23.2 C
Hyderabad
Sunday, December 22, 2024

Top 5 This Week

Related Posts

Damascus: सीरियाई राजधानी दमिश्क के उतार-चढ़ाव के इतिहास की कहानी

 

Syria, Damascus: सीरिया की राजधानी दमिश्क में 8 दिसम्बर 2024 को विद्रोही गुटों ने, तत्कालीन राष्ट्रपती का तख्तापलट कर सीरिया पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। और यह सीरिया (Syria) की राजधानी दमिश्क के सदियों पुराने और लंबे इतिहास का एक नया अध्याय है.

दमिश्क एक बेहद पुराना शहर है, लेकिन वह निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि पहली बार इस जगह पर कोई औपचारिक सभ्यता कब अस्तित्व में आई.

साल 1950 के दौरान होने वाली खुदाई में मिलने वाले अवशेषों से अंदाज़ा लगाया गया कि चार हज़ार साल ईसा पूर्व में दमिश्क के उत्तर पूर्व में स्थित इलाके ‘तेल अल शीह’ में लोग आबाद थे.

प्राचीन शहर के इलाक़े इबला (आज का तेल मरदीख़) से तीन हज़ार साल ईसा पूर्व के मिट्टी के बर्तन और स्लेटें मिली हैं जिस पर ‘दमिश्क’ लिखा था.

मिस्र में ‘तेल अम्मारना’ इलाक़े से खुदाई में मिली मिट्टी की स्लेट से इस शहर के बारे में शुरुआती जानकारी मिली. 1490 साल ईसा पूर्व में इस इलाक़े पर ‘तहतमस सोम’ नाम के फ़िरऔन (फ़राओ) का कब्ज़ा था.

एक हज़ार साल ईसा पूर्व के दौरान दमिश्क, आरामीनी इलाके की राजधानी बनी और इसका उल्लेख बाइबल और अशूरया के रिकॉर्ड में भी मिलता है.

दमिश्क में स्थित मस्जिद-ए-उमवी की खुदाई के दौरान मिलने वाले पत्थर के एक स्लैब पर मिथकीय चरित्र ‘अबुल हौल’ का उल्लेख था.

‘आरामियों’ ने यहां नहरों की एक व्यवस्था बनाई थी. उन्होंने शहर के कई इलाकों को नाम और आरामी भाषा दी जो इस्लाम के आगमन तक मौजूद रही.

ईसाई दौर से पहले की सदियों के दौरान दूसरी राजधानियों की तरह दमिश्क पर भी विदेशी हमलावरों ने कब्ज़ा किया जिनमें आशूरी व बेबिलोनियाई (इराक़ से संबंधित) के अलावा फ़ारस, यूनान और रोम के हमलावर शामिल थे.

333 साल ईसा पूर्व में सिकंदर के हमले के बाद दमिश्क रोमन साम्राज्य का हिस्सा बना.

शहर के उत्तर पश्चिम में बनू उमैया की आलीशान मस्जिद के पास आज भी रोमन महल के अवशेष मौजूद हैं.

यहां एक चर्च मौजूद है जहां के बारे में कहा जाता है कि ईसा मसीह के साथी ‘पॉल’ ने दमिश्क में ही ईसाई धर्म स्वीकार किया था.

सीरिया के बाकी हिस्से की तरह दमिश्क भी चौथी सदी ईस्वी में ईसाई शहर बन चुका था.

सन 395 में रोमन साम्राज्य टूटने के साथ बाइज़ेनटाइन साम्राज्य के लिए महत्वपूर्ण किला बन चुका था.

राजनीतिक, वैचारिक और धार्मिक मतभेदों के कारण क़ुस्तुनतुनिया (कांस्टेंटिनोपल आधुनिक तुर्की का एक प्राचीन शहर था जिसे अब इस्तांबुल के नाम से जाना जाता है) का विभाजन और छठी सदी में फ़ारस-यूनान युद्ध हुआ जो अक्सर सीरिया की धरती पर लड़ा गया.

इस युद्ध से देश की आर्थिक स्थिति बर्बाद हो गई और इसके बाद दमिश्क ने सन 635 में मुस्लिम फ़ौजों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए.

एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के अनुसार अरब मुसलमान अपने साथ एक नया धर्म, पवित्र किताब क़ुरान, नई विचारधारा और क़ानूनी व्यवस्था लाए थे, लेकिन उन्होंने दमिश्क की क्षेत्रीय रूपरेखा को बदलने की बहुत कम कोशिश की.

सन 661 में उमवी (उमय्यद) वंश के संस्थापक मुआविया बिन अबू सूफ़ियान ने सीरिया की राजधानी में पहला दरबार बनाया. इसके बाद लगभग एक सदी तक यह शहर फैलती हुई उस सल्तनत की राजधानी रहा जो आज के दौर में स्पेन से चीन की सीमा तक मौजूद है.

क्षेत्रफल के हिसाब से यह इस्लामी इतिहास की सबसे बड़ी सल्तनत थी.

उस दौर में दमिश्क की मस्जिद-ए-उमवी को उमवी ख़लीफ़ा वलीद ने सन 706 से 715 के दौरान बनवाया था.

इतिहास में मस्जिद को कई बार नुक़सान पहुंचा, इसमें आग भी लगाई गई और कई बार इसका पुनर्निर्माण भी हुआ.

इस मस्जिद को आज भी इस्लामी स्थापत्य कला का अजूबा माना जाता है.

सन 750 में उमवी ख़िलाफ़त के पतन के बाद अब्बासी ख़लीफ़ा ने बग़दाद को अपनी राजधानी बनाया.

इस तरह इस्लामी सल्तनत में दमिश्क का रूतबा एक क्षेत्रीय शहर तक सीमित हो गया. यहां से होने वाले कई विद्रोहों के कारण नए शासकों (अब्बासी ख़लीफ़ा) ने इसका दमन किया.

अब्बासी ख़लीफ़ा के शासन में उमवी दौर की निशानियां समझी जाने वाली इमारतों में लूटपाट और शहर की रक्षा दीवारों को गिराना शुरू कर दिया गया.

वक़्त के साथ जैसे ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार के रास्ते बदले, दमिश्क ने अपना वह आर्थिक स्थान खो दिया जो पहले उसे मिला हुआ था. यहां की स्थिति तब भी नहीं बदली जब नौवीं सदी के दौरान बग़दाद से राजधानी क़ाहिरा ले जाई गई. ग्यारहवीं सदी के दौरान दमिश्क फ़ातमी सल्तनत का हिस्सा बना.

ग्यारहवीं सदी के अंत में ‘क्रूसेड’ की जंगों ने एक बार फिर इस शहर को ख़तरे में डाला.

इस दौर में शहर के दरो-दीवार दोबारा बनाए गए और शहर के उत्तर पश्चिम किनारे पर महल बनाया गया.

बारहवीं सदी तक शहर छोटी-छोटी बिरादरियों में बंट चुका था जहां हर इलाक़े ने अपनी सुविधाओं के लिए व्यवस्था की.

उन्होंने अपनी मस्जिदें, हम्माम और तंदूर बनवाए, पानी की व्यवस्था की और बाज़ार बना लिए. इसके बावजूद मस्जिद-ए-उमवी और केंद्रीय बाज़ार शहर में एकता के प्रतीक के तौर पर बरक़रार रहे.

एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के अनुसार, तुर्क शहज़ादे नूरुद्दीन ज़ंगी के आगमन के साथ दमिश्क के नए दौर की शुरुआत हुई. उन्होंने सन 1154 में शहर पर कब्ज़ा किया और उसे अपनी ताक़तवर सल्तनत की राजधानी बनाया. क्रूसेड की जंगों के दौरान यह उनका फ़ौजी अड्डा भी था.

शहर में नवनिर्माण हुआ और उसकी रक्षा क्षमता को दोबारा सुदृढ़ किया गया. कई नई इमारतें बनाई गईं और एक नई स्थापत्य कला का इस्तेमाल किया गया. दूसरे क्षेत्रों से घर छोड़कर आने वाले लोगों ने यहां आकर शरण ली.

