10.1 C
New Delhi
Friday, January 10, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

Mahakumbh 2025 (महाकुंभ) का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

Mahakumbh 2025 (महाकुंभ) हिन्दू धर्म की सबसे भव्य धार्मिक परंपरा है, जिसका आयोजन 12 साल में एक बार होता है जो वैज्ञानिक
दृष्टि से भी बहुत महत्व है।

इस बार Mahakumbh 2025 (महाकुंभ) का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होगा। इस महापर्व की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा स्नान से होगी और समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के साथ होगा।

Mahakumbh 2025 (महाकुंभ) का महत्व

Mahakumbh 2025 (महाकुंभ) का विशेष महत्व है क्योंकि इसे धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है। लाखों श्रद्धालु, साधु-संत और विदेशी पर्यटक इस महापर्व का हिस्सा बनने आते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, कुंभ मेला खगोल विज्ञान और मानव जीव विज्ञान पर इसके प्रभावों की उन्नत समझ को दर्शाता है।

शोध से पता चलता है कि ग्रहों की संरेखण पृथ्वी के विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है, जो बदले में जैविक प्रणालियों को प्रभावित करती है। जैव-चुंबकत्व में अध्ययन से पता चलता है कि मानव शरीर विद्युत चुम्बकीय बलों का उत्सर्जन करता है और अपने पर्यावरण में आवेशित क्षेत्रों पर प्रतिक्रिया करता है।

यह घटना शायद इस बात की व्याख्या करती है कि क्यों अनेक प्रतिभागी उत्सव के दौरान शांति और स्वस्थता की भावना महसूस करते हैं।

त्यौहार का कार्यक्रम विशिष्ट ग्रहों की संरेखण द्वारा निर्धारित किया जाता है, जिसमें बृहस्पति केंद्रीय भूमिका निभाता है। सूर्य के चारों ओर बृहस्पति की 12 साल की कक्षा इसे समय-समय पर विशेष राशियों के साथ संरेखित करती है जो शुभ समय का संकेत देती हैं।

महाकुंभ मेला तब आयोजित किया जाता है जब बृहस्पति सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के साथ एक विशिष्ट संरेखण में प्रवेश करता है। माना जाता है कि यह संरेखण पृथ्वी के विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों को बढ़ाता है।

7 दिसंबर, 2024 को बृहस्पति विपरीत दिशा में पहुँच गया, जब पृथ्वी ग्रह और सूर्य के ठीक बीच में स्थित थी। इस घटना ने बृहस्पति को रात के आकाश में चमकीला बना दिया। यह विशेष रूप से जनवरी 2025 में ऐसा करना जारी रखेगा, क्योंकि यह महीने के अधिकांश समय तक दिखाई देता रहेगा, जो आधी रात के आसपास चरम पर होगा।

अगले कुछ सप्ताहों में, चार ग्रह – शुक्र, शनि, बृहस्पति और मंगल – सूर्यास्त के तुरंत बाद स्पष्ट रूप से दिखाई देंगे, जिससे पर्यवेक्षकों के लिए एक अद्भुत दृश्य उत्पन्न होगा।

प्राचीन हिन्दू विज्ञान और समझ का परिचायक

कुंभ मेला स्थलों के चयन से प्राचीन भारत की भूगोल और भू-चुंबकीय शक्तियों की गहन समझ का पता चलता है।

नदियों के संगम पर स्थित इन स्थानों पर मजबूत भू-चुंबकीय ऊर्जा क्षेत्र पाए जाते हैं। प्राचीन ऋषियों ने इन क्षेत्रों को आध्यात्मिक विकास के लिए अनुकूल माना है, तथा त्यौहार के समय और स्थानों को निर्धारित करने के लिए पृथ्वी की ऊर्जा प्रणालियों के अपने ज्ञान का लाभ उठाया है।

जैसा कि दुनिया 2025 के महाकुंभ मेले का इंतजार कर रही है, यह आयोजन मानवता के ब्रह्मांड से स्थायी संबंध के बारे में है।

यह आस्था, पौराणिक कथाओं और वैज्ञानिक सिद्धांतों का एक अनूठा मिश्रण है, जो मानव जीवन पर ब्रह्मांड के प्रभाव की गहन समझ प्रदान करता है।

Mahakumbh 2025 (महाकुंभ) में शाही स्नान (राजसी स्नान) का महत्व?

शाही स्नान महाकुंभ का सबसे मुख्य आकर्षण होता है। यह स्नान हिंदू धर्म के अखाड़ों और साधु-संतों के लिए पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस स्नान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Mahakumbh 2025 (महाकुंभ) में शाही स्नान (राजसी स्नान) कब-कब होगा?

महाकुंभ 2025 के दौरान कुल 5 शाही स्नान (राजसी स्नान) होंगे, जिनकी तिथियां निम्नलिखित हैं:

  • 14 जनवरी 2025 (मकर संक्रांति):    पहला शाही स्नान (राजसी स्नान)
  • 29 जनवरी 2025 (मौनी अमावस्या):  दूसरा शाही स्नान (राजसी स्नान)
  • 3 फरवरी 2025 (बसंत पंचमी):        तीसरा शाही स्नान (राजसी स्नान)
  • 12 फरवरी 2025 (माघी पूर्णिमा):     चौथा शाही स्नान (राजसी स्नान)
  • 26 फरवरी 2025 (महाशिवरात्रि):     अंतिम शाही स्नान (राजसी स्नान)

Mahakumbh 2025 (महाकुंभ) की विशेषताएं

  • 12 साल बाद आयोजन: महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल बाद चार पवित्र स्थलों (हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक) में से एक पर होता है।
  • साधु-संतों का संगम: भारत के विभिन्न हिस्सों से साधु-संत, नागा साधु और धार्मिक अखाड़े इस पावन पर्व में भाग लेते हैं।
  • धार्मिक अनुष्ठान और स्नान: महाकुंभ के दौरान गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान का विशेष महत्व है।
  • कल्पवास: माघ मास कल्पवास या कुम्भ कल्पवास या महाकुंभ कल्पवास जिसमें संगम के तट पर निवास करते हुए, व्रत, पूजा, दान, ध्यान और सत्संग करना।

Mahakumbh 2025 (महाकुंभ)  में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए जरूरी बातें

  • शाही स्नान (राजसी स्नान), सामान्य स्नान पर्व की तिथियां ध्यान रखें।
  • प्रयागराज में ठहरने के लिए पहले से व्यवस्था कर लें।
  • धार्मिक अनुष्ठानों , साधु-संतों के प्रवचनों और सत्संग का लाभ उठाएं।

महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महोत्सव है। शाही स्नान (राजसी स्नान) का अपना विशेष महत्व है, जिसमें स्नान करके श्रद्धालु पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।

इस Mahakumbh 2025 (महाकुंभ) महापर्व की तिथियां और कार्यक्रम सुनिश्चित कर आप अपनी यात्रा को सफल और आनंददायक बना सकते हैं।

 

Hindi-NewsDesk@MonkTimes.comhttps://monktimes.com
समसामयिक पहलुओं, पर्यावरण, भारतीयता, धार्मिकता, यात्रा और सामाजिक जीवन तथा समस्त जीव-जंतुओं से संबंधित समाचारों का विश्लेषण एवं प्रकाशन।

Popular Articles