Bimstec: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) को बिम्सटेक (Bimstec) देशों की भुगतान प्रणालियों के साथ जोड़ने और भारत में बिम्सटेक चैंबर ऑफ कॉमर्स स्थापित करने समेत 21 सूत्री कार्ययोजना पेश की है। इसमें प्रधानमंत्री ने Bimstec सदस्य देशों को और करीब लाने के उद्देश्य से अपने देश में गृहमंत्रियों की पहली बैठक समेत कई अन्य पहल का भी प्रस्ताव रखा है।
अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत का लक्ष्य बिम्सटेक (Bimstec) देशों के लिए कार्यबल प्रशिक्षण के लिए ग्राउंड स्टेशन स्थापित करना, नैनो सैटेलाइट्स बनाना और उन्हें लॉन्च करना तथा क्षेत्रीय विकास एवं रणनीति के लिए रिमोट सेंसिंग डेटा का उपयोग करना है। भारत ने इस क्षेत्र में कैंसर के इलाज एवं मरीजों की देखभाल के लिए एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम स्थापित करने की भी पेशकश की है।
बैंकॉक में छठे बिम्सटेक (Bimstec) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस कार्य योजना का उद्देश्य समूह के सदस्य देशों को और करीब लाना है। इस पहल में भारत में गृह मंत्रियों के तंत्र की पहली बैठक आयोजित करना भी शामिल है। मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘बिम्सटेक को मजबूत करना और आपसी सहयोग बढ़ाना बेहद जरूरी है। इस संदर्भ में मैंने विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए 21 सूत्रीय कार्ययोजना का प्रस्ताव रखा है।’
मोदी ने बेंगलूरु में नवनिर्मित बिम्सटेक एनर्जी सेंटर का भी जिक्र किया, जो ऊर्जा क्षेत्र में युवाओं को प्रशिक्षित करेगा। उन्होंने पूरे क्षेत्र में इलेक्ट्रिक ग्रिड इंटरकनेक्शन पर तेजी से काम करने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘इसके अतिरिक्त, मैं बिम्सटेक क्षेत्र में भुगतान प्रणालियों के साथ यूपीआई को जोड़ने का प्रस्ताव रखता हूं। इससे सभी स्तरों पर व्यापार, उद्योग और पर्यटन को लाभ होगा।’
बिम्सटेक (Bimstec) ने 1997 में अपने गठन के बाद से आर्थिक सहयोग या सीधे आपसी संपर्क में बहुत अधिक प्रगति नहीं की है। मौजूदा शिखर सम्मेलन में समूह में गतिशीलता लाने के तरीकों पर भी जोर दिया गया। सदस्य देशों के नेताओं ने क्षेत्र की सामूहिक समृद्धि के लिए रोड मैप वाले बैंकॉक विजन 2030 दस्तावेज को अपनाया।
मोदी ने हाल ही में म्यांमार और थाईलैंड को झकझोर देने वाले भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन में बेहतर क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने इसके लिए भारत में बिम्सटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना का ऐलान किया। उन्होंने यह भी बताया कि देश में इस साल के अंत में चौथे संयुक्त आपदा प्रबंधन अभ्यास कार्यक्रम का आयोजन होगा।
प्रधानमंत्री ने पारंपरिक चिकित्सा और कृषि जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संबंधी कई पहल शुरू करने का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए एक कार्यक्रम- बोधि (बिम्सटेक फॉर ऑर्गेनाइज्ड डेवलपमेंट ऑफ ह्यूमन रिसोर्स इन्फ्रास्ट्रक्चर) की घोषणा की, जिसके तहत सदस्य देशों के 300 पेशेवरों, छात्रों, शोधकर्ताओं एवं राजनयिकों को प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।
भारत इस साल बिम्सटेक (Bimstec) एथलेटिक्स मीट और 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर 2027 में होने वाले पहले बिम्सटेक गेम्स की मेजबानी करेगा। इसके अलावा यहां बिम्सटेक पारंपरिक संगीत उत्सव भी आयोजित किया जाएगा। सदस्य देशों के युवाओं को करीब लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने युवा नेता सम्मेलन, हैकथॉन और युवा पेशेवर मिलन कार्यक्रम की घोषणा भी की।
बिम्सटेक (Bimstec) में बंगाल की खाड़ी के आसपास के सात देश- भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं। इन राष्ट्रों ने बिम्सटेक नौवहन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत इन देशों के बीच जहाजों, चालक दल और कार्गो को प्रमाण पत्रों और दस्तावेजों को पारस्परिक मान्यता, संयुक्त शिपिंग समन्वय समिति और विवाद समाधान तंत्र जैसी सुविधाएं एवं सहायता प्रदान करता है।
सैन्य सरकार के प्रमुख से मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी ने बिम्सटेक (Bimstec) नेताओं की शिखर बैठक से इतर म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख से मुलाकात की और हाल में आए भूकंप से हुई जानमाल की हानि पर संवेदना व्यक्त की। मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान म्यांमार के वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग से मुलाकात की। हाल में आए भूकंप के कारण हुई जान-माल की हानि पर एक बार फिर संवेदना व्यक्त की। भारत इस कठिन समय में म्यांमार के अपने भाइयों और बहिनों की सहायता के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।’ फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद सत्ता में आए सीनियर जनरल मिन के साथ यह प्रधानमंत्री की पहली बातचीत थी।
वात फो मंदिर में पूजा अर्चना
Bimstec सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को बैंकाक के वात फो मंदिर गए, जो अपनी वास्तुकला और लेटे हुए बुद्ध की 46 मीटर लंबी विशाल प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा भी उनके साथ थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने लेटे हुए भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना की और मंदिर में वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं को ‘संघदान’ दिया। प्रधानमंत्री ने लेटे हुए बुद्ध के मंदिर को अशोक के सिंह स्तंभ की प्रतिकृति भी भेंट की तथा भारत और थाईलैंड के बीच मजबूत और जीवंत, सभ्यतागत संबंधों को याद किया।
बिम्सटेक (Bimstec): बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (The Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation : BIMSTEC) सात दक्षिण एशियाई और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो लगभग 2 बिलियन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, और इसका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 5.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (2023) है। बिम्सटेक (BIMSTEC) के सदस्य देशों में, बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड आदि बंगाल की खाड़ी पर निर्भर देशों में से हैं।
बिम्सटेक (Bimstec) सहयोग के चौदह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है और उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कई बिम्सटेक केंद्र स्थापित किए गए हैं। बिम्सटेक (Bimstec) देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर भी बातचीत चल रही है।
6 जून 1997 को बैंकॉक में BIST-EC (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) नाम से एक नया उप-क्षेत्रीय समूह बनाया गया था। उसके बाद 22 दिसंबर 1997 को बैंकॉक में एक विशेष मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान म्यांमार को शामिल किए जाने के बाद, समूह का नाम बदलकर ‘BIMST-EC’ या बिम्सटेक (Bimstec) (बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) कर दिया गया।
साल 1998 में नेपाल पर्यवेक्षक बन गया। फरवरी 2004 में नेपाल और भूटान पूर्ण सदस्य बन गए।
31 जुलाई 2004 को पहले शिखर सम्मेलन में समूह का नाम बदलकर BIMSTEC या बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल कर दिया गया।