सैनिक और आर्थिक नुक़सानों के बावजूद सलाहउद्दीन और अय्यूबी उत्तराधिकारियों के नियंत्रण में आने के बाद इस शहर ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की. उन्होंने यहां साल 1260 तक शासन किया.

दमिश्क को शिक्षा और धर्म का केंद्र बनाया गया जहां शहजादे धार्मिक शिक्षा लेने आते थे. अय्यूबी सल्तनत मस्जिद-ए-उमवी और जबल-ए-क़ासिउन के आसपास स्थापित थी जहां कुर्द नस्ल के लोग सेना में सेवाएं देने लगे.

साल 1260 में दमिश्क और सीरिया के दूसरे कई इलाको पर मंगोलों ने हमला किया जिससे उसकी आर्थिक स्थिति बेहद ख़राब हो गई. जब ममलूक (अय्यूबी सल्तनत से जुड़े) सुल्तानों ने मिस्र पर कब्ज़ा जमाया तो उन्होंने मंगोलों को भी हरा दिया जिससे शहर की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई.

चौदहवीं सदी के दौरान दमिश्क शहर दक्षिण में हवारन रोड, फलस्तीन और मिस्र की तरफ फैला.

डेढ़ सौ साल तक दमिश्क मुसलमानों और ईसाइयों के बीच युद्ध का केंद्र रहा. चार मशहूर मुस्लिम शासकों ज़ंगी, सलाहउद्दीन, अल आदिल (सलाहउद्दीन के भाई) और ममलूक सुल्तान बेबर्स मस्जिद के पास दफ़न हैं और उनके मक़बरे शहर के पुराने स्थानों में से हैं

ममलूक दौर के बीच में दमिश्क ने दो बार तबाही देखी. पहले सन 1348 से 1349 तक यहां महामारी फैली जिसमें शहर की आधी आबादी की मौत हो गई. फिर सन 1401 में अमीर तैमूर की सीरिया जीत के दौरान शहर में क़त्लेआम और लूटमार दूसरी बड़ी तबाही थी.

इन तबाहियों ने शहर की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया और इस पर बहुत बुरा असर डाला.

15वीं सदी के दौरान इमारतें बनाने का काम बढ़ा, मगर इस विस्तार का कारण गरीब देहाती इलाकों से लोगों का पलायन था. उस्मानी दौर की दस्तावेज़ों के अनुसार शहर में कई खंडहर थे जो शहर के दिवालिया होने का सबूत थे.

उस्मानिया ख़िलाफ़त के दौरान दमिश्क ने अपना राजनीतिक स्थान खो दिया, लेकिन इसका व्यापारिक महत्व बना रहा.

मध्य पूर्व और बलक़ान (Balkans) के विलय से आंतरिक व्यापार तो बढ़ा, लेकिन इसमें यूरोपीय वर्चस्व से सीरिया के शहरों की भूमिका व्यापारिक डिपो तक सीमित रह गई.

उस्मानी दौर में दमिश्क में हज सीजन के दौरान आर्थिक गतिविधियां बढ़ जाती थीं. उस्मानी दौर के सुल्तानों, जो ख़ुद को मक्का और मदीना का संरक्षक कहते थे, उनकी कोशिश थी कि हज की व्यवस्था को मज़बूत किया जाए. अनातोलिया (एशिया माइनर) से मक्का के रास्ते में दमिश्क शहरी केंद्र था जो उत्तर और पूर्व से आने वाले हज यात्रियों की मुलाक़ात की जगह भी बना. इसलिए हज सीज़न के दौरान तीर्थयात्रियों के रहने से शहर में आर्थिक गतिविधियां बढ़ीं. इस तरह निर्माण कार्य और विकास भी उन्हीं रास्तों पर हुआ जो मक्का की ओर जाते थे.

निर्माण कार्यों का उत्कर्ष अल अज़्म परिवार के दो लोगों- सुलेमान पाशा और असद पाशा के ज़रिए उमवी मस्जिद के दक्षिण में दो बड़े स्थानों के निर्माण से पूरा हुआ. उन्होंने अठाहरवीं सदी में राजनीतिक परिदृश्य पर वर्चस्व प्राप्त किया था.

