआ के पास केतुग्राम के निकट अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर शक्तिपीठ है।
हवाई मार्ग: कोलकाता हवाई अड्डे से सड़क मार्ग से बस के माध्यम से बहुला पहुंच सकते हैं। यहां बहुला के लिए डीलक्स बसें चलाई जाती है। नजदीकी हवाईअड्डा वर्धमान है, जबकि अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा कोलकाता में है।
रेल मार्ग: देश के किसी भी कोने से वर्धमान रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़कर बहुला मंदिर पहुंच सकते हैं।
12. नलहाटी:
राज्य के बोलपुर शांति निकेतन से 75 किलोमीटर तथा सैंथिया जंक्शन से 42 किलोमीटर दूर नलहरी रेलवे स्टेशन है, इस शक्तिपीठ को कालिका देवी और भैरव को योगेश कहते हैं।
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