भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पर आपत्ति जाताने वाले चीन ने अब भूटान (CHINA BHUTAN DISPUTE) के साथ भी आपत्ति करना शुरू कर दिया है. खबरों के मुताबित डोकलाम के करीब अमो-छू नदी के किनारे रॉयल भूटान आर्मी (RBA) के सैनिकों को अपने इलाके में ही पैट्रोलिंग करने से रोक दिया.
भूटान-चीन सीमा विवाद (CHINA BHUTAN DISPUTE) में मुख्य रूप से उत्तर और पश्चिम में अनिर्धारित क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें चीन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डोकलाम पठार सहित भूटान के लगभग 581 वर्ग मील क्षेत्र पर अपना दावा करता है।
सूत्रों के मुताबिक विवाद (CHINA BHUTAN DISPUTE) को सुलझाने के लिए फरवरी के आखिरी हफ्तें में फ्लैग मीटिंग तक आयोजित की गई थी. इसमें चीनी पीएलए ने भूटान की सेना के पेट्रोलिंग पर आपत्ति जताई. खास बात तो यह है कि रॉयल भूटान आर्मी पश्चिमी भूटान की अमो छू के पूर्वी किनारे पर क्रांसिंग के इलाके को चेक करने पहुंचे थे. रिपोर्ट के मुताबिक चीन की चुंबी वैली से निकलने वाली तोरसा नदी ही भूटान में अमो-छू नदी के नाम से जारी जाती है. डोकलाम पहुंचकर तोरसा नदी दो हिस्सों में बंट जाती है. एक तोरसा नाले के तौर पर डोकलाम से दक्षिण की तरफ जामफेरी रिज चला जाता है. दूसरा पूर्व में भूटान में अमो-छू के तौर पर बंट जाती है.
तिब्बती नहीं चीनी कहो
तिब्बत को ठंडे मरुस्थल में सदियों से जनजातीय लोग रहते हैं. जिनकी आजीविका का सबसे बड़ा साधन है पशुओं का मांस, दूध और ऊन. इन्हीं के जरिए लंबे समय से वह अपना जीवन यापन करते है. भारत के साथ लगती तिब्बत की सीमा में भी ऐसा ही हाल है. चीन इन्हीं चरवाहों की मदद से लद्दाख में भी विवाद खड़ा करता आया है. चीन की जमीन हड़पने का एक तरीका है. भारत के साथ लद्दाख में ऐसी हरकत करे बाद अब भूटान (CHINA BHUTAN DISPUTE) के साथ भी यही कर रहा है. खुफिया रिपोर्ट की माने तो तिब्बत भूटान की सीमा पर चीनी चरवाहों को भूटान आर्मी ने तिब्बत के चरवाहों को सीमा के पास के चरागाहों में जाने से रोका था. इस बात से नाराज चीनी जिला प्रशासन ने रॉयल भूटान आर्मी के समाने इस बात को उठाया. मार्च के पहले हफ्ते में हुई एक बैठक में चीन ने भूटान आर्मी को चरवोहों को ना रोकने के की बात कही. सूत्रों के मुताबिक चीनी पक्ष ने तो यह तक कहा कि चरवाहों को तिब्बती चरवाहें नहीं बल्कि चीनी चरवाहें कह कर संबोधित करें.
भूटान की चीन के साथ लैंड स्वीपिंग
चीन ने 2017 में डोकलाम में भारत के हाथों करारी हार चखने के बाद अब फिर से उसने उन इलाको में काम को तेज किया है जहां तक उसे सीमित किया गया था. तोरसा नाले के आगे चीन को सडक बनाने से रोका गया था. लेकिन चीन ने डोकलाम में भी अपनी तैयारियों को बढ़ाया है. तोरसा नाला के अब उस इलाके मैं भी चीन अपने डिफेंस को पक्का कर रहा है. चीन और भूटान के बीच तकरीबन 477 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर 80 के दशक से विवाद (CHINA BHUTAN DISPUTE) चल रहा है. जिन दो इलाकों को लेकर सबसे ज्यादा विवाद है, उनमें एक है 269 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का डोकलाम इलाका. दूसरा इलाका भूटान के उत्तर में 495 वर्ग किलोमीटर का जकारलुंग और पासमलुंग घाटी का है. अक्टूबर 2021 में चीन और भूटान ने ‘थ्री-स्टेप रोडमैप’ के समझौते पर दस्तखत किए थे. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 8 साल के अंदर ही भूटान की जमीन पर 20 से ज्यादा गांव बसा चुका है. इसमें डोकलाम में ही 8 गांव बसाए हैं.
सिलिगुड़ी कॉरिडोर के करीब पहुंचने की मंशा
चीन डोकलाम में अपनी गतिविधियों को बढ़ाते हुए जामफेरी रिज तक पहुंचने की तैयारी हैं. जिस तोरसा नाले पर पुल बनाने का काम साल 2017 में विवाद के बाद बंद हो गया था. रिपोर्टस की मानें तो चीन ने उस नाले पर पुल का निर्माण कर लिया है. जामफेरी रिज इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ने वाले 21 किलोमीटर की वो जमीन जिसे सिलीगुड़ी कॉरेडोर या चिकन नेक भी कहा जाता है. चीन उसके बेहद करीब पहुंच जाएगा और ये भारत के लिए चिंता की बात है. हांल्कि डोक्लाम भूटान का हिस्सा है और ये भारत सिक्किम-भूटान और तिब्बत का ट्राई जंक्शन है. अगर चीनी सैनिक जामफेरी रिज तक पहुंच जाते हैं तो वह सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर आसानी से नजर रख सकता है
भारत और चीन के बीच सीमा पर पेट्रोलिंग को पिछले कई वर्षों, चीन की तरफ से विवाद चल रहा है साल 2020 में शुरू हुआ विवाद अभी भी बना हुआ है. भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पर आपत्ति जाताने वाले चीन ने यह हरकत अब भूटान (CHINA BHUTAN DISPUTE) के साथ भी शुरू कर दी है. इस तरह की चीन की विस्तारवाद की हरकत क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए चिंता जकन बिषय है।