Apricot: ख़ुबानी गुठलीदार फल है, और भारत में पिछले ५,००० साल से उगाया जा रहा यह फल भारत और पाकिस्तान में स्वास्थ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण फल समझा जाता है
वनस्पति-विज्ञान के अनुसार ख़ुबानी, आलू बुख़ारा और आड़ू तीनों एक ही “प्रूनस” नाम के वनस्पति परिवार के फल हैं.
ख़ुबानियों में कई प्रकार के विटामिन और फाइबर होते हैं.
अंग्रेजी में ख़ुबानी को “ऐप्रिकॉट” (apricot) कहा जाता है, ‘खुबानी’ शब्द को पश्तो भाषा से लिया गया है कुछ उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में इसे “ज़र्द आलू” भी कहा जाता है जो की फ़ारसी भाषा से लिया गया.
विश्व में सबसे ज़्यादा ख़ुबानी तुर्की में उगाई जाती है मध्य-पूर्व तुर्की में स्थित मलत्या क्षेत्र ख़ुबानियों के लिए मशहूर है और तुर्की की लगभग आधी पैदावार यहीं से आती है.
ख़ुबानी उत्पादन में तुर्की के बाद ईरान का स्थान आता है.
भारत में ख़ुबानियाँ उत्तर के पहाड़ी इलाकों में पैदा की जाती है, जैसे के कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड.
सूखी ख़ुबानी को भारत के उत्तरी पहाड़ी इलाक़ों में बादाम और अख़रोट की तरह एक ख़ुश्क (सुखा) मेवा माना जाता है और काफ़ी मात्रा में खाया भी जाता है.
कश्मीर और हिमाचल के कई इलाक़ों में सूखी ख़ुबानी को किश्त या किष्ट कहते हैं। माना जाता है कि प्राचीनकाल में कश्मीर का किश्तवार सूखी खुबनियों के लिए प्रसिद्ध था इसलिए इसका नाम ‘किश्त’ से किश्तवार हो गया.
खुबानी की प्यूरी को वसा के विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जाता हैं.
इसकी प्यूरी आलूबुखारे की प्यूरी की तरह बहुत गहरे रंग की नहीं होती और न ही सेब की प्यूरी की तरह जल की अधिकता वाली ही होती है।
खुबानी का उद्गम, उत्तर पश्चिम के देशों विशेषकर अमेरिका का माना जाता है। और कालान्तर में यह फल तुर्की पहुंचा जहां इस समय खुबानी की पैदावार विश्व में सबसे ज्यादा होती है.
खुबानी का रंग जितना चमकीला होगा, उसमें विटामिन-सी, विटामिन-ई और पोटेशियम की मात्रा उतनी ही अधिक होगी।
सूखी खुबानी में ताजी खुबानी की तुलना में १२ गुना लौह (Iron), सात गुना आहारीय रेशा (dietary fiber)और पांच गुना विटामिन ए होता है।
सुनहरी खुबानी और कच्चे आम व चीनी मिला कर बहुत स्वादिष्ट चटनी भी बनाई जाती है.
खुबानी का पेय ‘एप्रीकॉट नेक्टर’ (Apricot Nectar) भी बहुत स्वादिष्ट होता है.