Astrology: ज्योतिष शास्त्र में श्रेष्ठ यानी शुभ योग या अशुभ योग को बहुत महत्वपूर्ण मन गया है। योग या ग्रहों का संयोजन, ग्रहों के गोचर या युति के कारण बनता है। सरल शब्दों में कहें, तो योग तब बनता है जब एक ग्रह, भाव या राशि किसी अन्य ग्रह, भाव या राशि के साथ गोचर या युति के माध्यम से प्रवेश करती है।
ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में आमतौर पर लोग राज योग के बारे में बात करते हैं। उसके अनुसार यदि किसी की कुंडली में राज योग है, तो वह समृद्धि और प्रचुर मात्रा में धन का आनंद प्राप्त करेगा। हालाँकि, यदि दरिद्र योग है, तो यह अशुभ या दरिद्रता ला सकता है। ज्योतिष शास्त्र में राज योग और दरिद्र योग के अलावा लगभग 300 और भी तरह के योग बन सकते हैं।
ज्योतिषशास्त्र (Astrology) की गणना के अनुसार,
- 14 मई से बृहस्पति मिथुन राशि में अतिचारी हुए हैं जो 8 वर्षों तक अतिचारी रहेंगे। 15 मार्च से 11 जून तक खप्पर योग था और अब 11 जुलाई से लेकर 7 अक्टूबर तक खप्पर योग बना रहेगा।
- 18 मई से 7 जून तक मंगल और राहु का षडाष्टक योग था।
- मंगल और केतु की सिंह राशि में 7 जून से युति बनी है। इसे कुंजकेतु योग कहते हैं। इसके अलावा
- 7 जून से 28 जुलाई तक के लिए शनि और मंगल का षडाष्टक योग बना है।
ज्योतिषशास्त्र (Astrology) में इन चार योग, अतिचारी गुरु, खप्पर योग, षडाष्टक योग और केतुकुंज योग को बहुत ही अनुकूल नहीं बताया गया है मन जात है कि यह कई तरह के विपरीत परिणाम देते हैं।
जानते हैं कि इन चार योगों, अतिचारी योग, खप्पर योग, षडाष्टक योग और केतुकुंज योग का सबसे अधिक प्रभाव किन राशियों पर होगा?
मिथुन राशि:
आपकी राशि में ही गुरु का अतिचारी योग बना है। यह मानसिक स्थिति बिगाड़ने वाला है। ऐसे में आपके कार्यक्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ेगा। आपको नौकरी में सावधानी से व्यवहार करते हुए कार्य करना होगा। कारोबारी हैं तो सोच समझकर लेनदेन करें। मिथुन राशि वाले जातकों के लिए यह समय सही नहीं माना जा सकता। भाग्य में कई तरह की रुकावट, परेशानी आ सकती हैं। भाई बहनों के साथ में विवाद हो सकता है तथा संपत्ति को लेकर बंटवारे तक की नौबत आ सकती है। धार्मिक यात्रा हो सकती है तथा संतान से मतभेद या संतान की चिंता हो सकती है।
सिंह राशि:
आपकी राशि में केतु और मंगल की युति बनी है जो खतरनाक है। यह क्रोध को बढ़ाने का काम करेगी। केतु को डेस्टिनेशन ब्रेकर भी कहा जाता है जो हर कार्य में रुकावट पैदा करेगा। यदि आप संयम और समझदारी से काम लेते हैं तो आपमें इतना साहस है कि आप सभी तरह की समस्या का समाधान कर सकते हैं। नौकरी में अपने व्यवहार को उत्तम बनाकर रखें और यदि कारोबारी हैं तो कोई निवेश का जोखिम न लें। घर परिवार के लोगों से संबंध बनाकर रखें।
कन्या राशि:
उपरोक्त के परिणाम स्वरूप आपको कार्यक्षेत्र में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आपकी कुंडली के सप्तम भाव में शनि का गोचर और अन्य योग का प्रभाव आपके स्वभाव को बिगाड़ रहा है। इसलिए आपको संयम और विनम्रता से काम लेना होगा। यह समय पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने का समय है। धन संचय करने के लिए आपका प्रयास बढ़ेगा। आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
वृश्चिक राशि:
इस गोचर के परिणाम स्वरूप आपको कार्यक्षेत्र में सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है। बनते हुए काम अटक सकते हैं। धन संबंधी मामलों में भी परेशानी उठानी पड़ सकती है। सेतह में भी गिरावट के चलते आप परेशान रह सकते हैं। आपके खर्चों में बढ़ोतरी होगी। हालांकि लंबी यात्रा के योग बन सकते हैं। अचानक से कभी-कभी धन प्राप्ति हो सकता है। अक्टूबर से स्थिति सामान्य होगी। भाग्य मजबूत होगा और आप सफलता प्राप्त करेंगे। बनते हुए काम अटक सकते हैं। धन संबंधी मामलों में भी परेशानी उठानी पड़ सकती है। सेतह में भी गिरावट के चलते आप परेशान रह सकते हैं। आपके खर्चों में बढ़ोतरी होगी। हालांकि लंबी यात्रा के योग बन सकते हैं। अचानक से कभी-कभी धन प्राप्ति हो सकता है। अक्टूबर से स्थिति सामान्य होगी। भाग्य मजबूत होगा और आप सफलता प्राप्त करेंगे।
मीन राशि:
आपकी राशि में शनि का गोचर चल रहा है जिसमें बीच बीच में दूरे ग्रहों की युति या प्रभाव जीवन में उथल पुथल मचाने वाला सिद्ध हो रहा है। मीन राशि वालों के लिए शनि का गोचर लग्न भाव में चल रहा है जो सप्तम भाव पर दृष्टि डाले हुए है। ऐसे में आपको दांपत्य जीवन में भी परेशानी खड़ी हो सकती है। मंगल के साथ षडाष्टक योग भी बना है तो मानसिक अशांति हो सकती है, छोटे भाइयों के साथ में पारिवारिक विवाद बढ़ सकता है तथा कार्य क्षेत्र में भी रुकावटें आ सकती है। सेहत का ध्यान रखना होगा।
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