उन्नीसवीं सदी में एक नए दौर की शुरुआत हुई. मिस्र के शासक मोहम्मद अली पाशा ने 1832 से 1840 तक सीरिया का नियंत्रण संभाला और आधुनिकीकरण की प्रक्रिया ने यूरोपीय जीवन शैली को बढ़ावा दिया.

यूरोपीय शक्तियों की मदद से उस्मानियों की वापसी के बाद स्थानीय अर्थव्यवस्था पर यूरोपीय वर्चस्व बढ़ा, लेकिन आधुनिकीकरण का काम धीमा पड़ गया.

सन् 1860 में हिंसक धार्मिक जुनून ने क्षेत्र में, विशेष तौर पर मौजूदा लेबनान के इलाके में सीधे यूरोपीय हस्तक्षेप का रास्ता बना दिया.

महान उस्मानी सुधारक मिदहत पाशा सन 1878 में गवर्नर बने. उन्होंने शहर की स्थिति को बेहतर करने, गलियों को चौड़ी करने और जल निकासी को बेहतर बनाने पर काम किया.

बीसवीं सदी की शुरुआत में जर्मन इंजीनियरों ने दमिश्क-मदीना रेलवे बनाई जिसने हज पर जाने वालों के सफ़र के समय को कम कर केवल पांच दिनों का कर दिया.

पहले विश्व युद्ध के दौरान दमिश्क उस्मानी और जर्मन सैनिकों का संयुक्त हेडक्वार्टर था. इससे पहले और युद्ध के दौरान दमिश्क में अरब राष्ट्रवाद ने ज़ोर पकड़ा और दमिश्क उस्मानी सल्तनत विरोधी आंदोलन का एक केंद्र बन गया.

मक्का के शासक फ़ैसल ने अरब बग़ावत के समर्थन के लिए यहां का ख़ुफ़िया दौरा किया. फ़ैसल के पिता ने यह आंदोलन साल 1916 में शुरू किया था.

जवाबी कार्रवाई में उस्मानी कमांडर इन चीफ़ जमाल पाशा ने 6 मई 1916 को 21 अरब राष्ट्रवादियों को फांसी पर लटका दिया और आज भी यह दिन ‘शहीद दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है.

उस्मानियों को ब्रितानी और अरबों के संयुक्त हमले में हार मिली और सितंबर 1918 में शहर को ख़ाली कर दिया गया. 1919 में एक आज़ाद सीरिया की घोषणा की गई जिसकी राजधानी दमिश्क थी और फ़ैसल को 1920 की शुरुआत में बादशाह घोषित किया गया.

फ़ैसल की बादशाहत बहुत देर तक नहीं चल सकी क्योंकि पहले विश्व युद्ध के दौरान यूरोपीय शक्तियों ने उस्मानिया सल्तनत के सूबों को आपस में बांटने के लिए ख़ुफ़िया योजना बनाई थी.

इसके बाद सीरिया पर फ्रांस का कब्ज़ा हुआ और दमिश्क मेसालोन की जंग के बाद 25 जुलाई 1920 को जनरल हेनरी गौरॉड की सेना के हाथ लग गया. दमिश्क ने फ्रांसीसी कब्ज़े का प्रतिरोध किया और सन 1925 में शहर पर फ्रांसीसी बमबारी के बावजूद 1927 की शुरुआत तक प्रतिरोध जारी रहा.

इसके बाद एक नई शहरी योजना बनाई गई. पुराने शहर के इर्द-गिर्द एक आधुनिक आवासीय इलाका बनाया गया. गोता के इलाके को अलग कर दिया गया जहां सीरियाई विद्रोही नियमित रूप से शरण लेते थे.

इस आधुनिक शहर में यूरोप की सामाजिक, सांस्कृतिक और स्थापत्य शैली ने परंपरागत जीवन शैली को चुनौती पेश की और अंततः पारंपरिक जीवन कमजोर पड़ गया.

सीरिया में फ्रांसीसी कब्ज़े के दौर में गंभीर राजनीतिक गतिविधियां देखने को मिलीं जिनमें लिबरलिज़्म, कम्युनिज़्म और अरब राष्ट्रवाद शामिल था.

