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Saturday, July 5, 2025

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George Soros द्वारा भारतीय लोकतंत्र को चुनौती देने की कोशिश, कांग्रेस से संबंधों पर बीजेपी का निशाना

 

George Soros द्वारा भारतीय लोकतंत्र को चुनौती देने की कोशिश और उनके  कांग्रेस से संबंधों पर बीजेपी का निशाना

सोमवार को बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर George Soros की  ‘फोरम फॉर डेमोक्रेटिक लीडर्स ऑफ़ एशिया पैसिफ़िक’ से कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी से संबंध होने के आरोप लगाए हैं.

बीजेपी का आरोप है कि इस फोरम में भारत विरोधी और पाकिस्तान के समर्थन की बातें हो रही हैं.

बीजेपी ने आरोप लगाया है कि इस फोरम की फंडिंग  ‘जॉर्ज सोरस’ (George Soros is American billionaire and founder of Soros Fund Management LLC) के फ़ाउंडेशन से हो रही है.

बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी इससे पहले राज्यसभा में भी आरोप लगा चुके हैं कि ओसीसीआरपी OCCRP Report (ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट), जो कि एक फ़्रेंच पब्लिकेशन (French publication) है, उसने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि George Soros के इस प्रोजेक्ट को विदेशी फंडिंग है और इसका फ़ोकस भारत पर भी है.

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “इस रिपोर्ट को विदेशी फंडिंग के अलावा इसके संबंध जॉर्स सोरोस (George Soros) से भी हैं.”

उन्होंने सवाल किया कि बीते तीन साल से क्या ये एक संयोग रहा है कि जब भी भारत में संसद का सत्र चलता है तभी पेगासस रिपोर्ट (Pegasus Report), किसान आंदोलन, मणिपुर हिंसा और हिंडनबर्ग (Hindenburg) जैसी घटनाएं होती हैं.

सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया कि इसी सिलसिले में कोविड वैक्सिन पर भी रिपोर्ट छपती है और मौजूदा सत्र से पहले अमेरिकन अटॉर्नी (American Attorney) की एक रिपोर्ट भारत के बिज़नेस हाउस से बारे में आती है.

सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में सवाल खड़े किए कि यह सब जानबूझकर हो रहा है या अनजाने में.

इससे पहले, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोरोस फ़ाउंडेशन (George Soros) में काम करने वाले लोगों के बीच संबंधों का आरोप लगाया था.

निशिकांत दुबे ने गुरुवार को इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था और संसद के बाहर भी इस मुद्दे पर मीडिया में बयान दिया था.

हालांकि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने निशिकांत दुबे के आरोप को संसदीय विशेषाधिकार के ख़िलाफ़ बताया है. शशि थरूर ने आरोप लगाया है कि संसद के नियमों के ख़िलाफ़ राहुल गांधी को बिना नोटिस दिए निशिकांत दुबे को बोलने की अनुमति दी गई.

वहीं बीजेपी सांसद किरेन रिजिजू का कहना है कि कुछ मुद्दों पर राजनीतिक चश्मे से बाहर आकर देखना चाहिए और सभी को मिलकर देश विरोधी ताक़तों से लड़ना चाहिए.

रिजिजू ने आरोप लगाया है, जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन George Soros Foundation ) के साथ कई ऐसी ताक़ते हैं जो भारत के ख़िलाफ़ काम करती हैं. ”

पिछले साल की शुरुआत में जर्मनी के म्यूनिख़ में रक्षा सम्मेलन में जॉर्ज सोरोस (George Soros) ने कहा था ‘भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं’

George Soros के इस बयान के फौरन बाद तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा कि जॉर्ज सोरोस का बयान भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बर्बाद करने की कोशिस है.

George Soros के बयान पर उस वक़्त भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि सोरोस की टिप्पणी ठेठ ‘यूरो अटलांटिक नज़रिये’ (Euro-Atlantic perspective) वाली है.

जयशंकर ने कहा था, “George Soros एक बूढ़े, रईस, हठधर्मी व्यक्ति हैं जो न्यूयॉर्क में बैठकर सोचते हैं कि उनके विचारों से पूरी दुनिया की गति तय होनी चाहिए.”

