सपा, कांग्रेस, टीएमसी, जेएमएम जैसे दलों ने पिछले चुनाव की तुलना में अधिक सीटों पर जीत हासिल की.
हालांकि इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा.
मायवती की पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली.
उत्तर प्रदेश की कम से कम 16 और मध्य प्रदेश की 2 सीटों पर बसपा ने विपक्षी गठबंधन का खेल बिगाड़ दिया.
उत्तर प्रदेश में 16 ऐसी सीटें हैं जहां हार और जीत के मार्जिन से अधिक वोट लाकर बसपा ने इंडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ दिया.
इन 16 में से 14 सीटों पर बीजेपी को और 2 सीटों बीजेपी के सहयोगी दलों को जीत मिली.
इसी तरह मध्यप्रदेश में भी मायावती की पार्टी ने कांग्रेस को 2 सीटों पर जमकर नुकसान पहुंचाया.
सतना और मुरैना में बसपा के उम्मीदवार को मिले वोट ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया.
यूपी में बसपा से इंडिया को भारी नुकसान
उत्तर प्रदेश में बसपा के कारण कांग्रेस को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. अकबरपुर, अलीगढ़, अमरोहा, बांसगांव, भदोही, बिजनौर, देवरिया, फर्रुखाबाद,फतेहपुर सिकरी, हरदोई, मेरठ, मिर्ज़ापुर, मिसरिख, फूलपुर, शाहजहांपुर, उन्नाव जैसी सीटों पर बसपा उम्मीदवारों ने इतना वोट लाया जिससे सपा और कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव हार गए.
कुछ सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को बहुत कम मतों से हार का सामना करना पड़ा है.
बांसगांव, फर्रुखाबाद और फूलपुर में जीत का अंतर बेहद कम देखने को मिला है.
इन सीटों पर 5 हजार से भी कम मतों से बीजेपी के उम्मीदवारों को जीत मिली है. वहीं इन सीटों पर बसपा के उम्मीदवार को 64,000, 45,000 और 82000 से अधिक वोट मिले हैं.
मध्यप्रदेश की 29 में 21 सीटों पर बीएसपी का उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा.
बसपा के उम्मीदवारों ने कांग्रेस पार्टी के मतों में कई जगहों पर सेंध लगा दी.
सतना में बीजेपी से बीएसपी में शामिल होने वाले मैहर के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी को 1,85,618 वोट मिले.
सतना लोकसभा सीट को बीजेपी के गणेश सिंह ने 5वीं बार जीता है.
यहां इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार सिद्धार्थ कुशवाहा को 3,74,779 वोट मिले यानी 84,949 मतों का अंतर.
कुल मिलाकर मैहर के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी सहित 19 उम्मीदवार मैदान में थे लेकिन कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान बसपा के नारायण त्रिपाठी से ही मिला जिन्होंने 1,85,618 मत हासिल किए.
इसी तरह मुरैना सीट पर बीएसपी उम्मीदवार रमेश गर्ग को 1,84,618 वोट मिले यहां बीजेपी उम्मीदवार शिवमंगल सिंह तोमर सिर्फ 52,530 वोट से जीते.
बहुजन समाज पार्टी के वोट प्रतिशत में बहुत बड़ी गिरावट इस चुनाव में देखने को मिली.
पिछले चुनाव में 38 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए बसपा ने 19.42 प्रतिशत वोट लाया था लेकिन 2024 के चुनाव में 79 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद भी बसपा का वोट शेयर 10 प्रतिशत से भी नीचे आ गया.
बसपा को इस चुनाव में महज 9.39 प्रतिशत वोट ही मिले हैं.
बसपा का आधार वोट तेजी से कम होता दिख रहा है.
इस चुनाव में प्रयोग के तौर पर मायावती ने कई मुस्लिम चेहरों को मैदान में उतारा लेकिन उन्हें अच्छी सफलता उन सीटों पर नहीं मिली.
मायावती ने इस चुनाव में 21 सीटों पर उत्तर प्रदेश में मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था हालांकि 2-3 सीटों को छोड़कर किसी भी सीट पर उनके उम्मीदवार का वोट प्रतिशत अच्छा नहीं रहा.
मुस्लिम मत नहीं मिलने से नाराज बसपा प्रमुख ने चुनाव बाद जारी अपने बयान में कहा कि उचित प्रतिनिधित्व देने के बावजूद मुस्लिम समाज बसपा को ठीक से नहीं समझ पा रहा है लिहाजा पार्टी भविष्य में होने वाले चुनावों में बहुत सोच समझ कर ही मुसलमानों को मौका देगी.
गौरतलब है कि इस साल लोकसभा चुनाव में बसपा ने सबसे ज्यादा 35 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए थे.
उत्तर प्रदेश में कभी अपने दम पर सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी इस चुनाव में आशंकाओं के अनुसार ही सबसे खराब हालत में पहुंच गयी.
कभी जिस सीट सीट नगीना से मायावती ने भी चुनाव लड़ा था उस सीट पर इस चुनाव में बसपा अपना जमानत भी नहीं बचा पायी.
नगीना सीट पर बसपा के उम्मीदवार चौथे नंबर पर पहुंच गए. इस सीट से चंद्रशेखर आजाद चुनाव जीतने में सफल रहे.
18 वीं लोकसभा चुनाव के लिए हुए चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली एनडीए को 293 सीटों पर जीत मिली है.
बीजेपी स्वयं बहुमत से 32 सीटें दूर है. ऐसे में एक-एक सीट दोनों गठबंधनों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
राजनीति के जानकारों का मानना रहा है कि अगर बसपा ने इंडिया गठबंधन का साथ दिया होता तो लोकसभा की समीकरण कुछ और हो सकते थे.
अगर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की 18 सीटों पर बसपा का साथ इंडिया गठबंधन को मिल गया होता तो एनडीए के आंकड़े 273 के करीब आ जाते और ऐसे हालत में विपक्ष के लिए बीजेपी को मुश्किल में लाना आसान हो सकता था.
अगर इंडिया गठबंधन को 18 सीटों का नुकसान नहीं हुआ होता तो एनडीए मुश्किल से 272 सीटों को पार करता दिखता.
ऐसे हालत में एक भी सहयोगी के छिटकने से बीजेपी की सरकार बनने में दिक्कत हो सकती थी.
अभी के हालात में सिर्फ जदयू या टीडीपी के हटने से भी सरकार की सेहत पर विशेष फर्क पड़ता नहीं दिखता है.