दमिश्क के नागरिकों ने अपने देशवासियों के साथ मिलकर अपने देश की आज़ादी और एकमात्र अरब देश के व्यापक लक्ष्य के लिए जद्दोजहद की. इस मक़सद के लिए बनी बाथ पार्टी की बुनियाद दूसरे विश्व युद्ध के दौरान दमिशक में रखी गई.

अप्रैल 1946 में फ्रांसीसी सैनिक अंततः देश से निकल गए और दमिश्क एक बार फिर आज़ाद सीरिया की राजधानी बन गया.

कमज़ोर लोकतंत्र

कमज़ोर सीरियाई लोकतंत्र क्षेत्र के बड़े राजनीतिक हंगामे को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं था. ख़ास तौर पर 1948 में फ़लस्तीन के विभाजन और अरब-इसराइल युद्ध को जो तुरंत शुरू हो गया था.

सन 1949 से 1970 तक कई विद्रोह हुए जिसके बाद कई नेता सत्ता में आए. मिस्र और सीरिया के अल्पकालिक के विलय के बाद बने ‘संयुक्त लोकतांत्रिक अरब’ (1958-1961) के दौरान दमिश्क की बजाय क़ाहिरा राजधानी बना रहा.

साल 1963 में बाथ पार्टी विद्रोह से सत्ता में आई और समाजवादी सुधारों का प्रयोग शुरू हुआ. सन 1970 में उस समय के रक्षा मंत्री हाफ़िज़ अल-असद के नेतृत्व में एक आंतरिक विद्रोह हुआ जिसके बाद वह 30 साल तक देश के प्रमुख बने रहे. सन 2000 में उनकी मौत के बाद उनके बेटे बशर अल असद उनके उत्तराधिकारी बने.

बशर अल-असद एक आधुनिक और सुधारवादी राष्ट्रपति के तौर पर उभरे. इसके बावजूद जो उम्मीदें उनसे बांधी गई थीं वह बड़ी हद तक अधूरी रह गईं.

इस बीच, दमिश्क राजनीतिक शक्तियों, आर्थिक हितों और राजधानी में बेहतर जीवन चाहने वाले सीरिया के ग्रामीण लोगों के लिए एक चुंबक का काम करता रहा.

सुरक्षित शरणस्थली

मार्च 2011 में राष्ट्रपति बशर अल-असद के नेतृत्व में सीरिया की सरकार को एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना करना पड़ा जब देश भर में लोकतंत्र के पक्ष में जमकर प्रदर्शन हुए.

सीरिया की सरकार ने प्रदर्शन को दबाने के लिए हिंसक क्रैकडाउन के साथ-साथ पुलिस, सेना और अर्द्धसैनिक बलों का भरपूर इस्तेमाल किया.

साल 2011 में विपक्षी दलों की मिलिशिया बननी शुरू हुई और 2012 तक यह मामला गृह युद्ध के मुहाने तक पहुंच गया.

साल 2011 की गर्मियों तक सीरिया के पड़ोसी देश और अंतरराष्ट्रीय शक्तियां असद के समर्थक और विरोधी गुटों में बट गईं.

अमेरिका और यूरोपीय यूनियन बशर अल-असद की आलोचना करते रहे, क्योंकि वह प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ क्रैकडाउन कर रहे थे. अगस्त 2011 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और कई यूरोपीय शासकों ने असद से सत्ता छोड़ने की मांग की.

लेकिन सीरिया के पुराने सहयोगी ईरान और रूस ने अपना समर्थन जारी रखा. अक्टूबर 2011 में रूस और चीन ने असद के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को वीटो कर दिया था.

गृह युद्ध के दौर में दमिश्क एक दशक से अधिक समय तक सुरक्षित शरणस्थली बना रहा लेकिन सीरिया के विद्रोहियों ने 8 दिसंबर 2024 को बशर अल असद का तख़्ता पलट दिया.

शायद एक बार फिर पुराना खुशहाल दमिश्क आबाद हो जाए.

 

Popular Articles