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Thursday, July 3, 2025

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पुनौराधाम में बनेगा भव्य मंदिर; मिथिलांचल में पर्यटन को बढ़वा

पुनौराधाम (बिहार):  भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म में माता सीता के नाम स्मरण किए बिना कोई भी कार्य या दिन की शुरुआत नही होती है जैसे की आगंतुक या किसी से मिलने के समय आपका सम्बोधन “सीताराम”; “जय श्री सीताराम” प्रभु का स्मरण करते समय या निरापद समय में भी व्यक्ति “सीताराम” “सीताराम” का जाप करता रहता है। अनेक महान संतों ने सारे ब्रह्मांड का सार “सीताराम” नाम के इन दो शब्दों में निहित बताया है। प्रसिद्ध संत श्री नीब करौली बाबा भी यही उपदेश अपने भक्तों को देते थे की अपने ग्रहस्त जीवन में “सीताराम” “सीताराम” नाम का जाप करते रहो।

पुनौराधाम कहाँ है?

माता सीता की जन्मस्थली पुनौराधाम बिहार के मिथिला (मिथिलांचल) में सीतामढी जिले में स्थित है। यह स्थल सदियों से पूज्यनिए रहा है. यहाँ पर हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों से लेकर प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को जानने तथा समझने के लिए विश्व के हर भाग से लोग आते रहे हैं। माता जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम, विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशिष्ट स्थल रहा है, जो माता सीता की कथा को निकट से अनुभव करना चाहते रहे हैं। आदी वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था। जनकपुर का प्राचीन नाम मिथिला तथा विदेहनगरी था।

पुनौराधाम में माता सीता का मंदिर

मर्यादा पुरुषोतम श्री राम जी की जन्मस्थली अयोध्या में उनके जन्मस्थान पर भारतीय संस्कृति की हितैषी राजनैतिक पार्टी बीजेपी के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के काल में मंदिर निर्माण का कार्य प्रशस्त हुआ और जहां आज एक भव्य मंदिर स्थापित है। विदित हो कि देश पर आक्रमण करके मुगलों ने श्री जन्मभूमि पर स्थित प्राचीन मंदिर को तोड़ कर एक अन्य ढांचे का निर्माण कर दिया था, लेकिन पूरे देश की धर्म संगत और न्याय प्रिये हिन्दू जनता के आक्रोश वश वह उस स्थान पर कोई भी अन्य कार्य नही कर सके और उस जन्मस्थली पर सैकड़ों वर्षों तक प्रभु श्रीराम की पूजा और आरती होती रही।  श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण होने के बाद से राष्ट्र की जनता माता सीता की जन्मस्थली पर भी विशाल मंदिर निर्माण की आशा कर रही है.

देश के जन-मानस की भावनाओं और धर्म सम्मत होकर माता सीता के जन्मस्थान पर भी श्री राम मंदिर की शैली में एक मंदिर निर्माण की दिशा में कदम उठाते हुए बीजेपी के साथ एनडीए गठबंधन में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने एक्स पर लिखा, “मुझे बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि जगत-जननी मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम, सीतामढ़ी को समग्र रूप से विकसित करने हेतु भव्य मंदिर सहित अन्य संरचनाओं का डिजाइन अब तैयार हो गया है, जिसे आपके साथ साझा किया जा रहा है।” उन्होंने आगे लिखा, “इसके (मंदिर) लिए एक ट्रस्ट का भी गठन कर दिया गया है, ताकि निर्माण कार्य में तेजी आ सके। हम लोग पुनौराधाम, सीतामढ़ी में भव्य मंदिर निर्माण शीघ्र पूरा कराने हेतु कृतसंकल्पित हैं। पुनौराधाम में मां जानकी के भव्य मंदिर का निर्माण हम सभी बिहारवासियों के लिए गौरव और सौभाग्य की बात है।”

पुनौराधाम माता सीता की जन्मस्थली

यह समाचार बिहार के लोगों के साथ साथ समस्त हिंदुओं के लिए खुश होने वाला समाचार है। जब से अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बना है, तब से लोग यह आस लगाए बैठे थे कि सीतामढ़ी में भी दिव्य मंदिर बने। अब जन मानस की यह अभिलाषा पूरी होती दिख रही है। इस कार्य के लिए पुनौराधाम के आसपास लगभग 50 एकड़ जमीन चाहिए। इस कार्य को तेजी से किया जा रहा है। राज्य सरकार ने इसके लिए आवश्यक राशि भी आवंटित कर दी है।

पुनौराधाम एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है, जिसे माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राजा जनक को यहीं भूमि जोतते समय सीता जी मिली थीं। हालांकि सीता के जन्म के संबंध में देश-विदेश में अनेक कथाएं प्रचलित हैं, किंतु इस तथ्य से सभी सहमत हैं कि वे अजन्मा थीं। वे किसी सामान्य नारी के गर्भ से नहीं, पृथ्वी से उत्पन्न हुई थीं।

धरती पुत्री माता सीता और राजा जनक की पुत्री कैसे बनी?

भगवती सीता के जन्म के संबंध में यह कथा प्रचलित है कि मिथिला में अनावृष्टि के कारण भयंकर अकाल पड़ा। प्रजा दाने-दाने के लिए बिलखने लगी। प्रजावत्सल राजा जनक प्रजा के इस कष्ट को दूर करने के लिए व्यग्र हो उठे। उनकी विह्वलता तथा व्यग्रता को देखकर ऋ षि-मुनियों ने परामर्श दिया कि यदि मिथिलेश स्वयं हल चलाएं तो वर्षा होगी और अकाल दूर हो जाएगा।

महाविष्णुपुराण के अनुसार मिथिलेश जनक ने अपनी राजधानी जनकपुर की सीमा से 3 योजन दूर एक निश्चित स्थान पर यज्ञादि करके हल चलाया। उसी दौरान सीता प्रकट हुईं। बच्ची के प्रकट होते ही संपूर्ण मिथिला क्षेत्र धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया। हल के सीत (फाल) से उत्पन्न होने के कारण इस बच्ची का नाम सीता पड़ा। इसी कारण माता की इस हृदय स्थली का नाम ‘सीतामही’ पड़ा, जिसका अपभ्रंश शब्द सीतामढ़ी है। सीतामढ़ी शहर से पांच किलोमीटर पश्चिम में पुनौरा गांव में जानकी मंदिर है। यही स्थल पुनौराधाम के नाम से दुनिया भर में प्रसिद्ध है.

पुनौराधाम से देश और बिहार के लोगों को प्राचीन काल से ही लगाव रहा है किन्तु पूर्ववर्ती राज्य सरकारों की अनदेखी के चलते अभी तक वहाँ पर माता सीता के दिव्य मंदिर का निर्माण नही हो सका, लेकिन अब केंद्र की बीजेपी और राज्य की बीजेपी गठबंधन की सरकार इस मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।

 

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