शक्तिपीठ (Shaktipeeth) हिंदू धर्म में वह पवित्र स्थान हैं जहाँ देवी सती के शरीर के अंग या आभूषण गिरे थे। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का उल्लेख किया गया है, जो भारत और विदेशों में स्थित हैं। ये स्थान देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को समर्पित हैं और नवरात्रों में विशेष रूप से पूजनीय हैं।
शक्तिपीठ की कथा क्या है?
भगवान शिव की पत्नी देवी सती ने अपने पिता दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन न कर पाने के कारण यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया था। इससे दुखी और क्रोधित होकर भगवान शिव सती के शरीर को लेकर तांडव करने लगे जिससे सम्पूर्ण ब्रह्मांड कंपायमान हो उठा देव, दानव, मानव, नाग, किन्नर, पशु, पक्षी, जलचर सभी भयभीत होकर जगत के पालक भगवान विष्णु की स्तुति करने लगे और इस महाप्रलय से बचाने की विनती करने लगे, तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में काट दिया, और ये टुकड़े जहाँ-जहाँ गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए।
मध्य प्रदेश में शक्तिपीठ (Shaktipeeth in Madhya Pradesh):
सामान्य दिनों के अलावा नवरात्र के त्योहार के समय हिन्दू धर्म के उपासक देवी माता के मंदिरों और विशेष रूप से शक्तिपीठ के दर्शन के लिए जाते हैं। ऐसे ही प्रसिद्ध शक्तिपीठ देश के ह्रदय स्थल मध्यप्रदेश में भी स्थित है जहां भक्त गण पूरे साल अपनी मनोकामना की सिद्धि और देवी माता के धर्षण कर उनको धन्यवाद करने के लिए आते हैं। मध्य प्रदेश में तीन प्रमुख शक्तिपीठ में, हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ (उज्जैन), शोण नर्मदा शक्तिपीठ (अमरकंटक), और मैहर माता मंदिर (सतना). ये तीनों स्थान देवी माता के प्रसिद्ध मंदिर हैं और इन्हें बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है
हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ :
यह हरसिद्धि शक्तिपीठ मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है और यह देवी माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती की कोहनी गिरी थी। इस शक्तिपीठ का मुख्य आकर्षण है मंदिर प्रांगण में स्थापित विशाल दीप स्तंभ।
शोण नर्मदा शक्तिपीठ (शोंदेश शक्तिपीठ):
मध्यप्रदेश के अमरकंटक में नर्मदा नदी के उद्गम पर स्थित शोण नर्मदा शक्तिपीठ, जिसे शोंदेश शक्तिपीठ भी कहा जाता है। यह माँ सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ माँ सती का दायां नितम्ब गिरा था. इस स्थान पर माता सती को नर्मदा देवी के रूप में और भगवान शिव को भद्रसेन के रूप में पूजा जाता है।
मैहर माता मंदिर (माँ शारदा शक्तिपीठ):
यह मंदिर सतना जिले में त्रिकुट पहाड़ी पर स्थित है और इसे मैहर शक्तिपीठ या शारदा माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि यहां माता सती का हार गिरा था.
श्री राम वन गमन पथ पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल चित्रकूट के निकट, मध्यप्रदेश के सतना जिले में मैहर में त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता के इस शक्तिपीठ को मैहर देवी का शक्तिपीठ कहा जाता है। मैहर का मतलब है ‘मां का हार’। माना जाता है कि यहां माता सती का हार गिरा था इसीलिए इसकी गणना शक्तिपीठों में की जाती है। करीब 1,063 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माता के दर्शन होते हैं। इसे “मैहर शक्तिपीठ” या “माँ शारदा माता”, “मैहर की माँ शारदा” मंदिर के नाम से भी जाना जाता है
बुंदेलखंड क्षेत्र के दो भाई अल्हा और उदल अपनी वीरता और देशभक्ति के लिए आज भी प्रसिद्ध हैं इन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था और अपनी वीरता से सबको चकित कर दिया था। वह दोनों शारदा माता के बड़े भक्त थे और इन दोनों ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच पहाड़ी पर माँ शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 सालों तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। माना जाता है कि उन्होंने अटूट भक्ति के साथ उनकी पूजा-अर्चना की थी. इससे प्रसन्न होकर आल्हा को माँ शारदा देवी ने स्वयं अमरता का वरदान भी दिया था और रात्रि के उपरांत प्रथम पूजा का भी वरदान दिया था. इसलिए आज भी ऐसा माना जाता है कि मंदिर के पुजारी जी के पूजा करने के लिए आने से पहले, हर सुबह ब्रम्ह मुहुर्त में आल्हा मंदिर आकार पूजा करते हैं।
पीतांबरा पीठ (माँ पीतांबारा पीठ):
पीताम्बरा पीठ मध्यप्रदेश के दतिया शहर मे स्थित एक प्रशिद्ध पीठ (शक्तिपीठ) है। यहां पर मां बगुलामुखी की पीतांबरा के रूप में पूजा की जाती है। श्री गोलोकवासी स्वामीजी महाराज के द्वारा 1920 के दशक में इस स्थान पर “बगलामुखी देवी ” तथा “धूमवाती माता ” की स्थापना की गयी थी ! पीताम्बरा पीठ मे स्थित वनखण्डेश्वर मंदिर एक महाभारत कालीन शिव मंदिर है। मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी भी माना जाता है और इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले अनेक भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं। मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी भी है और इसलिए राजसत्ता प्राप्ति में मां पीतांबरा की पूजा का विशेष महत्व मन गया है।
देवी पुराण के में वर्णित 51 शक्तिपीठ का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत अधिक है, और ये स्थान भक्तों के लिए अटूट श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं।
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