पतंजलि (Patanjali): पूरी दुनिया में योग से स्वस्थ जीवन की अलख जगाने वाले और योग को जन साधारण तक पहुंचाने वाले प्रसिद्ध योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा स्थापित पतंजलि विश्वविद्यालय और पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने योग को पारंपरिक शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए, देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के साथ एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता शिक्षा, चिकित्सा, योग, आयुर्वेद, कौशल विकास, और भारतीय ज्ञान परंपरा जैसे क्षेत्रों में परस्पर सहयोग से बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह समझौता ज्ञापन (MoU) पतंजलि विश्वविद्यालय और इन तीन विश्वविद्यालयों के साथ हुआ हैं:
- राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
- हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
- महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट (मध्य प्रदेश).
पतंजलि के राष्ट्र निर्माण के कार्यों की सराहना
पतंजलि विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर के इस मौके पर तीनों विश्वविद्यालयों के कुलगुरु (कुलपति): प्रो. इंद्र प्रसाद त्रिपाठी, डॉ. संजय तिवारी, और प्रो. भरत मिश्रा उपस्थित रहे. सभी ने पतंजलि के राष्ट्र निर्माण के कार्यों की सराहना की. पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. आचार्य बालकृष्ण ने इस मौके पर पतंजलि द्वारा किए जा रहे कार्यों, जैसे इतिहास लेखन, वनस्पति शास्त्र, निदान ग्रंथ, और विश्व भेषज संहिता के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा, “ऋषि क्रांति, योग क्रांति, और शिक्षा क्रांति का यह सफर लाखों लोगों को लाभान्वित करेगा.”
विश्व भेषज संहिता क्या है?
विश्व भेषज संहिता (World Pharmacopoeia) एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें विभिन्न देशों में उपयोग होने वाली दवाओं के मानकों और विनिर्देशों का संग्रह होता है। इसका मुख्य उद्देश्य दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना है। यह विभिन्न देशों की फार्माकोपिया (जैसे, भारतीय भेषज संहिता, ब्रिटिश फार्माकोपिया, आदि) को एक साथ लाने और वैश्विक स्तर पर दवाओं के मानकों के बीच सामंजस्य स्थापित करना (Harmonise) करने का प्रयास करता है।)
शिक्षा और परंपराओं को मजबूत करने की दिशा में कदम
पतंजलि विश्वविद्यालय का यह समझौता भारतीय शिक्षा और परंपराओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. पतंजलि विश्वविद्यालय के इन प्रयासों से देश में शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित होंगे. यह सहयोग न केवल ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा, बल्कि भारतीय संस्कृति और विज्ञान को वैश्विक मंच पर ले जाएगा.