इससे पहले, जनवरी 2020 में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम (world economic forum) की बैठक के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए George Soros ने कहा था कि भारत को हिंदू राष्ट्रवादी देश बनाया जा रहा है.

कौन हैं जॉर्ज सोरोस?

George Soros (जॉर्ज सोरोस) एक अमेरिकी अरबपति उद्योगपति हैं. ब्रिटेन में उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की तरह जाना जाता है जिसने साल 1992 में शॉर्ट सेलिंग से बैंक ऑफ़ इंग्लैंड (Bank of England) को बर्बादी की हद तक हिला दिया था.

George Soros का जन्म हंगरी में एक यहूदी परिवार में हुआ था. हिटलर के नाज़ी जर्मनी में जब यहूदियों को मारा जा रहा था तो वो किसी तरह सुरक्षित बच गए.

बाद में George Soros कम्युनिस्ट देश से निकलकर पश्चिमी देश आ गए थे. शेयर मार्केट में पैसा लगाने वाले सोरोस ने शेयर बाज़ार से क़रीब 44 अरब डॉलर कमाए.

उन्होंने साल 2003 के इराक़ युद्ध की आलोचना की थी और अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी को लाखों डॉलर दान में दिए थे. इसके बाद से उनपर अमेरिकी दक्षिणपंथियों के हमले और तेज़ होने लगे.

साल 2019 में ट्रंप ने एक वीडियो को रिट्वीट करते हुए दावा किया था कि होन्डुरास से हज़ारों शरणार्थियों को अमेरिकी सीमा पार करके दाख़िल होने के लिए George Soros ने पैसे दिए थे.

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या इसके पीछे George Soros हैं तो ट्रंप का जवाब था बहुत से लोग ऐसा ही कहते हैं और अगर ऐसा है तो वो भी इससे हैरान नहीं होंगे.

बाद में पता चला कि सोरोस ने किसी को कोई पैसे नहीं दिए थे और ट्रंप ने जो वीडियो शेयर किया था वो भी फ़ेक था.

George Soros के ख़िलाफ़ रहे हैं कई देश

अक्टूबर 2018 में एक अमेरिकी श्वेत श्रेष्ठतावादी (वाइट सुपरेमिस्ट) ने सिनागॉग में गोलीबारी कर 11 यहूदियों को मार दिया था.

गोलीबारी करने वाले रॉबर्ट बोवर्स की सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल से कई बातें पता चलीं. वो मानते थे कि उनकी जैसी विचारधारा रखने वाले श्वेत श्रेष्ठतावादियों के नरसंहार का षडयंत्र रचा जा रहा है. उसे लगता था कि इसके पीछे George Soros (जॉर्ज सोरोस) हैं.

लेकिन अमेरिका ही नहीं George Soros (जॉर्ज सोरोस) के ख़िलाफ़ आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, रूस और फ़िलीपींस में भी अभियान चलाए जाते हैं.

तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप अर्दोआन तक ने कहा था कि George Soros उस यहूदी साज़िश के केंद्र में हैं जो तुर्की को आपस में बांट कर बर्बाद करना चाहता है.

ब्रिटेन की ब्रेग्ज़िट पार्टी के नाइजल फराज का दावा है कि George Soros शरणार्थियों को पूरे यूरोप में फैल जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. उनके मुताबिक़ सोरोस पूरी पश्चिमी दुनिया के लिए सबसे बड़ा ख़तरा हैं.

George Soros के जन्मस्थान हंगरी की सरकार भी उन्हें अपना दुश्मन मानती है और साल 2018 के चुनाव प्रचार के दौरान हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने सोरोस पर ख़ूब निशाना साधा.

उन चुनावों में ऑर्बन की जीत हुई और George Soros समर्थित संस्थाओं पर सरकारी हमले इतने बढ़ गए कि George Soros की संस्था ने हंगरी में काम करना बंद कर दिया.

उन पर भारत समेत दुनिया के कई देशों में सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगता रहा है और मीडिया के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनका इस्तेमाल कई देशों पर दबाव बनाने के लिए किया।

 

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