पिप्पलाद ऋषि कृत शनि स्तोत्रं: शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय का देवता और कर्मफलदाता माना जाता है। मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार ही उसे फल प्रदान करते हैं। इसलिए, जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या अन्य कोई नकारात्मक प्रभाव चल रहा होता है, वे शनिवार के दिन विशेष उपाय करके शनिदेव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इन उपायों में पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं का पाठ विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
पिप्पलाद ऋषि द्वारा शनिदेव को श्राप
पुराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि पिप्पलाद, ऋषि दधीचि और उनकी पत्नी सुवर्चस के पुत्र थे. पिप्पलाद ऋषि का जन्म पीपल के नीचे हुआ था, इसलिए उनका नाम पिप्पलाद रखा गया. ‘पिप्पलाद’ शब्द का अर्थ है, ‘पीपल के फल खाकर जीनेवाला’.
पिप्पलाद ऋषि अथर्ववेद के पहले संकलकर्ता थे और अथर्ववेद की एक शाखा पिप्पलाद नाम से है. उनको प्रश्नोपनिषद (प्रश्न उपनिषद) की रचना करने वाला मन गया है इस प्रश्नोपनिषद में पिप्पलाद ऋषि को एक तत्त्वज्ञानी के रूप में बताया गया.
महार्षि पिप्पलाद ने देवताओं से पूछा कि क्या कारण है कि मेरे पिता व माता मेरे जन्म से पूर्व ही मुझे छोड कर चले गये. जिस पर देवताओं ने बताया कि शनिग्रह की दृष्टि के कारण ही ऐसा कुयोग बना तब यह सुनकर पिप्पलाद क्रोधित हुये.
मान्यता है कि क्रोध वश महार्षि पिप्पलाद ने शनि को श्राप दिया था, जिससे शनि की चाल मंद हो गई थी.
महाभारत के शांतिपर्व में भी यह उल्लेख मिलता है कि जब भीष्म शरशय्या (बाणों की शय्या) पर पड़े हुए थे तो उनके पास पिप्पलाद ऋषि उपस्थित थे.
पिप्पलाद ऋषि रचित शनि स्तोत्रं का महत्व
पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित शनि स्तोत्रं (Piplad rishi krit shani stotra) शनिदेव को प्रसन्न करने और उनके नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को शनि के कष्टों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं
य: पुरा नष्टराज्याय, नलाय प्रददौ किल ।
स्वप्ने तस्मै निजं राज्यं, स मे सौरि: प्रसीद तु ।।1।।
केशनीलांजन प्रख्यं, मनश्चेष्टा प्रसारिणम् ।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं, नमस्यामि शनैश्चरम् ।।2।।
नमोsर्कपुत्राय शनैश्चराय, नीहार वर्णांजनमेचकाय ।
श्रुत्वा रहस्यं भव कामदश्च, फलप्रदो मे भवे सूर्य पुत्रं ।।3।।
नमोsस्तु प्रेतराजाय, कृष्णदेहाय वै नम: ।
शनैश्चराय ते तद्व शुद्धबुद्धि प्रदायिने ।।4।।
य एभिर्नामाभि: स्तौति, तस्य तुष्टो ददात्य सौ ।
तदीयं तु भयं तस्यस्वप्नेपि न भविष्यति ।।5।।
कोणस्थ: पिंगलो बभ्रू:, कृष्णो रोद्रोऽन्तको यम: ।
सौरि: शनैश्चरो मन्द:, प्रीयतां मे ग्रहोत्तम: ।।6।।
नमस्तु कोणसंस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते ।
नमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमोऽस्तुते ।।7।।
नमस्ते रौद्र देहाय, नमस्ते बालकाय च ।
नमस्ते यज्ञ संज्ञाय, नमस्ते सौरये विभो ।।8।।
नमस्ते मन्दसंज्ञाय, शनैश्चर नमोऽस्तुते ।
प्रसादं कुरु देवेश, दीनस्य प्रणतस्य च ।।9।।
शनि स्तोत्र के बाद दशरथकृत शनि स्तवन पाठ का भी जाप करना चाहिए.
शनि स्तोत्रं पाठ करने की विधि
पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं का पाठ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है जैसे,
शनिदेव को प्रणाम
स्तोत्र का पाठ करते समय बार-बार शनिदेव को प्रणाम करते रहें।
यंत्र और फूल
इस स्तोत्र का पाठ शनि यंत्र के सामने नीले अथवा बैंगनी रंग के फूलों के साथ करना चाहिए।
पीपल के वृक्ष के सामने
यदि आपके पास शनि यंत्र नहीं है, तो आप इस पाठ को पीपल के पेड़ के सामने बैठकर भी कर सकते हैं।
ध्यान
पाठ करते समय मन में शनिदेव का ध्यान करते रहें।
पिप्पलाद ऋषि और राजा नल की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, पिप्पलाद ऋषि ने शनि के कष्टों से मुक्ति के लिए इस स्तोत्र की रचना की थी। राजा नल, जो अपने जीवन में शनि के प्रकोप से बहुत परेशान थे, ने भी इसी स्तोत्र के पाठ द्वारा अपना खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त कर लिया था और उनकी राजलक्ष्मी भी लौट आई थी। इस कथा से इस स्तोत्र की शक्ति और महत्व का पता चलता है।
शनिवार के कुछ सामान्य उपाय:
शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना करने से उनके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। कुछ सामान्य उपाय इस प्रकार हैं:
- गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें: शनिवार के दिन गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना शनिदेव को प्रसन्न करने का उत्तम उपाय है।
- शनिदेव की पूजा: शनिवार के दिन शनिदेव की प्रतिमा या चित्र के सामने तेल का दीपक जलाएं और उन्हें नीले या काले रंग के फूल अर्पित करें।
- काले तिल और उड़द की दाल का दान करें: इस दिन काले तिल और उड़द की दाल का दान करना शुभ माना जाता है। आप इन्हें किसी गरीब या जरूरतमंद को दान कर सकते हैं।
- लोहे की वस्तुओं का दान करें: लोहे की वस्तुओं जैसे कील या छल्ला आदि का दान करना भी शनिदेव को प्रसन्न करता है।
- पीपल के वृक्ष की पूजा करें: शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं और सात बार परिक्रमा करें।
- हनुमान जी की पूजा करें: हनुमान जी की पूजा करने से भी शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी होता है।
शनिवार के दिन किए गए उपाय और पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं का पाठ शनिदेव के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक होते हैं। श्रद्धा और विश्वास के साथ इन उपायों को करने से व्यक्ति जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव कर सकता है। यह पिप्पलाद ऋषि शनि स्तोत्रं न केवल शनि के कष्टों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है। इसलिए, शनिवार के दिन पिप्पलाद ऋषि शनि स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।