कार्तिक आर्यन की शानदार एक्टिंग से भरपूर फिल्म “चंदू चैंपियन” आपका दिल जीत लेगी और मन को जिंदगी के गहरे जज्बातों से भर देगी, यह मशहूर शख्सियत मुरलीकांत पेटकर की जिंदगी की कहानी है.
फिल्म नाडियाडवाला ग्रांडसन ने प्रोड्यूस की है यह फिल्म आपको 1970 के दौर में ले जाती है, जब मुरलीकांत पेटकर तमाम रुकावटों के बावजूद ओलंपिक चैंपियन बने थे.
फिल्म में दिखाया गया है कि मुरलीकांत पेटकर बचपन में ओलंपिक मेडल जीतने का सपना देखते हैं वह मशहूर पहलवान दारा सिंह से प्रेरित हैं और बचपन से कुश्ती करने लगते हैं.
अखाड़े में दूसरे पहलवानों को देख-देखकर कुश्ती के दांव-पेंच सीख जाते हैं, और बिना किसी औपचारिक ट्रेनिंग के जब स्थानीय प्रतियोगिता में विरोधी को हरा देते हैं, तो लोग हैरान रह जाते हैं.
फिल्म के पहले हाफ में उनके एक युवा से पेशेवर खिलाड़ी बनने की यात्रा दिखाई गई है, जो आगे चलकर भारतीय सेना में सिपाही बन जाते हैं.
फिल्म देखकर कुछ दर्शक ‘भाग मिल्खा भाग’ से इसकी तुलना कर सकते हैं क्योंकि, दोनों ही फिल्मों में नायक मिलिटरी ट्रेनिंग कैंप में कड़ा प्रशिक्षण करते हुए नजर आए हैं.
फिल्म के पहले आफ में आप कार्तिक आर्यन को अपने साथियों के साथ मस्ती, खाना-पीना और भरपूर ट्रेनिंग करते हुए देखेंगे और ट्रेनिंग सेंटर में पहलवान से बॉक्सर बनकर उभरते हैं.
मुरली के किरदार में कार्तिक का ट्रांसफॉर्मेशन आपको सिल्वेस्टर स्टैलोन की ‘रॉकी’ की याद दिला सकता है.
फिल्म का दूसरा हाफ आपको जज्बातों और इमोशन्स की रोलरकोस्टर राइड पर ले जाता है.
मुरली साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में 9 गोलियां लगने की वजह से लकवे का शिकार हो जाते हैं, जिसके बाद वे जिस तरह की शारीरिक और मानसिक पीड़ा से गुजरते हैं, उसे देखकर दर्शक भी इमोशनल हो जाते हैं.
दूसरे हाफ में मुरली के एक सामान्य आदमी से पैरालिंपक गोल्ड मैडलिस्ट बनने की कहानी, दर्शकों को खास जज्बत्ती अनुभव कराती है.
इस फिल्म में कार्तिक आर्यन ने अपने करियर की बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है.
विजय राज, राजपाल यादव और भुवन अरोड़ा ने भी अपने-अपने रोल के साथ न्याय करते नज़र आये है.
कबीर खान के डायरेक्शन और शानदार कहानी के दम पर ‘चंदू चैंपियन’ दर्शकों के लिए एक यादगार फिल्म बन गई है.