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Friday, July 4, 2025

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गुरु गोचर मिथुन राशि में 14 मई 2025 को रात से

गुरु गोचर (Guru Gochar 2025): गुरु 14 मई 2025 को रात में वृषभ राशि से मिथुन राशि में गोचर करेंगे।

गुरु गोचर हिन्दू वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण गोचर माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार शनि, राहु, केतु और बृहस्पति ऐसे ग्रह हैं जिनकी गोचरीय अवधि अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक होती है। इसलिए जब-जब ये ग्रह गोचर करते हैं इसका व्यापक प्रभाव मानव जीवन पर देखने को मिलता है।

गुरु गोचर 2025

माना जा रहा है कि, बुद्धि, विकास, भाग्य और विस्तार का ग्रह बृहस्पति 14 मई 2025 को मिथुन राशि में प्रवेश करेगा , जिससे मस्तिष्कीय गतिविधि, नए विचारों और संचार संबंधी आवेगों की लहर आएगी।

गुरु ग्रह लगभग 13 महीने बाद एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। इसलिए एक भचक्र पूरा करने में उनको 12 साल का समय लग जाता हैं। इस वर्ष 2025 में, गुरु बृहस्पति 14 मई को बुध के स्वामित्व वाली राशि मिथुन में प्रवेश कर जाएंगे।

गुरु (बृहस्पति) का गोचर या गुरु गोचर (Guru Gochar 2025) 14 मई, 2025 की लगभग मध्यरात्रि 2.30 मिनट को होगा. (कई ज्योतिष गणना के अनुसार इसका समय भिन्न बताया गया है) इस गुरु गोचर के साथ, गुरु की अतिचारी चाल भी शुरू हो जाएगी. अतिचारी चाल का अर्थ है कि गुरु एक सामान्य गति से अधिक तेजी से भ्रमण करेंगे।

गुरु की अतिचारी चाल बहुत महत्वपूर्ण होती है. इस दौरान गुरु ग्रह तेज चाल से आगे बढ़ते हैं और एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं. इसके बाद साल 2025 में गुरु का अगला राशि परिवर्तन कर्क राशि में 18 अक्टूबर, शनिवार को 9.39 मिनट पर होगा. वहीं इसी वर्ष गुरु का आखिरी परिवर्तन 5 दिसंबर, शुक्रवार को दोपहर को 3.38 मिनट पर होगा. वैसे सामान्यतः गुरु ग्रह 12-13 महीने में अपनी चाल में परिवर्तन करते हैं.

किसी भी ग्रह का गोचर सभी राशियों पर असर डालता है. गुरु के गोचर से भी कई राशियों को लाभ और कई राशियों को सावधान रहना होगा.

गुरु के सकारात्मक प्रभाव के उपाय

गुरु देव बृहस्पति के मंत्रों का जाप

गुरु ग्रह के मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं.

“ॐ बृं बृहस्पतये नमः” और

“ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः”

इन मंत्रों का जाप विशेष रुप से गुरुवार के दिन करें.

गुरुवार व्रत

गुरु देव बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए  और कुंडली में गुरु की स्थिति को मजबूत करने के लिए  गुरुवार के दिन व्रत करें.

केले के पेड़ की पूजा

गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करने से गुरु देव बृहस्पति का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

दान

दान करने से भी गुरु ग्रह को मजबूत किया जा सकता है. इस दौरान पढ़ाई से जुड़ा सामान बच्चों को दान में दें. साल ही पीले वस्त्र, चने की दाल आदि चीजों का दान करें.

गुरु ग्रह को बृहस्पति भी कहा जाता है और यह बुद्धि, विकास, भाग्य, मस्तिष्कीय गतिविधि, नए विचारों और विस्तार  संबंधी उच्च फल देने वाला माना गया है इस बार गुरु गोचर बुध के साथ होने से और महत्व वाला माना गया है.

इन सभी उपाय को करने से मनुष्य के मन, वचन और कर्म में सकारात्मक दृष्टिकोण बनता है और उच्च विचार उत्पन्न होते हैं जिससे जीवन में सकरात्मकता का संचार होता है. व्यक्ति जीवन में आने वाली बाधाओं को सकारात्मक भाव से सुलझा लेता है और उससे साथ ही व्यक्ति को मानसिक शांति और समृद्धि भी प्राप्त होती है.

 

 

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